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डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक अधिकारियों के लिए महामारी में सुशासन प्रक्रियाओं पर एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि कोविड-19 की वैश्विक महामारी से लड़ने का मंत्र ‘चिंता नहीं, जागरुकता‘ है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग आज की महत्ती आवश्यकता है। वह यहां भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी), विदेश मामले मंत्रालय एवं राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी), प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक वेबीनार के जरिये एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन के बाद उसे संबोधित कर रहे थे।

      डॉ. सिंह ने दुहराया कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए देशों के लिए आगे का रोडमैप अर्थव्यवस्था को फिर से आरंभ करने एवं सहकारी संघवाद को सुदृढ़ बनाने में निहित है। उन्होंने कहा कि सरकार का जोर मजबूत संस्थानों, सुदृढ़ ई-गवर्नेंस मॉडलों, डिजिटल रूप से सशक्त नागरिकों एवं बेहतर स्वास्थ्य देखभाल पर है।

      डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ही सबसे पहले दुनिया को इस चुनौती से लड़ने का आह्वान किया था और उन्होंने परस्पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के उच्च मानदंडों को निर्धारित किया। डॉ. सिंह ने कहा कि श्री मोदी की न केवल 10 मिलियन डालर की प्रतिबद्धता के साथ कोविड-19 आपातकालीन फंड सृजित करने में मुख्य भूमिका रही, बल्कि उन्होंने सार्क, एनएएम तथा अन्य मंत्रों पर भी इस महामारी के मुद्वे को संबोधित किया।

      इस दो दिवसीय कार्यशाला में 16 देशों के 81 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं, जिनमें श्रीलंका सेना के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल एचजेएस गुणवर्द्धने, बांग्लादेश की सरकार के 19 वरिष्ठ सचिव, म्यांमार के 11 जिला प्रशासक, भूटान, केन्या, मोरक्को, नेपाल, ओमान, सोमालिया, थाईलैंड, ट्यूनिशिया, टोंगा, सूडान एवं उज्‍बेकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारी शमिल थे।

      अपने उद्घाटन संबोधन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रत्युत्तर में टीम वर्क, करुणा और शासन कला ने भारत के शासन को परिभाषित किया है। आगे का रास्ता ‘दो गज दूरी‘-सोशल डिस्टैंसिंग पर फोकस करती है। भारत ने आरोग्य सेतु ऐप को लोकप्रिय बनाया है, जिसे वर्तमान में 120 मिलियन भारतीयों द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना वायरस के साथ जीने का अर्थ है, कम संपर्क वाला शासन, अधिकारी मास्क और दस्तानों के साथ कार्य करें और वर्क फ्रॉम होम मॉडल का अनुपालन किया जाए। वर्चुअल आफिस, वेब रूम, बैठक, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्कों को अपनाया गया और भारत का केंद्रीय सचिवालय एक डिजिटल सेंट्रल सेक्रेटेरियट बन गया। 75 मंत्रालयों ने एनआईसी द्वारा सृजित ई-ऑफिस, कार्यशील वेब रूम्स को अपनाया और भारत की डिजिटल अवसंरचना पहलों का सार्थक परिणाम सामने आया। समेकित सेवा पोर्टलों का प्रभाव दिखा।

      डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि नागरिकों के लिए डिजिटल सशक्तिकरण का भारत का प्रयास कोरोना वायरस की इस अवधि में सफल रहा। ई-क्लासेज, ई-अस्पताल, ई-नाम, प्रधानमंत्री जन धन योजना और भारत इंटरफेस फॉर मनी के साथ रियल टाइम आधार पर सेवाओं की आधार सक्षम उपलब्धता की विशिष्ट डिजिटल पहचान, सभी को आधार पहचान पर सीड किया गया।

      उद्घाटन सत्र में भारत सरकार के डीएआरपीजी तथा डीपीपीडब्ल्यू के सचिव डॉ क्षत्रपति शिवाजी, डीएआरपीजी की अपर सचिव एवं राष्ट्रीय सुशासन केंद्र की महानिदेशक सुश्री देवयानी खोब्रागेड, विदेश मामले मंत्रालय के संयुक्त सचिव तथा भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

      कार्यशाला की अवधारणा संयुक्त रूप से विदेश मामले मंत्रालय, प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग तथा राष्ट्रीय सुशासन केंद्र द्वारा बनाई गई थी तथा इसका उद्वेश्य भारत के सुशासन प्रक्रियाओं को आईटीईसी देशों तक प्रसारित करना था।

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