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प्रत्येक नागरिक को संवेदनशील और समरसतापूर्ण समाज के निर्माण का माध्यम बनना चाहिए: उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने कहा है कि प्रत्येकनागरिक को संवेदनशील और समरसतापूर्ण समाज के निर्माण का माध्यम बनना चाहिए। श्री नायडू आज मुंबई में जमनालाल बजाज पुरस्कार 2018 वितरित करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.विद्यासागर राव, महाराष्ट्र के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री विनोद तावड़े तथा कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि श्री जमनालाल जी के जीवन और कार्यों ने युवा पीढ़ी को लोगों की सोच में बदलाव लाने के साथ ही बड़े सुधारों की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया है। उन्होंने पर्यावरण, आपदा मोचन, महिलाओं और बच्चों के कल्याण तथा शांति और अहिंसा को प्रोत्साहित करने के माध्यम से लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाले चार ख्याति प्राप्त नागरिकों को सम्मानित करने के लिए पुरस्कार समारोह के आयोजकों की सराहना की।

श्री नायडू ने इस अवसर पर श्री जमनालाल बजाज के योगदान को याद करते हुए कहा कि इस महान शख्सियत ने महिलाओँ के सशक्तिकरण, छूआछूत खत्म करने, दलितों के उत्थान और खादी को प्रोत्साहित करने के भारत के मूल दर्शन का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक को महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरणा लेते हुए एक ज्यादा संवेदनशील और समरसतापूर्ण समाज के निर्माण का माध्यम बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांधी जी के विचार सब के लिए पथप्रर्दशक हैं।

श्री नायडू ने कहा कि नई पीढ़ी को भारत की महान संस्कृति और विरासत से अवगत कराया जाना चाहिए। एक दूसरे का ख्याल रखने और उनके साथ चीजें बांटने के मूल भारतीय दर्शन पर आधारित संस्कृति और परंपराओं को हर हाल में संरक्षित रखा जाना चाहिए।

श्री नायडू ने कहा कि हर व्यक्ति को समाज और देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना चाहिए। उन्होंने देश के समस्त नागरिकों, विशेषकर युवाओं में सामाजिक जवाबदेही की भावना उत्पन्न करने पर जोर दिया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि वृद्ध जनों की उपेक्षा और उनके साथ दुर्व्यवहार, महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार और एक-दूसरे के विचारों के प्रति सम्मान में कमी की घटनाएं उन्हें विचलित करती हैं। उन्होंने कहा कि समाज के ऐसे गंभीर अवगुणों को दूर करने के लिए परिवार, समुदाय, गैर-सरकारी संगठनों और सरकार सभी की ओर से ठोस प्रयास होने चाहिए।

श्री नायडू ने स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव कर बच्चों के लिए समाजसेवा से जुड़ी गतिविधियों में हिस्सा लेना अनिवार्य बनाए जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्कूल के दिनों से ही समाज सेवा के कार्यों में शामिल होने से बच्चे समाज के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनेंगे और उनकी सोच भी व्यापक होगी। उन्होंने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों से कहा कि वे हर तीन महीने में एक दिन अपने सभी कर्मचारियों से समाज सेवा से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने के लिए कहें।

श्री नायडू ने गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता श्री धूम सिंह नेगी को रचनात्मक कार्यों, सुश्री रूपल देसाई और श्री राजेंद्र देसाई को ग्रामीण विकास के लिए विज्ञान और तकनीकी के प्रयोग, सुश्री प्रसन्ना भंडारी को महिलाओं और बच्चों के विकास और कल्याण तथा स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ. क्लेबोर्न कार्सन को भारत के बाहर गांधीजी के सिद्धांतों के प्रचार के लिए जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया।

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