36 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

प्रधानमंत्री ने ‘नेशनल एटोमिक टाइमस्‍केल’ और ‘भारतीय निर्देशक द्रव्‍य प्रणाली’ राष्‍ट्र को समर्पित की

देश-विदेश

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने द्रव्‍य सृजन के लिए विज्ञान के मूल्‍य सृजन चक्र को बढ़ावा देने के लिए आज वैज्ञानिक समुदाय को प्रोत्‍साहित किया। प्रधानमंत्री नेशनल मेट्रोलॉजी कॉन्क्लेव 2021 के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नेशनल एटॉमिक टाइमस्‍केल और भारतीय निर्देशक द्रव्य प्राणाली राष्ट्र को समर्पित की और राष्ट्रीय पर्यावरण मानक प्रयोगशाला की आधारशिला भी रखी।

प्रधानमंत्री ने कहाकिऐतिहासिक रूप सेकिसी भी देश ने विज्ञान को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में प्रत्यक्ष सह-संबंधों में ही प्रगति की है। उन्होंने इसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग के ‘मूल्य सृजन चक्र’की संज्ञा दी। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि एकवैज्ञानिक आविष्कार प्रौद्योगिकी का निर्माण करता है और प्रौद्योगिकी से औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलता है। इसके बदले में उद्योगनए अनुसंधान के लिए विज्ञान में और निवेश करता है। यह चक्र हमें नई संभावनाओं की दिशा की ओर ले जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सीएसआईआर-एनपीएल ने इस मूल्य चक्र को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि द्रव्‍य सृजन के लिए विज्ञान का मूल्य सृजन चक्र आज की दुनिया में अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, जब देश आत्‍मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने सीएसआईआर-एनपीएल नेशनल एटॉमिक टाइमस्‍केल के बारे में प्रसन्नता जाहिर करते हुए उसे आज मानवता को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि भारत समय को नैनो सेकंड के दायरे में मापने के लिए आत्मनिर्भर हो गया है। 2.8 नैनो सेकेंड के सटीक स्तर को प्राप्त करना अपने आपमें एक बहुत बड़ी क्षमता है। अब भारतीय मानक समय 3 नैनो सेकंड से भी कम सटीक स्‍तर के साथ अंतर्राष्ट्रीय मानक समय केअनुरूप हो गया है। इससे इसरो जैसे संगठनों को बहुत मदद मिलेगी, जो अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ काम कर रहे हैं। बैंकिंग, रेलवे, रक्षा, स्वास्थ्य, दूरसंचार, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन और इसी प्रकार के अनेक क्षेत्रों से संबंधित आधुनिक प्रौद्योगिकी इस उपलब्धि से बहुत लाभान्वित होगी।

प्रधानमंत्री ने उद्योग 4.0 में भारत की भूमिका को मजबूत बनाने में टाइम स्‍केल की भूमिका के बारे में भी ध्‍यान केन्द्रित किया। भारत पर्यावरण के क्षेत्र में शीर्ष स्थिति की ओर बढ़ रहा है। अभी भीवायु की गुणवत्ता और उत्सर्जन को मापने के लिए आवश्‍यक प्रौद्योगिकी और उपकरणों के बारे मेंभारत दूसरों पर निर्भर है। इस उपलब्धि से इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और प्रदूषण नियंत्रण के लिए अधिक प्रभावी तथा सस्ते उपकरणों के निर्माण को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे वायु गुणवत्ता और उत्सर्जन प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रौद्योगिकियों के लिए वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी भी बढ़ेगी। हमने यह उपलब्धि अपने वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयासों से हासिल की है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More