38 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड-19 के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में चर्चा के लिए राज्योंl/संघशासित प्रदेशों के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता की

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के जरिए  राज्‍यों/संघशासित प्रदेशों के स्‍वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा शिक्षा मंत्रियों और वरिष्‍ठ अधि‍कारियों के साथ देश में कोविड-19 से निपटने की तैयारियों और सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य उपायों की समीक्षा के दौरान कहा, “कोविड-19 के खिलाफ जंग में अपने-अपने राज्‍यों और संघशासित प्रदेशों में आपके द्वारा उठाए जा रहे कदमों और स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए मैं आपको बधाई देता हूं।” इस बैठक के दौरान केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार राज्‍य कल्‍याण मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे भी मौजूद थे।

इस वीडियो कॉन्‍फ्रेंस में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और उत्तराखंड की ओर से भागीदारी की गई।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “महामारी के खिलाफ जंग अब साढ़े तीन महीने से अधिक पुरानी हो चुकी है और राज्यों के सहयोग से देश में कोविड-19 की रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन की उच्चतम स्तर पर निगरानी की जा रही है।” उन्होंने कहा कि देश में मृत्यु दर 3 प्रतिशत है और स्‍वस्‍थ होने की दर 20 प्रतिशत से अधिक है। सरकार द्वारा किए जा रहे निगरानी के प्रयासों का उल्‍लेख करते हुए उन्होंने कहा, “हम अपने दुश्‍मन का ठौर-ठिकाना जानते हैं और उचित, श्रेणीबद्ध एवं निर्देशित जवाबी कार्रवाई के साथ हम उस पर काबू पाने की स्थिति में हैं।”

उन्होंने बताया, “हमने राज्यों की सहायता करने, स्थिति की समीक्षा करने और कोविड-19 के खिलाफ दिन-प्रतिदिन की लड़ाई में मदद करने के लिए तकनीकी अधिकारियों के दल भेजे हैं।” एंटी-बॉडी टेस्ट के मामले पर उन्होंने कहा, “अलग-अलग जगहों पर इन परीक्षणों के भिन्‍न-भिन्‍न परिणाम आ रहे हैं और इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ ने भी इनकी सटीकता पर कोई टिप्पणी नहीं की है। आईसीएमआर अपनी प्रयोगशालाओं में इस टेस्‍ट और किट्स की दक्षता की समीक्षा कर रहा है और वह जल्द ही नए दिशा-निर्देश जारी करेगा।”

महामारी के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा से स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की सुरक्षा के लिए महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन के लिए भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा लागू अध्यादेश से राज्यों को अवगत कराते हुए उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के साथ किसी भी तरह की हिंसा और नैदानिक ​​प्रतिष्ठानों की संपत्ति को हानि पहुंचाए जाने को कतई बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। संशोधन ऐसी हिंसक गतिविधियों को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाता है। हिंसा के ऐसे कृ‍त्‍यों को करने या उनके लिए उकसाने पर तीन महीने से लेकर पांच साल तक की कैद की सजा हो सकती है और 50,000 रुपये से  2,00,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है, जिसे गंभीर चोट लगने पर छह महीने से लेकर सात साल तक की कैद की सजा तक बढ़ाया जा सकता है और 1,00,000 रुपये से 5,00,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।” उन्होंने बताया, “भारत सरकार ने कोविड-19 के प्रकोप के प्रबंधन में शामिल फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मचारियों जिनमें सफाई कर्मचारी, डॉक्टर, आशा कार्यकर्ता, पैरामेडिक्स, नर्स और यहां तक ​​कि निजी डॉक्टर भी शामिल हैं, के निधन पर 50 लाख रुपये के बीमे की घोषणा की है।”

उन्‍होंने प्रत्‍येक राज्‍य के पास मौजूद पीपीई, एन-95 मास्‍क, टेस्टिंग किट्स, दवाइयों और वेंटिलेटर्स की जरूरत और पर्याप्‍तता की स्थिति की भी समीक्षा की और भरोसा दिलाया कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इन आवश्‍यक वस्‍तुओं की आपूर्ति में कोई कमी न होने पाए। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “पीपीई और एन-95 मास्‍क देश में आयात करने पड़ते थे लेकिन अब इनकी लगभग 100 विनिर्माण इकाइयां हैं, जो इनका भारत में ही निर्माण करने में सम‍र्थ हैं।” राज्‍यों के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्‍होंने कहा कि वे एक-दूसरे की अच्‍छी पद्धतियों का भी अनुसरण कर सकते हैं।

डॉ. हर्षवर्धन ने देश में समर्पित कोविड-19 अस्‍पतालों की स्थिति की भी समीक्षा की। उन्‍होंने कहा, “जितनी जल्‍दी संभव हो सके देश के हर एक जिले में समर्पित कोविड-19 अस्‍पतालों की स्‍थापना किए जाने और उन्‍हें अधिसूचित किए जाने की जरूरत है, ताकि लोगों को उनकी जानकारी मिल सके।”

डॉ. हर्षवर्धन ने सभी मंत्रियों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि किसी भी गैर-कोविड मरीज की अनदेखी न होने पाए। उन्‍होंने कहा, “जहां एक ओर हम कोविड-19 मरीजों को उपचार और देख-रेख उपलब्‍ध करा रहे हैं, वहीं हमें गैर-कोविड मरीजों, जो श्‍वसन रोग या हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, जिन्‍हें डायलिसिज की जरूरत है, जिन्‍हें खून चढ़ाने की जरूरत है और जो गर्भवर्ती माताएं हैं- का उपचार सुनिश्चित करने की भी आवश्‍यकता है। हम कोई भी छिछला बहाना बनाकर उन्‍हें लौटा नहीं सकते, क्‍योंकि ये गंभीर प्रक्रियाएं इंतजार नहीं कर सकतीं।” उन्‍होंने राज्‍यों/ संघशासित प्रदेशों से स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देने को कहा। साथ ही उनसे अन्य वेक्‍टर जनित बीमारियों जैसे मलेरिया, डेंगू तथा टीबी, के लिए खुद को तैयार रखने का भी आग्रह किया। उन्‍होंने कहा कि इन बीमारियों को वर्तमान परिस्थितियों में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

उन्होंने सभी से आरोग्यसेतु ऐप को डाउनलोड करने और उसका उपयोग करने का आग्रह किया क्योंकि यह लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने के उनके जोखिम का आकलन करने में सक्षम करेगा। उन्होंने कहा, “एक बार स्मार्ट फोन में इंस्टॉल होने के बाद, ऐप अत्‍याधुनिक मापदंडों के आधार पर संक्रमण के जोखिम का आकलन कर सकता है।”

अंत में, डॉ. हर्षवर्धन ने सभी से सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने का आग्रह किया। उन्होंने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों को प्रक्रिया की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने को कहा। उन्होंने सलाह दी “हमें लॉकडाउन 2.0 का अक्षरश: पालन करना चाहिए जैसा कि पहले किया गया था। उन्होंने राज्यों को लॉकडाउन के दौरान अपने दृष्टिकोण में ज्‍यादा ढील न देने और मानकों को बनाए रखने की चेतावनी दी। उन्होंने कुशलतापूर्वक लॉकडाउन को लागू कर रहे उत्तर प्रदेश का उदाहरण दिया और अन्य राज्यों को उसका अनुकरण करने की सलाह दी।

डॉ. हर्षवर्धन ने राज्यों/संघशासित प्रदेशों से अपना जोश बरकरार बनाए रखने का आह्वान किया ताकि देश इस महामारी से निपटने के दौरान महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में अधिक लचीला और आत्मनिर्भर बनकर उभरे। उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल देश है और राज्यों/संघशासित प्रदेशों की सहायता से हम कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को उसके वांछित अंजाम तक ले जाएंगे।

समीक्षा बैठक के दौरान सुश्री प्रीति सूदन, सचिव (एचएफडब्ल्यू), डॉ. बलराम भार्गव, सचिव डीएचआर एंड डीजी, आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और आईसीएमआर के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More