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एशिया-प्रशांत व्‍यापार समझौते के तहत वार्ताओं के चौथे दौर के जरिए शुल्‍क संबंधी रियायतों का आदान-प्रदान

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नई दिल्ली: छह देशों यथा बांग्‍लादेश, चीन, भारत, लाओ पीडीआर, कोरिया गणराज्‍य और श्रीलंका के बीच एशिया-प्रशांत व्‍यापार समझौते (पूर्ववर्ती बैंकॉक समझौता) के तहत वार्ताओं के चौथे दौर के नतीजे 1 जुलाई, 2018 से अमल में आ गए हैं।

एशिया-प्रशांत व्‍यापार समझौता (आप्‍टा) संयुक्‍त राष्‍ट्र के एस्‍कैप (एशिया-प्रशांत के लिए आर्थिक एवं सामाजिक आयोग) के तहत एक विशिष्‍ट पहल है जिसका उद्देश्‍य एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सदस्‍य माने जाने वाले विकासशील देशों के बीच शुल्‍क (टैरिफ) रियायतों के आदान-प्रदान के जरिए व्‍यापार का विस्‍तारीकरण करना है। यह वर्ष 1975 से ही प्रभावी है। आप्‍टा एक वरीयता प्राप्‍त व्‍यापार समझौता है, जिसके तहत विभिन्‍न वस्‍तुओं के बास्‍केट के साथ-साथ शुल्‍क रियायतों की सीमा को भी समय-समय पर होने वाली व्‍यापार वार्ताओं के दौरान बढ़ाया जाता है।

व्‍यापार वार्ताओं के चौथे दौर का औपचारिक समापन होने के बाद इस पर आप्‍टा की मंत्रिस्‍तरीय परिषद की बैठक के दौरान सदस्‍य देशों के मंत्रियों ने हस्‍ताक्षर किए। यह बैठक 13 जनवरी, 2017 को आयोजित की गई थी। मंत्रिस्‍तरीय परिषद के निर्णय को अब सभी सदस्‍यों ने लागू किया है, जो 1 जुलाई 2018 से प्रभावी हो गया है।

चौथे दौर के पूरा होने के साथ ही प्रत्‍येक सदस्‍य देश के लिए कुल वस्‍तुओं की वरीयता की कवरेज बढ़कर 10677 वस्‍तुओं के स्‍तर पर पहुंच जाएगी, जबकि तीसरे दौर के समापन पर वस्‍तुओं या आइटमों की कुल संख्‍या 4270 थी। इसके साथ ही समझौते के तहत उपलब्‍ध कराया जा रहा औसत वरीयता मार्जिन (एमओपी) बढ़कर 31.52 प्रतिशत के स्‍तर पर पहुंच जाएगा। एलडीसी (अल्‍प विकसित देश) सदस्‍य 1249 वस्‍तुओं पर अपेक्षाकृत ज्‍यादा रियायतें पाने के हकदार हैं। आप्‍टा के खास एवं विशिष्‍ट प्रावधानों के तहत इन वस्‍तुओं पर एमओपी औसतन 81 प्रतिशत है।

भारत ने अपनी ओर से सभी सदस्‍य देशों के साथ 3142 वस्‍तुओं पर शुल्‍क संबंधी रियायतों का आदान-प्रदान किया है। इसी तरह भारत ने एलडीसी के लिए 48 वस्‍तुओं पर विशेष रियायतों का आदान-प्रदान बांग्‍लादेश और लाओ पीडीआर के साथ किया है। आप्‍टा का एक संस्‍थापक सदस्‍य होने के नाते भारत इन रियायतों के जरिए आप्‍टा प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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