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मुख्यमंत्री ने सारस एवं वेटलैण्ड संरक्षण पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि सारस के संरक्षण के लिए वेटलैण्ड्स का संरक्षण जरूरी है, तभी यह पक्षी रुक पाएंगे। पक्षियों के संरक्षण के

लिए जागरुकता जरूरी है। सारस उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी है, जिसके संरक्षण हेतु हर सम्भव प्रयास किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री आज सैफई, इटावा में सारस एवं वेटलैण्ड्स संरक्षण पर आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे अधिक सारस पक्षी भारत में पाए जाते हैं। देश में पाए जाने वाले सारस पक्षी की कुल संख्या का 60 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में है। सारस जीवन भर के लिए जोड़ा बनाते हैं। पक्षी हमारे मित्र हैं इनसे हमें जीवन के लिए कई जरूरी सीख भी मिलती है।
श्री यादव ने कहा कि शेखा झील को वल्र्ड झील बनाए जाने हेतु चयनित कर लिया गया है, जिसका सौन्दर्यीकरण करके विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अधिकाधिक उत्पादन के लालच में ज्यादा से ज्यादा रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग करने से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है, जिसका असर प्राणि जगत पर भी पड़ रहा है। वेटलैण्ड्स संरक्षण कार्य में ग्राम प्रधान व किसान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। संगोष्ठी में आये देश-विदेश के संरक्षण विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों द्वारा दिये गये सुझावों को लागू करने में धन की कमी आड़े नहीं आने दी जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार हर क्षेत्र में अच्छे से अच्छा कार्य करके उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बना रही है। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का कार्य तेजी से चल रहा है। यह शीघ्र ही पूरा हो जाएगा। किसानों के लिए मुफ्त सिंचाई की सुविधा प्रदान की गई है। डेरी उद्योग को बढ़ाने के हर सम्भव प्रयास किए जा रहे हैं। साइकिल को बढ़ावा देने के लिए इस पर से वैट हटा लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सारस संरक्षण हेतु अच्छा कार्य करने वाले ‘सारस मित्रों’-श्री सौरभ शुक्ला, श्री संदीप दुबे, महाराष्ट्र के डा0 असद रहमानी, वियतनाम से आये डा0 टेªन टेªट, उडीसा के श्री वी. सी. चैधरी तथा कर्नाटक के श्री गोपी सुन्दर को शाल ओढ़ाकर सम्मानित करते हुए घोषणा की कि सारस संरक्षण हेतु अच्छा कार्य करने वाले सारस मित्रों को एक हजार रूपये प्रतिमाह भत्ता प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने ‘सारस क्रेन-ए पिक्टोरियल लाइफ हिस्ट्री’ काॅफी टेबल बुक, ‘क्रेन काॅन्टीच्युएन्सी’ किताब, ‘बर्ड फेस्टिवल-एक रिपोर्ट’ किताब तथा ‘यू0पी0 ईको-टूरिज्म’ और ‘बर्ड आॅल यू0पी0’ पेन ड्राइव का विमोचन किया। इस अवसर पर सारस एवं वेटलैण्ड्स संरक्षण पर वन विभाग एवं अन्तर्राष्ट्रीय क्रेन फाउण्डेशन के साथ समझौता ज्ञापन (एम0ओ0यू0) का आदान-प्रदान भी हुआ।
इस अवसर पर वन मंत्री श्री दुर्गा प्रसाद यादव ने अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तर  प्रदेश वन विभाग में सारस पक्षी के संरक्षण हेतु वर्ष 2006 में सारस संरक्षण समिति का गठन किया गया था। सारस पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव श्री रूपक डे, श्री राम प्रताप सिंह, मैसूर के श्री गोपी सुन्दर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
संगोष्ठी में देश के साथ-साथ नेपाल, म्यांमार, वियतनाम तथा कम्बोडिया के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों द्वारा भाग लिया गया। इसके अतिरिक्त संगोष्ठी में वेटलैण्ड संरक्षण के लिए विभिन्न देशों के विशेषज्ञों, बाॅम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी, इण्टर नेशनल क्रेन फाउण्डेशन, वाइल्ड फाउल ट्रस्ट के विशेषज्ञों तथा प्रतिनिधियों द्वारा भाग लिया गया। भारत में सारस क्रेन उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ तथा उत्तर पूर्वी महाराष्ट्र में पाये जाते है। भारतवर्ष में क्रेन की 6 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें सारस सर्वाधिक लोक प्रिय है।
इस अवसर पर सांसद श्री तेज प्रताप यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री अंशुल यादव, विधायक श्रीमती सुखदेवी वर्मा, उ0प्र0 ग्रामीण आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान, सैफई के निदेशक ब्रिगेडियर श्री टी0 प्रभाकर, आयुक्त कानपुर मण्डल श्री मोहम्मद इफ्तिखारूद्दीन सहित भारी संख्या में गणमान्य नागरिक एवं पक्षी प्रेमी उपस्थित थे।

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