नई दिल्ली: केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज कम लागत वाली पर्यावरण अनुकूल सौर ऊर्जा से प्रकाश देने वाले उपकरण का शुभारंभ किया। यह देश के उन शहरी और ग्रामीण परिवारों के लिए एक वरदान साबित होगा, जहां बिजली की विश्वसनीय पहुंच नहीं है। इस उपकरण को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तत्वावधान में विकसित किया गया है।
इस उपकरण की विशेषताओं को बताते हुए उन्होंने कहा कि इस उपकरण के संभावित उपयोगकर्ता 10 मिलियन से भी अधिक परिवार हैं। उन्होंने बताया कि प्राथमिक अनुमानों के अनुसर अगर इस प्रौद्योगिकी को केवल 10 मिलियन परिवार ही अपना लेते है तो इससे 1750 मिलियन यूनिट ऊर्जा की बचत हो जायेगी। इसके अलावा लगभग 12.5 मिलियन टन कार्बन डाईऑक्साइड का कम उत्सर्जन होगा। जिससे ‘स्वच्छ भारत, हरित भारत’ के मिशन को बढ़ावा मिलेगा। इसकी विनिर्माण प्रक्रिया श्रम प्रधान होने से अर्थव्यवस्था में रोजगार के बड़ी संख्या में अवसर पैदा होंगे।
इस उपकरण के काम करने के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि माइक्रो सोलर डोम एक पारदर्शी अर्धगोलाकार ऊपरी डोम के माध्यम से सूर्य के प्रकाश को ग्रहण करके एक अंधेरे कमरे में केन्द्रित करती है। प्रकाश अत्यधिक परावर्तित कॉटिंग की एक पतली परत के रास्ते से गुजरता है। इसमें एक लोअरडोम होता है। जिसकी तली में एक शटर लगा होता है जिसे दिन के समय प्रकाश की जरूरत न होने के कारण बंद किया जा सकता है। यह लीक प्रूफ होता है और लगभग 16 घंटे प्रतिदिन कार्य कर सकता है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री वाई.एस. चौधरी ने कहा कि इस तकनीक से काफी हद तक जीवाश्म ईंधन की बचत होगी क्योंकि एक यूनिट ऊर्जा बचने का मतलब तीन यूनिट ऊर्जा का उत्पादन करने से है। उन्होंने कहा कि ऊष्मायन केन्द्रों का निर्माण स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है। जिससे सोलर क्षेत्र में इस व्यवहार्य उपकरण का व्यावसायिक रूप से निर्माण करने के लिए सौर क्षेत्र में उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा। इस उपकरण के चुनिंदा मापदंडों के लिए परीक्षण आईआईटी मुम्बई, टीईआरआई विश्वविद्यालय और भारतीय इंजीनियरिंग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान कोलकाता में पूरे हो चुके है। दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता और बंगलुरु की मलीन बस्तियों में 300 माइक्रो सोलर डोम लगाये जा रहे हैं।