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Democracy is the ideal system of governance and Shri Atal ji has succeeded in preserving it: Venkaiah Naidu

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New Delhi: The Vice President of India, Shri M. Venkaiah Naidu has said that democracy is the ideal system of governance and Shri Atal ji has succeeded in preserving it. He was addressing the gathering after releasing the Books on former Prime Minister, Shri Atal Bihari Vajpayee, ‘Sarvapriya Atalji’, ‘Jannayak Atalji’ and ‘Atal Jeevan Gatha’, here today. The Minister of State for Parliamentary Affairs and Statistics & Programme Implementation, Shri Vijay Goel and other dignitaries were present on the occasion.

The Vice President said that Books have been the ideal mirror of society and in that mirror, the image of the ideals of society is influenced, so any book is full of its true meaning. He further said that it is the greatness of the life of Shri Atal ji that it is a challenging task in him to crimp it in words. But one thing is true that Shri Atal ji was a good poet first and later an ideal politician, he added.

The Vice President said that everyone knows that the personality of Shri Atal ji fulfilled all the resolutions taken for this country and persisted on all his promises. He further said that Shri Atal ji has been the patron of the values of democracy and the value of voting and he always went on to serve the nation and went about unity and consent in all the circumstances. Because of his qualities, he became the first politician of the country who first formed a coalition government, he added.

The Vice President said that Shri Atal ji always preferred public welfare and he was always worried about farmers, poor people, uneducated, destitute and neglected classes. For this, he initiated several welfare schemes which, in its own right, were made for new development for the country, he added.

The Vice President said that democracy is the ideal system of governance and Shri Atal ji has succeeded in preserving it. For this reason his rule was remembered as good governance, he added.

Following is the text of Vice President’s address in Hindi:

“मैं इन अनन्य और अमूल्य ग्रन्थों के प्रकाशन के लिए डॉ. सुरेश चंद, किंगशुक नाग एवं डॉ. रश्मि को हार्दिक बधाई देता हूँऔर इन पुस्तकों के प्रकाशन के लिए प्रकाशक – ग्रंथ अकादमी, प्रभात प्रकाशन और ज्ञान गंगा को मेरी अनंतशुभकामनाएं।

पुस्तकें समाज का आदर्श दर्पण रही हैं और उस दर्पण में समाज के आदर्शों की छवि प्रतिभासित हो, तो कोई भी पुस्तकअपने सही अर्थ में चरितार्थ होती है।

ऐसे ही आदर्शों  की प्रतिमूर्ति हैं, हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री पद्मविभूषण और भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी।

रश्मि जी ठीक कहती हैं कि ये अटल जी के जीवन की विराटता ही है कि उसे शब्दों में समेटना अपने आप में एक चुनौतीभरा काम है। पर एक बात सच है कि अटल जी पहले एक सुकोमल कवि हैं और बाद में एक आदर्श राजनेता।

उन्होने यह साबित कर दिया कि कोई कवि और विद्वान भी राजनीति में न केवल प्रवेश कर सकता है बल्कि उसमें शीर्षस्थान तक पहुँच सकता है। और देश को भी साहित्य के अनुरूप हित साधन के आदर्श मार्ग पर उन्मुख कर सकता है।

ये तीनों पुस्तकें अटल जी को समर्पित हैं। एक में उन्हें सर्वप्रिय कहा गया है, एक में उन्हें जननायक के रूप में याद कियागया है। और एक में उनकी दीर्घ जीवनयात्रा का स्मरण किया गया है।

सब जानते हैं कि अपने नाम के अनुरूप अटल जी का व्यक्तित्व भी अटल ही रहा है। उन्होने अपने देश के लिए, लिए गए सभी संकल्पों को निभाया और अपने सभी वचनों पर सदा कायम रहे।

उन्होने राजनीति में भी कुछ ऐसे कार्य किए जो अपने आप में नवीन उदाहरण बनें।

जैसे अटल जी देश के पहले ऐसे गैर- कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने जिन्होंने बतौर प्रधानमंत्री पूरे पांच साल सरकार चलाई। अटल बिहारी वाजपेयी इतने लोकप्रिय थे कि उन्होंने राजनीति में अलग कीर्तिमान स्थापित किए।

और वह पहले ऐसे सांसद बने जिन्हें चार राज्यों यूपी, एमपी, गुजरात और दिल्ली से चुना गया। यह उनकी लोकप्रियता का प्रत्यक्ष सबूत है।

अटल जी लोकतन्त्र के सम्मान और मतदान के मूल्य के संरक्षक रहे हैं। वे सदैव देश सेवा के लिए आगे बढ़े और सभी हालातों में एकता और सम्मति को लेकर चले। उनके इस गुण के कारण ही वे देश के पहले ऐसे राजनेता बने जिन्होंने पहली बार गठबंधन की सरकार बनाई। उनके इस सफल प्रयास ने भारतीय राजनीति को हमेशा-हमेशा के लिए बदलकर रख दिया।

अटल जी की हित साधना अपनी पराकाष्ठा पर रही है। उन्होने सदैव जनकल्याण को ही वरीयता दी। वे हमेशा किसानों, निर्धन लोगों, अशिक्षित, बेसहारा और उपेक्षित वर्ग के लिए चिंतित रहे हैं। इस हेतु उन्होने अनेक ऐसी कल्याणकारी योजनाओं का आरंभ किया जो अपने आप में देश के लिए नवीन विकास की हेतु बनीं।

अटल जी ने सदैव देश को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास किया। वे चाहते थे कि देश का प्रत्येक परिवार का उचित भरण पोषण हो और आर्थिक रूप से सभी सशक्त हों। इस हेतु की पूर्ति की लिए उनकी कुछ योजनाएँ मील के पत्थर साबित हुई। जैसे स्वर्णिम चतुर्भुज योजना अपने आप में एक ऐसी योजना रही जिसे न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में सराहा गया। यह भारत का एक प्रसिद्ध राजमार्ग है जो कई औद्योगिक, सांस्कृतिक एवं कृषि सम्बन्धी नगरों को जोड़ता है। ऐसा माना गया है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ इतना केवल इतिहास में शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था। यह निश्चित ही भारत की एक अभूतपूर्व उपलब्धि है।

अटल जी ने संतुलित वेदेश नीति का पालन करते हुए अपनी परमाणु नीति को स्पष्ट रूप प्रदान किया। अटल जी ने बहुमत सरकार न होने पर भी अपनी समन्वयकारी योजनाओं से परमाणु बम का सफल परीक्षण किया, और देश को विश्व में अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए गौरवान्वित किया। अटल जी ने पड़ौसी देश के साथ संबंध सुधारने की दिशा में भी सदा पहल की और विपरीत स्थिति से निपटने के लिए करगिल जैसे युद्धों में भारत को विजयी बनाने एवं दिल्ली और लाहौर के बीच बस सेवा शुरू करवाने जैसे कई असंभव कार्य किए। और शिक्षा का अधिकार योजना पर बल देने और देश में दूरसंचार के क्षेत्र में क्रांति लाने का श्रेय भी अटल जी को ही जाता है।

अटल जी सदैव अपनी विनोदी प्रकृति से सबको आश्चर्यचकित करते रहे हैं, इसलिए उनका राजनीति का जीवन भी मनोविनोद से भरपूर रहा है। उन्होने सभी को सब स्थितियों में शांतचित्त और आनंदित रहने की शिक्षा दी। उन्होने संसद के गलियारों को भी किसी विश्वविद्यालय के प्रांगण या किसी आदर्श संगोष्ठी का रूप प्रदान किया। इसलिए उनके भाषणों में उनकी प्रेरक और रसमय कविताएं घुली होती थी।

लोकतन्त्र शासन की आदर्श प्रणाली होती है और अटल जी इसी आदर्श को प्रतिष्ठित करने में सफल रहे हैं। इस कारण उनके शासन को सुशासन के रूप में याद किया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अटल जी ने शासन और सेवा इन दो शब्दों को पर्याय के रूप में सिद्ध किया है। इस कारण वे सच्चे भारतरत्न हैं।

ये तीनों पुस्तकें अपने आप में अनुपम हैं। मेरे विचार से ये पुस्तकें केवल अटल जी के द्वारा देश के लिए किए गए योगदान को और गहराई से जानने का माध्यम ही नहीं है बल्कि ये पुस्तकें लोकतंत्र के आदर्श और सुशासन की उत्तम विधि से अवगत होने का आदर्श साधन हैं। ये सभी ग्रंथ अवश्य ही भारतीय साहित्य और राजनीतिक शोध के उपकरण सिद्ध होंगे।

में आशा करता हूँ कि भविष्य में भी ऐसी अमूल्य पुस्तकों का लेखन और प्रकाशन जारी रहेगा।

अटल जी के लिए सुरेश जी की कुछ पंक्तियाँ बहुत समीचीन हैं :

युगपुरुष यशस्वी जननायक,

इतिहास पुरुष, लो अभिनंदन,

तुम स्वाभिमान, तुम समाधान,

   शत शरद जियो, लो अभिनंदन।

सुरेश जी, नाग जी और रश्मि जी को, एक बार फिर से, मेरा विशेष साधुवाद।

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