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डीएसटी-सीआईआई इंडिया पुर्तगाल टेक समिट 2020 में भारत और पुर्तगाल के स्टार्टअप इकोसिस्टम को करीब लाने और संयुक्त नवाचार को सुविधाजनक बनाने के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई

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युवा गणितज्ञों का रामानुजन पुरस्कार 2020 एक आभासी समारोह में  9 दिसंबर 2020 को ब्राजील के रियो डी जनेरियो स्थित इंस्टीट्यूट फॉर प्योर एंड एप्लाइड मैथेमेटिक्स (आईएमपीए)  की गणितज्ञ डॉ. कैरोलिना अरुजो को प्रदान किया गया।

 हर साल किसी विकासशील देश के एक शोधकर्ता को दिया जाने वाला और आईसीटीपी (इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फ़िज़िक्स) एवं अंतरराष्ट्रीय गणितीय संघ के सहयोग से भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषितयह पुरस्कारडॉ. कैरोलिनाको बीजगणितीय ज्यामिति में उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया गया। उनका शोध कार्य बाईरेशनल ज्यामिति पर केन्द्रित है, जिसका उद्देश्य बीजगणितीय किस्म की संरचनाओं को वर्गीकृत करना और उनका वर्णन करना है।

 डॉ. अरुजो, जोकि अंतरराष्ट्रीय गणितीय संघ में गणित के क्षेत्र में महिलाओं की समिति की उपाध्यक्ष हैं, यह पुरस्कार पाने वाली पहली गैर-भारतीय हैं और वो सभी महिलाओं के लिए एक आदर्श साबित होंगी।

 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा महिलाओं के लिए शुरू की गई विज्ञान ज्योति जैसे नए कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने महिला गणितज्ञों को प्रोत्साहित करने और उन्हें अपने खुद के उदाहरण के जरिए प्रेरित करने के लिए डॉ. अरुजो को भारत आने के लिए आमंत्रित किया।

 अंतरराष्ट्रीय गणितीय संघ (आईएमयू) के अध्यक्ष प्रोफेसर कार्लोस केनिग ने इस उपलब्धि के लिए डॉ. अरुजो को बधाई दी और गणित में महिलाओं को बढ़ावा देने तथा महत्वपूर्ण गणितीय गतिविधियों के आयोजन में उनकी भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “वह 2015 से आईसीटीपी की एक सीमन्स एसोसिएट रही हैं।”

 यूनेस्को में भारत के राजदूत / स्थायी प्रतिनिधिश्री विशाल वी. शर्मा ने कहा कि एक गणितज्ञ किसी देश विशेष का नहीं होता है। डॉ. अरुजो का संबंध भले ही ब्राजील से हो, लेकिन वो एक गणितज्ञ हैं। वह सारे ब्रह्मांड की है क्योंकि गणित ब्रह्मांड की भाषा है।

 पुरस्कार समारोह में, डॉ. अरुजो ने’अलजेब्राटिक वैरायटीज विद पॉजीटिव टेंगेंट बंडल्स’ शीर्षक एक चर्चा में बाईरेशनल ज्यामिति एवं पर्णन समेत बीजगणितीय ज्यामिति के बारे में बात रखी।

 हर साल 45 वर्ष से कम उम्र के उन युवा गणितज्ञों,जिन्होंने किसी विकासशील देश में उत्कृष्ट शोध किया हो, को दिए जाने वाले इस पुरस्कार की स्थापना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वाराश्रीनिवास रामानुजन की स्मृति में की गयी थी।रामानुजनशुद्ध गणित के एक ऐसे जीनियस थे, जो अनिवार्य रूप से स्व–शिक्षित थे और जिन्होंनेएल्लिप्टिक फंक्शन्स, इन्फाईनाईट सीरीज और संख्याओं के विश्लेषणात्मक सिद्धांत के बारे में शानदार योगदान दिया।

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