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सहानुभूति एवं धैर्य, देखरेख और संवेदना ऐसे गुण हैं, जो रोगी के ह्रदय में उम्मीद जगाते हैं: वैंकेया नायडू

देश-विदेश

नई दिल्ली: उप-राष्ट्रपति श्री एम. वैंकेया नायडू ने नीति-निर्माताओं से कहा है कि वे कैंसर का इलाज किफायती बनाने की दिशा में प्रयास करें। कर्नाटक के बेंगलुरू में आज किदवई कैंसर इंस्टीट्यूट में नए राज्य कैंसर इंस्टीट्यूट ब्लॉक का उद्घाटन करने के बाद वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कैंसर के इलाज की बढ़ती कीमत पर चिंता जताई। इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल श्री वज्जूभाई रूदाभाई वला, मुख्यमंत्री श्री एच. डी. कुमारस्वामी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

उपराष्ट्रपति ने कैंसर की बढ़ती बीमारी से निपटने के लिए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर इसके बचाव, रोगनिवारक और दर्दनिवारक कार्यक्रमों को मजबूत करने का आह्वाहन किया।

उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि कैंसर के सही इलाज के लिए जरूरी प्रशिक्षित श्रमशक्ति और उपकरणों के लिए बड़ी राशि निवेश किए जाने की जरूरत है, लेकिन सरकार को चाहिये कि वह विभिन्न वैकल्पिक नीति तैयार करे ताकि कैंसर के इलाज को किफायती बनाया जा सके।

उपराष्ट्रपति ने डॉक्टरों से कहा कि वे खासकर कैंसर जैसे जानलेवा बीमारी से पीड़ित रोगियों के साथ नियमित संवाद स्थापित करें। रोगी और उनके परिवारों को ढांढस की जरूरत होती है। उप-राष्ट्रपति ने कहा कि कैंसर पीड़ितों को दर्दनिवारक देखरेख और उससे भी महत्वपूर्ण मीठे शब्दों की जरूरत है ताकि दर्द को सहनीय बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि सहानुभूति, धैर्य, देखरेख और संवेदना ऐसे गुण है जो कैंसर पीड़ित के ह्रदय में उम्मीद और पीड़ित परिवार के विचलित मन को शांति प्रदान कर सकते हैं।

उपराष्ट्रपति ने प्रदूषण, मोटापा, तम्बाकू का हानिकारक इस्तेमाल, सुपारी एवं अल्कोहल, सुस्त जीवनशैली, जंकफूड खाने के खतरे के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों में कैंसर होने के लक्षण दिखे हों उन्हें समय-समय पर जांच कराते रहने की आवश्यकता है।

उपराष्ट्रपति ने नीति-निर्माताओं से कैंसर से बचाव की प्रभावी रणनीति बनाने का आग्रह किया और कहा कि कैंसर बचाव अनुसंधान के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत है।

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