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डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में डीएआरपीजी की ओर से आयोजित क्षेत्रीय विशेषज्ञों के साथ 2047 में भारत की परिकल्पना सम्मेलन को संबोधित किया

देश-विदेश

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार),  प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज  कहा कि 2022 के नजरिए से वर्ष 2047 के भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भविष्य के शासन मॉडल सिविल सेवक की भूमिका को फिर से परिभाषित कर सकते हैं और शासन अधिक से अधिक नागरिक अधिकार क्षेत्र को आगे बढ़ा सकता है। इस प्रकार वास्तव में “न्यूनतम सरकार” की भावना को मूर्त रूप देना है।

नई दिल्ली में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायक विभाग (डीएआरपीजी) की ओर से आयोजित क्षेत्रीय विशेषज्ञों के साथ 2047 में भारत की परिकल्पना सम्मेलन में मुख्य भाषण देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भविष्य के शासन मॉडल सिविल सेवक की भूमिका को फिर से परिभाषित कर सकते हैं और शासन अधिक से अधिक नागरिक अधिकार क्षेत्र को आगे बढ़ा सकता है। इस प्रकार यह वास्तव में “न्यूनतम सरकार” की भावना का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि तकनीकी का जटिल रूप से अंतर्निहित इंटरफेस (अंतराफलक), नए सूचकांक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बड़े पैमाने पर हावी हो सकते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2047 तक भारत एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में उभरेगा और दुनिया हमारे नेतृत्व के लिए तैयार होगी, लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार रहें। राष्ट्र मंडल और विश्व समुदाय में विकास और शासन के अधिकांश महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हमसे संकेत लिया जाएगा।

अगले 25 वर्षों में भारत की यात्रा का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हवाले से कहा कि स्वतंत्रता के अमृत काल में हम विकास को सर्वांगीण और सर्वसमावेशी बनाने के लिए एक पारदर्शी व्यवस्था, कुशल प्रक्रिया और सुचारू शासन बनाने को लेकर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार सुशासन को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो कि जनहितैषी और सक्रिय शासन है। ‘नागरिक प्रथम’ दृष्टिकोण द्वारा निर्देशित हम अपने सेवा वितरण तंत्र की पहुंच को और मजबूत करने व उन्हें और अधिक प्रभावी बनाने के लिए अपने प्रयासों में अथक बने हुए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमें भारत के लिए भारतीय दृष्टिकोण विकसित करना होगा और भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय समाधान विकसित करना होगा। यहां 2047 से संबंधित सूचकांकों की प्रकृति की पूरी तरह से कल्पना की जानी चाहिए। उन्होंने डीएआरपीजी से सुशासन सूचकांक और विश्व शासन सूचकांक के बीच अधिक समन्वय बनाने का भी आग्रह किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि न्यूनतम सरकार का सिद्धांत 2047 तक अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहुंच जाएगा और इसलिए जनसेवा को कुशल और प्रभावी तरीके से देने के लिए संस्थान-अंतर्निहित ज्ञान और अनुभव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 2047 में भारत उन सिविल सेवकों द्वारा शासित होगा जो वर्तमान में सिविल सेवा के अपने 8वें -10वें वर्ष में हैं। इसलिए 2047 में भारत की परिकल्पना के साथ युवा सिविल सेवकों को प्रेरित करना और उन्हें शामिल करना महत्वपूर्ण है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि डीएआरपीजी सरकार के उन मंत्रालयों/विभागों में से एक है जो 2047 में भारत का दृष्टिकोण या परिकल्पना तैयार कर रहा है और इसने पीएमओ, कार्मिक, पीजी और पेंशन राज्य मंत्री की अध्यक्षता में सलाहकार समूह का गठन किया है। इसमें 15 क्षेत्र विशेषज्ञ शामिल हैं, जिसमें वरिष्ठ सिविल सेवकों, आईआईटी, आईआईएम के केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक नीति अनुसंधान संगठनों के राष्ट्रीय विशेषज्ञ हैं।

मंत्री ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंग्डम और कोरिया गणराज्य का अंतर्राष्ट्रीय अनुभव बताता है कि 21वीं सदी के कई प्रशासनिक सुधार (ए) निष्पादन क्रांति (बी) ग्राहक क्रांति और (सी) नवाचार क्रांति पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों ने तकनीकी का उपयोग करके नागरिकों को सशक्त बनाने का भी प्रयास किया है। डीएआरपीजी प्रमुख साझेदारों के साथ व्यापक परामर्श के बाद 2047 में भारत की परिकल्पना में प्रशासनिक सुधारों की कुछ सर्वोत्तम कार्यप्रणाली को शामिल करने का प्रयास करेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीएआरपीजी आपसी लाभ के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ाएगा जो वैश्विक सुशासन कार्यप्रणालियों को साझा करने से उभरते हैं। डीएआरपीजी अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण के लिए आईटीईसी देशों के साथ सहयोग के लिए विदेश मंत्रालय के साथ आगे काम करेगा। उन्होंने कहा कि डीएआरपीजी अगली पीढ़ी के प्रशासनिक सुधारों के लिए विश्व स्तरीय केंद्र स्थापित करने को लेकर अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान के साथ भी सहयोग करेगा।

हाल ही में हुए डीएआरपीजी-आईआईटी मद्रास सम्मेलन का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चुनौतीपूर्ण भविष्यवादी शासन नीति प्रयासों के आधार पर दस विषयगत क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिनका सामना सिविल सेवकों को अपने करियर में करना होगा। इसमें ऊर्जा और नेट जीरो, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और सहायक तकनीकी, जल, बुनियादी ढांचा व संचार, परिवहन और गतिशीलता, शहरीकरण व आवास, ग्रामीण विकास और कृषि, फिनटेक और समावेश, सूचना सुरक्षा और रक्षा हैं। उन्होंने कहा कि डीएआरपीजी इस पहल से जुड़े युवा सिविल सेवकों के दायरे का विस्तार करेगा और ज्यादा से ज्यादा शिक्षाविदों और स्टार्ट-अप को आमंत्रित करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिकांश युवा आईएएस अधिकारी शासन के 2047 में भारत की परिकल्पना के विशिष्ट विषयगत क्षेत्रों का एक अभिन्न अंग हैं। भारत को शासन के भविष्य के वैश्विक मॉडल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को लेकर आवश्यक चुनौतीपूर्ण नीतिगत प्रयासों के प्रति संवेदनशील बनाया गया है।

अपने समापन भाषण में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 21वीं सदी का लोक शिकायत निवारण सिंगल विंडो (एकल खिड़की) एजेंसियों पर आधारित होगा, जो नागरिकों को बेहतर सेवाएं प्राप्त करने के लिए जानकारी का उपयोग करने में मदद करेगा। मंत्री ने कहा कि एक राष्ट्र-एक पोर्टल, नागरिकों तक पहुंच बढ़ाने के लिए बहुभाषी सीपीजीआरएएमएस, शिकायत निवारण की गुणवत्ता को मापने के लिए डेटा विश्लेषण, फीडबैक कॉल-सेंटर और सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर नागरिक प्रतिलेखों का प्रावधान अपेक्षित चरणों में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि डीएआरपीजी नागरिकों की सुविधाओं को प्रभावी बनाने, आम लोगों से विचार लेने, हैकाथॉन, विश्लेषण और शिकायत संभावित क्षेत्रों की पहचान के माध्यम से सरकार में नागरिक भागीदारी बढ़ाने और निगरानी व मूल्यांकन को मजबूत करने की कोशिश करेगा।

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