35 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

डॉ. हर्षवर्धन ने एक वर्चुअल बैठक में एसटीआईपी-2020 के बारे में भारतीय वैज्ञानिक प्रवासियों के साथ अपनी तरह के पहले नीतिगत परामर्श का आयोजन किया

देश-विदेश

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भारत की विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (एसटीआईपी)-2020 में योगदान करने के लिए चैनल सुविधा उपलब्‍ध कराने के लिए अत्यधिक कुशल भारतीय प्रवासियों के साथ कल शाम नई दिल्‍ली में आयोजित अपनी तरह के पहले नीतिगत परामर्श बैठक की अध्यक्षता की। इस परामर्श बैठक में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर के. विजयराघवन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, प्रोफेसर आशुतोष शर्मा, हेल्थकेयर-बायोटेक सलाहकार, डॉ. विजय चौथईवाले, विदेश मंत्रालय में अपर सचिव सुश्री रेणु पॉल और दुनिया भर के भारतीय वैज्ञानिक प्रवासी तथा गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image00389K3.jpg

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0046ENU.jpg

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image005YDM5.jpg

      डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस ऐतिहासिक नीति की इसलिए शुरुआत की गई क्‍योंकि भारत और विश्व ने कोविड-19 संकट के वर्तमान संदर्भ में पुनर्स्‍थापना शुरू की है। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि इस परामर्श का उद्देश्य एसटीआईपी- 2020 के निर्माण में प्रमुख विचारों का सृजन करना और उन्‍हें सुगम बनाने के साथ-साथ नीतिगत निरूपण प्रक्रिया में प्रवासी भारतीयों को प्रमुख हितधारकों के रूप में शामिल करना है। उन्‍होंने भारतीय वैज्ञानिक प्रवासियों को इस नीति के बारे में अपने सुझाव साझा करने के लिए प्रोत्‍साहित करते हुए कहा कि ये सुझाव एसटीआई नीति के मसौदे में शामिल किए जाएंगे और इनके बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा।

      ऐसे नीतिगत स्तर के तंत्र का निर्माण करना बहुत महत्वपूर्ण है जो देश की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए उचित अवसरों का सृजन करने में सक्षम बनाता है। इस आगामी नीति का उद्देश्य भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र के साथ जुड़ाव के लिए संस्थागत तंत्र की मदद से पहली और दूसरी दोनों पीढ़ी के प्रवासियों के साथ चर्चा करना है। डॉ. हर्षवर्धन ने इस बात पर जोर दिया कि वैभव शिखर सम्मेलन और अभी हाल में शुरू किए गए समर्पित तथा एस एंड टी प्रवासियों के वन स्टॉप प्लेटफॉर्म ‘प्रभाष’ इस जुड़ाव के लिए भारत सरकार के कुछ सक्रिय कदम हैं।

      प्रवासी भारतीयों की व्‍यापक अप्रयुक्त क्षमता को स्वीकार करते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वैज्ञानिक प्रवासी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास का  अंतर्राष्ट्रीयकरण करने और देश की प्रौद्योगिकी गहनता दोनों को ही बढ़ाने में व्‍यापक योगदान देते हैं। उन्होंने यह भी उल्‍लेख किया कि भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और बायोटेक उद्योग के विकास में बड़े और उच्च कुशल भारतीय प्रवासी समुदायों का महत्वपूर्ण योगदान है।

      नोबेल पुरस्कार विजेता और भारत रत्न से सम्‍मानित प्रो.सी.वी. रमन को उनकी जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि देते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में राष्ट्रीय विकास में काफी तेजी देखी गई है जिससे भारत एक वैश्विक एसटीआई नेता के रूप में स्‍थापित हुआ है। प्रकाशन, पेटेंट और अनुसंधान प्रकाशनों की गुणवत्ता के रूप में देश के प्रदर्शन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रतिव्‍यक्ति अनुसंधान एवं विकास व्‍यय में काफी बढ़ोत्‍तरी हुई है और इसमें निजी क्षेत्र की व्‍यापक भागीदारी रही है। बाह्य अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में महिलाओं की भागीदारी लगभग दोगुनी हो गई है। भारत नैनोटेक्नोलॉजी जैसी उभरती हुई प्रौद्योगिकियों में भी सक्रिय रूप से काम कर रहा है। समग्र एवं मितव्‍ययी नवाचार में भारत की क्षमता को वैश्विक रूप से मान्‍यता प्राप्‍त हुई है।

      डॉ. हर्षवर्धन ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का उद्देश्य एसटीआई में प्रगति को गति प्रदान करने के लिए भारतीय प्रवासियों को पुन: भारतीय वैज्ञानिक एवं आर्थिक प्रास्थितिकी तंत्र में जोड़ना है। उनके सहयोग को मजबूती प्रदान करने से भारत विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार के सभी क्षेत्रों में मजबूत विकास के लिए पूरी दुनिया में उनकी एस एंड टी विशेषज्ञता का लाभ उठाने में सक्षम होगा।

      प्रवासी भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए सुझावों की प्रशंसा करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिक प्रवासियों को पूरी दूनिया में सर्वाधिक जीवंत प्रवासी समुदायों के रूप में जाना जाता है। भारतीय मूल के लोग अकादमिक, उद्योग और सरकार में भी नेतृत्व की भूमिका निभा रहे हैं, यहां तक ​​कि कुछ प्रौद्योगिकी रूप से सबसे उन्नत देशों में भी इस तरह के उदाहरण सामने आ रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि न केवल हमारे राष्ट्रीय विकास के लाभ के लिए, बल्कि वैश्विक कल्याण के लिए भी भारतीय वैज्ञानिक प्रवासियों के साथ जुड़ने और कार्य करने की व्यापक संभावना है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image006UZ8A.jpg

      तैयार की जाने वाली नई नीति के बारे में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि एसटीआईपी-2020 का मूल दृष्टिकोण नीचे से ऊपर तक समावेशी प्रक्रिया द्वारा नीति का विकेद्रीकरण करना है। इसका उद्देश्य बड़ी सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लक्ष्यों के साथ प्राथमिकताओं, क्षेत्रीय फोकस और अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास के तरीकों का निर्माण करना है। इस प्रस्तावित एसटीआई नीति से हाल के वर्षों में देखी गई एसटीआई प्रणाली की जबरदस्‍त प्रगति का लाभ उठाना और एक ऐसे दीर्घकालिक मार्ग का निर्माण करना है जो लाखों युवा भारतीय वैज्ञानिकों और छात्रों के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ हो। ऐसा केवल तभी किया जा सकता है जब हम नीति निर्माण को पूरी तरह से समावेशी और सहभागी बनाएं।

      प्रोफेसर विजय राघवन ने भारत के विकास में भारतीय प्रवासियों की भूमिका के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि एसटीआईपी-2020 की शानदार परामर्श प्रक्रिया भारत के एस एंड टी भविष्य के लिए इनकी विशेषज्ञता को तथ्यपूर्ण बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण होगी। राजदूत रेणु पॉल ने उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के गलियारों को जोड़ने में प्रवासियों की भूमिका के बारे में बातचीत की।

      प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि एसटीआईपी-2020 एक इच्छाओं की सूची मात्र ही नहीं है, बल्कि कार्ययोजना प्रक्रिया का संकलन है। उन्‍होंने एक व्‍यापक नीति का निर्माण करने के लिए गहराई से जुड़े मस्तिष्‍कों के महत्‍व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह नीति लोगों से जुड़ी है और भविष्‍य के लिए तैयार है। डॉ. विजय चौथईवाले, हेल्थकेयर-बायोटेक कंसल्टेंट ने सभी प्रवासियों से अपील की कि वे एसटीआईपी-2020 का निर्माण करने में विभिन्‍न योजनाओं के तहत भागीदारी करें और पूरे मनोयोग से अपनी विशेषज्ञता का योगदान करें।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image007JFNR.jpg

एसटीआईपी-2020 का निरूपण 4 अंतः संबंधित ट्रैकों, 21 विशेषज्ञों द्वारा संचालित विषयगत समूहों द्वारा संचालित है। इसमें सार्वजनिक विचार-विमर्शो/परामर्शों पर ध्‍यान केंन्द्रित किया जा रहा है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य राष्ट्रीय एसटीआई पारिस्थितिकी तंत्र के लिए कार्यान्‍वयन रणनीतियों, अनुमानित प्रदेय उत्‍पादों और कठोर निगरानी तंत्र के अनुरूप सिफारिशों के लिए प्राथमिकता वाले मुद्दों को परिभाषित करना है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More