41 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दैनिक जीवन में परमाणु प्रौद्योगिकी के व्यापक अनुप्रयोगों का आह्वान किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास (डोनर) राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दैनिक जीवन में न्यूक्लियर प्रौद्योगिकी के व्यापक अनुप्रयोगों का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय परमाणु कार्यक्रम के संस्थापक, डॉ. होमीभाभा का दृष्टिकोण परमाणु अनुसंधान को प्रयोगशाला तक ही सीमित करना नहीं अपितु मानव जाति के लाभ के लिए इस प्रौद्योगिकी को बाहरी दुनिया में लाना था। डॉ. जितेंद्र सिंह परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) द्वारा आयोजित न्यूक्लियर फूड एंड एग्रीकल्चर में प्रगति पर एक रोड शो को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर डीएई के सचिव,  श्री के. एन. व्यास और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पचास के दशक में, जब डॉ. होमीभाभा ने कहा था कि हमारे परमाणु कार्यक्रम परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर आधारित है, तो दुनिया इस पर विश्वास नहीं करती थी, लेकिन आज हम एक सफल और सुरक्षित परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का संचालन कर रहे हैं।

http://164.100.117.97/WriteReadData/userfiles/image/image0022FFW.jpg

परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव, श्री के. एन. व्यास ने कहा कि इस रोड शो का उद्देश्य सामाजिक अनुप्रयोगों का प्रदर्शन करना है जिसे डीएई बढ़ावा दे रहा है। कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, उर्वरक और रसायन मंत्रालयों, एफएसएसएआई और संबंधित सरकारी एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस बैठक में भाग लिया।

  http://164.100.117.97/WriteReadData/userfiles/image/image003UNXM.jpg       http://164.100.117.97/WriteReadData/userfiles/image/image0043NEA.jpgदिन के दौरान, न्यूक्लियर कृषि और फसल सुधार, संयंत्र और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए कृषि-प्रौद्योगिकी और खाद्य संरक्षण के लिए विकिरण प्रौद्योगिकियों पर विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया। इन सत्रों के दौरान तिलहन की फसल में सुधार, दालों में बीएआरसी का योगदान, अनाज और बाजरा में म्यूटेशन बिल्डिंग, फसल विकास और जल संरक्षण के लिए विकिरण आधारित तकनीक, जैव कीटनाशक और जैव उर्वरक, पौधों और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रौद्योगिकियां, फलों, सब्जियों के विकिरण प्रसंस्करण जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। इसके अलावा बीज उत्पादन और परिनियोजन में चुनौतियों और विकिरण प्रेरित उत्परिवर्तन प्रजनन का उपयोग करते हुए पारंपरिक किस्मों को पुनर्जीवित करने पर भी चर्चा की गई।

भारतीय कृषि आज बढ़ती जनसंख्या, अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन, बदलते खाद्य स्‍वभाव और बढ़ते शहरीकरण जैसी नई चुनौतियों का सामना कर रही है। ‘कोई भी भूखा न रहे’ इस उद्देश्य को पूर्ण करने के तहत पर्याप्त भोजन की आपूर्ति के अलावा, सभी को  पौष्टिक भोजन प्रदान करना भी एक प्रमुख कार्य है। ‘खाद्य सुरक्षा, विकिरण-आधारित फसल सुधार और खाद्य संरक्षण प्रौद्योगिकियां से फसल उत्पादकता बढ़ाने और खाद्य नुकसान को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान होगा। इन प्रौद्योगिकियों के विकास से फसल पौध किसी भी प्रकार से जैविक और अजैविक प्रतिरोधों के साथ जलवायु अनुकूल और पोषक तत्वों से भरपूर किस्मों का विकास करने में सक्षम होगी और इससे जुड़ी सभी चिंताओं का भी समाधान निकाला जा सकेगा।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More