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डॉ हर्षवर्धन ने निर्माण उद्योग के लिए वैज्ञानिकों से अक्षय और हरित सामग्री तथा अभिनव प्रौद्योगिकी के विकास का आग्रह किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि भारत की आजादी का 75 वें वर्ष का जश्न मनाने के लिए 2022 तक सभी के लिए किफायती आवास के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए स्मार्ट गांवों और स्मार्ट शहरों के लिए तकनीकी योगदान करना सीबीआरआई जिम्मेदारी है। सीएसआईआर- केन्द्रीय भवन निर्माण अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीबीआरआई) के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए डॉ हर्षवर्धन ने कल कहा कि सीएसआईआर-सीबीआरआई आवास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम करता है जो भोजन और कपड़ों के अलावा किसी भी इंसान के लिए एक बुनियादी जरूरत है। हमारा देश अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी, और मानव संसाधन आदि मामलों में विकसित देशों के साथ अंतर को कम करने की दिशा में अग्रसर है। ऐसा करने में जहां एक ओर हमें विश्व स्तर की अभिनव, कुशल और हरित प्रौद्योगिकियों की जरूरत है वहीं दूसरी ओर पक्के, आरामदायक और ऊर्जा कुशल घरों की लाखों लोगों की मांग को पूरा करने की जरूरत है जिसमें लोग सुरक्षा, सम्मान और गर्व के साथ रह सके। पहली बार हमारी सरकार ने हर परिवार के सिर पर छत की समय सीमा तय की है। न केवल एक छत बल्कि पानी की आपूर्ति, स्वच्छता एवं 24×7 बिजली भी। हमरी अगले सात वर्ष तक प्रतिदिन 7800 मकानों के निर्माण की योजना है यानि दो करोड़ मकान।

उन्होंने कहा कि “मेरा विश्वास है कि महान सपने को साकार करने में हमें सीबीआरआई से मदद मिलेगी”। देश में ईंट उद्योग निर्माण और विभिन्न प्रकार इमारतों के लिए प्रौद्योगिकी हेतू सीएसआईआर-सीबीआरआई के योगदान को व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है और जाना जाता है ।

” मुझे लगता है कि तकनीकी इनपुट के मामले या जो कुछ सीएसआईआर से उपलब्ध हो सकता है उससे भारत सरकार की सभी प्रमुख पहले जैसे स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, सशक्त भारत, स्मार्ट गांवों, स्मार्ट शहर, मेक इन इंडिया से गहरायी से संबन्धित है।

मेरा विश्वास है कि अगर यह संस्थान आवासीय मिशन के एक भव्य रूप से सफल बनाने के लिए शपथ ले तो कुछ नई प्रौद्योगिकियों भी सीबीआरआई में विकसित की जा सकती है। मंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार कार्य सम्पन्ता के लिए सीएसआईआर-सीबीआरआई के विशाल अनुभव और क्षमताओं पर निर्भर करेगी।

अपने संबोधन के दौरान उन्होंने स्टाफ के सदस्यों के साथ बातचीत की और उन्हें सौंपे राष्ट्रीय कार्यों को पूरा करने में विविध चुनौतियों के बारे में उन की बात सुनी। साथ ही अन्य विकसित समाजों के साथ बराबरी का विश्व नागरिक मानते हुए उन्होंने इस बात कि बल दिया कहा कि उन्हें पिछली ख्याति और उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं होना है बल्कि समाज के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं लीक से हट कर समाधान के लिए उन पर विचार करने के लिए लगातार कोशिश करनी चाहिए।

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ एम ओ गर्ग और सीएसआईआर-सीबीआरआई के निदेशक डॉ गिरीश साहनी के साथ मंत्री जी ने भारी टेस्टिंग प्रयोगशाला, ग्रामीण पार्क, आग अनुसंधान प्रयोगशाला और पॉलिमर प्लास्टिक और समग्र प्रयोगशाला की जैसी विभिन्न प्रयोगशालाओं का दौरा किया। इस अवसर पर उन्होंने “प्रौद्योगिकी दीर्घा” का उद्घाटन किया जिसमें सभी अनुसंधान गतिविधियों को सचित्र रूप में प्रदर्शित किया गया है।

उद्योग जगत से कुछ प्रतिनिधि, जिन्होने संस्थागत अनुसंधान कार्य की उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए लाइसेंस ले लिया है, इस अवसर पर उपस्थित थे और सीबीआरआई प्रौद्योगिकियों के साथ अपनी सफलता की कहानियां साझा की है। सीएसआईआर-सीबीआरआई को सहयोग करने के लिए उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को धन्यवाद करते हुए उन्होंने चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए अधिक से अधिक भागीदारी गढ़ने के लिए कहा । प्रधानमंत्री ने “मेक इन इंड़िया” के लिए आह्वान किया है और हमें युवा शक्ति के उपयुक्त उपयोग के लिए आने वाने वर्षो में रोजगार के लाखों अवसर पैदा करने की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि निर्बाध साझेदारी से आम आदमी के लाभ के लिए उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में मदद मिलेगी । मंत्री जी ने उद्योग जगत को मशविरा देते हुए कहा कि कम खर्चीली और काफी कम कार्बन उत्सर्जन वाली नैनो तकनीक पर आधारित सामग्री सहित भारतीय मूल की अक्षय और हरित की सामग्री के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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