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डॉ. मनसुख मांडविया ने “कोविड-19 के प्रबंधन में भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया” विषयवस्तु पर एनजीओ के साथ आयोजित वेबिनार में प्रमुख भाषण दिया

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केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने नीति आयोग और 200 से अधिक एनजीओ व सिविल सोसाइटी संगठनों, जिन्होंने महामारी के दौरान जमीनी स्तर पर काम किया था, के एक वेबिनार को संबोधित किया। इस वेबिनार की विषयवस्तु “कोविड-19 के प्रबंधन में भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया” थी। अपने प्रमुख संबोधन में डॉ. मांडविया ने कहा, “कोविड-19 महामारी, विशेष रूप से हालिया ओमिक्रॉन मामलों की बढ़ोतरी के प्रबंधन ने विश्व के सामने एक “संपूर्ण सरकार” और “संपूर्ण समाज” की सोच के माध्यम से आत्मनिर्भरता, प्रौद्योगिकी संचालित नवाचार, साझा लक्ष्यों और सहयोगी प्रयासों के जरिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और आत्मनिर्भरता की शक्ति का दृढ़ता से प्रदर्शन किया है।”

अपने संबोधन के शुरुआत में केंद्रीय मंत्री ने कहा, “सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया की भारत की रणनीतियों के परिणामस्वरूप कई अन्य देशों की तुलना में ओमिक्रॉन के मामलों में बढ़ोतरी का बेहतर प्रबंधन हुआ है।” वहीं, एक प्रस्तुति में विभिन्न समय पर सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के प्रदर्शन के माध्यम से उठाए गए कदमों को रेखांकित किया गया। ऐसे समय में जब कई देशों में दैनिक कोविड मामलों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, भारत में उच्च स्तर के टीकाकरण के साथ रिकवरी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है और संक्रमित मरीजों के दैनिक मामलों में पर्याप्त कमी दर्ज की गई है। परीक्षण, निगरानी और उपचार के दृष्टिकोण सहित केंद्रित जीनोम सिक्वेंसिंग, रोकथाम क्षेत्रों के जरिए नियंत्रण, सामुदायिक निगरानी, ​​होम आइसोलेशन के लिए प्रोटोकॉल और प्रभावी नैदानिक ​​उपचार सहित समय पर किए गए उपायों ने भारत के कोविड प्रबंधन में अपना योगदान दिया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने नागरिकों की सामूहिक भावना की सराहना की। उन्होंने कहा, “भारत का टीकाकरण अभियान उन लोगों की भारत की क्षमताओं और ताकत का प्रमाण है, जिनके बिना यह यात्रा और टीका कवरेज (टीकाकरण) का यह उच्च स्तर संभव नहीं होता।” उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त रूप से भौगोलिक और सामाजिक विविधताओं के साथ बड़ी आबादी के बावजूद भारत ने कोविड टीकाकरण के वैश्विक मानक निर्धारित किए हैं। डॉ. मांडविया ने आगे कहा, “कई क्षेत्रों और इलाकों में 180 करोड़ से अधिक कोविड टीके की खुराकें देने की क्षमता हमारी प्रमुख उपलब्धियों में से एक रही है।”

कोविड महामारी के दौरान भारत के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि देश ने यह प्रदर्शित किया है कि ‘हम यह कर सकते हैं।’ डॉ. मांडविया ने आगे बताया कि माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व व मार्गदर्शन में भारत ने रोकथाम, प्रबंधन, उपचार और टीकाकरण के लिए सही समय पर और त्वरित निर्णय करने का काम किया है। उन्होंने कहा, “हमने दुनिया को दिखाया है कि एक निर्णायक और शक्तिशाली राजनीतिक इच्छाशक्ति क्या प्राप्त कर सकती है।”

उन्होंने तकनीक की निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया और कैसे ई-संजीवनी, टीकाकरण के लिए कोविन पोर्टल और आरोग्य सेतु एप आदि के जरिए महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती पहुंच के लिए इसका लाभ उठाया गया। डॉ. मांडविया ने आगे बताया कि भारत के तकनीकी नवाचारों ने देश के टीकाकरण अभियान को गति और अधिक दक्षता प्रदान की है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘शुभ लाभ’ के भारतीय दर्शन पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारत ने न केवल गुणवत्तापूर्ण और सस्ते टीकों का उत्पादन किया है, बल्कि मानवीय आधार पर हमने 150 से अधिक देशों में दवाओं का निर्यात भी किया है। वैश्विक स्तर पर सरकार के टीका मैत्री कार्यक्रम की सराहना की गई है।”

डॉ. मांडविया ने जमीनी स्तर पर काम करने वाले उन सभी एनजीओ, हितधारकों और सीएसओ, जिन्होंने महामारी के दौरान विभिन्न तरीकों से समुदायों के बीच बिना थके हुए काम किया है, के लिए अपना गहरा आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मैं समुदायों तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने के लिए आपकी निरंतर भागीदारी चाहता हूं। लोगों के बीच आपका काम जागरूकता बढ़ाने और ई-स्वास्थ्य सेवाओं (जैसे कि ई-संजीवनी और टेली-हेल्थ) को तेज करने में महत्वपूर्ण होगा।”

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ. मार्क इस्पोसितो ने कहा कि भारत सरकार का यह सराहनीय कार्य एक ऐसा आधार तैयार करता है, जो त्वरित व विज्ञान आधारित प्रतिक्रिया के लिए प्रतिबद्ध एक सरकारी प्रणाली विकसित करने में सक्षम होगा। उन्होंने आगे इसका भी उल्लेख किया कि महामारी से निपटने और टीकाकरण अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के संबंध में भारत सरकार की अपनाई गई “संपूर्ण सरकार और संपूर्ण समाज” का यह शासन दृष्टिकोण भविष्य में किसी संकट या इसी तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए एक मॉडल होगा।

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. क्रिस एलियास ने विज्ञान में भारत की सफलता की पुष्टि करते हुए कोविड महामारी के खिलाफ भारत की अनुकरणीय प्रतिक्रिया की सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा, “हालांकि यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत में लाखों लोगों को सुरक्षित रूप से कोविड-19 टीके लगाए जाए, इसके लिए इन चुनौतियों से निपटने व टीकाकरण अभियान की सफलता सुनिश्चित करने को लेकर स्वदेशी टीका निर्माण, अनुमोदन के लिए सख्त नैदानिकी परीक्षण व प्रोटोकॉल, स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों के प्रशिक्षण के जरिए काफी सावधानीपूर्वक वितरण और एईएफआई प्रबंधन के संबंध में महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय, जो अलग-अलग समय पर प्रधानमंत्री के नेतृत्व और मार्गदर्शन में त्वरित गति से लिए गए, ने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महामारी को लेकर भारत की प्रतिक्रिया और इस देश की विकसित रणनीतियां अब भविष्य की महामारी से निपटने के लिए पाठ्यपुस्तक दृष्टिकोण बन गई हैं।”

वहीं, नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) श्री अमिताभ कांत ने कोविड प्रबंधन के मामले में कई अन्य देशों से अलग करने वाली भारत की विशिष्ट पहलों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “भारत का दृष्टिकोण प्रौद्योगिकीनीत के नेतृत्व वाला था, जिसने संपूर्ण समाज के दृष्टिकोण को प्राप्त करने में सहायता की। कोविन एप इस टीकाकरण अभियान का मुख्य केंद्र बना। सही समय पर पारदर्शी तकनीकी और भौतिक हस्तक्षेपों के जरिए टीकों के वितरण व उचित न्यायसंगत आवंटन जैसी कई चुनौतियों का समाधान किया गया। जनसंचार के माध्यम से टीका लगवाने को लेकर उत्पन्न हिचकिचाहट को दूर किया गया। मजबूत कोल्ड चेन इकोसिस्टम के विकास के जरिए खरीद और लॉजिस्टिक्स का समाधान किया गया। इसके अलावा, हमने लोगों को प्रशिक्षित किया और उन्हें स्पष्ट जानकारी प्रदान की, जिससे कमजोर समूहों के चरण-वार टीकाकरण की गति बढ़ाने में सहायता मिली।” नीति आयोग के सीईओ ने जमीन पर काम करने के संबंध में सीएसओ और एनजीओ की निभाई गई भूमिका की सराहना की। इसके अलावा उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति व प्रतिबद्धता, हमारे दृष्टिकोण में नीतियों की स्पष्टता व सभी हितधारकों को शामिल करने के कारण ही हम यह शानदार उपलब्धि प्राप्त करने में सक्षम हो पाए, जो भारत के अपनाए गए सुशासन मॉडल को दिखाता है।

विभिन्न सामुदायिक रेडियो स्टेशनों (सीआरएस) और सीएसओ के प्रतिनिधियों ने महामारी के दौरान जमीन पर काम करने के अपने अनुभव साझा किए। कई सीआरएस स्टेशनों ने प्रामाणिक व सटीक जानकारी प्रदान करके व स्थानीय बोलियों में जानकारी को सरल बनाकर मिथकों को दूर करने और लॉकडाउन के दौरान समुदायों को विभिन्न सेवाएं प्रदान करके सहायता कीं।

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