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गरुड़ पोर्टल के माध्यम से कोविड-19 से संबंधित ड्रोन/आरपीएएस संचालनों के लिए सरकारी संस्थाओं को सशर्त छूट

देश-विदेश

नई दिल्ली: नागरिक उड्डयन मंत्रालय और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने गरुड़ पोर्टल (https://garud.civilaviation.gov.in ) लॉन्च किया है ताकि कोविड-19 से संबंधित आरपीएएस (रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम) / ड्रोन संचालनों के लिए सरकारी एजेंसियों को फास्ट ट्रैक यानी तेज़ी से सशर्त छूट प्रदान की जा सके।

गरुड़ दरअसल ‘राहत कार्यों के लिए ड्रोन उपयोग का सरकारी प्राधिकरण’ है। सक्षम प्राधिकरण से आवश्यक मंजूरी हासिल करना और दो हफ्ते से भी कम वक्त में ये पोर्टल लॉन्च करना, इस प्रक्रिया में शामिल नागरिक उड्डयन मंत्रालय, डीजीसीए, एएआई और एनआईसी के विभिन्न अधिकारियों की कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रमाण है। मंजूरी मिलने के बाद आठ दिनों की छोटी अवधि में इस पोर्टल को नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) नई दिल्ली के सीनियर सिस्टम एनेलिस्ट श्री विक्रम सिंह द्वारा अकेले घर से काम करते हुए डिजाइन, विकसित, बीटा-टेस्ट और लॉन्च किया गया।

रिमोट पाइलेटेड एयरक्राफ्ट (आरपीए) के संचालन से संबंधित नियम और कानून, विमान नियम 1937 के नियम 15ए और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा दिनांक 27.8.2018 को जारी नागरिक उड्डयन आवश्यकताएं (सीएआर) धारा 3 श्रृंखला 10 भाग 1 के तहत आते हैं।

अगर सशर्त छूट मंजूर की जाती है तो वो निम्नलिखित शर्तों के अधीन है:

  • ये सशर्त छूट कोविड​​-19 से संबंधित हवाई निगरानी, ​​हवाई फोटोग्राफी और सार्वजनिक घोषणाओं के लिए एक सरकारी संस्था द्वारा तैनात आरपीए तक सीमित होगी। अन्य आरपीए गतिविधियों के लिए, भले ही वे कोविड-19 संचालनों से संबंधित ही क्यों न हो, सामान्य प्रक्रिया के अनुसार नागरिक उड्डयन मंत्रालय और डीजीसीए से अलग से अनुमति मांगनी होगी।
  • ये सशर्त छूट केवल बैटरी से संचालित रोटरी-विंग आरपीए तक ही सीमित होगी। किसी भी अन्य प्रकार के आरपीए का उपयोग, जिसमें फिक्स्ड-विंग आरपीए और स्वायत्त आरपीए आदि शामिल हैं लेकिन उस तक सीमित नहीं है, पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
  • आरपीए के सुरक्षित संचालन की जिम्मेदारी पूरी तरह से संबंधित सरकारी संस्था के पास होगी। प्रत्येक आरपीए ऑपरेशन को सरकारी संस्था के समग्र पर्यवेक्षण और नियंत्रण में ही संचालित किया जाएगा। ये आरपीए किसी भी समय में जीवन, संपत्ति या किसी अन्य मानव संचालित / मानव रहित विमान के लिए खतरा पैदा नहीं करेगा।
  • संबंधित सरकारी संस्था अपने खुद के आरपीए को संचालित कर सकती है या आरपीए प्रदान करने और / या संचालित करने के लिए एक तीसरे पक्ष के आरपीए सेवा प्रदाता (“आरएसपी”) को साथ जोड़ सकती है। संबंधित आरएसपी और आरएसपी के आरपीए ऑपरेटरों के सुरक्षा सत्यापन और क्षमता मूल्यांकन की एकमात्र जिम्मेदारी उस सरकारी इकाई की होगी और इसे आरपीए को संचालित करने से पहले पूरा कर लिया जाना चाहिए।
  • संबंधित सरकारी संस्था हर समय उस आरपीए के कब्जे, सुरक्षा और एक्सेस कंट्रोल के लिए जिम्मेदार होगी और आरपीए द्वारा पहुंचाई गई किसी भी क्षति की स्थिति में किसी भी तीसरे पक्ष के दायित्व के लिए जिम्मेदार होगी।

संबंधित आरपीए और उसके संचालन को निम्नलिखित शर्तों का पालन करना होगा:

  • इस आरपीए की डीजीसीए द्वारा जारी एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईएन) और / या ड्रोन पावती संख्या (डीएएन) होगी;
  • ये आरपीए कुल 25 किलोग्राम वजन से अधिक का नहीं होगा;
  • इस आरपीए में कमांड-एंड-कंट्रोल लिंक के नुकसान की स्थिति में, इसमें एक स्वचालित रिटर्न-टू-होम सुविधा सुसज्जित होगी;
  • इसका संचालन 200 फुट जमीन से ऊपर की सीमा (एजीएल) की ऊंचाई तक सीमित रहेगा;
  • इस आरपीए को हर समय पर नजर की दृश्य सीमा (वीएलओएस) के भीतर संचालित करना होगा;
  • इस आरपीए को हर समय लोगों, इमारतों, वाहनों और संपत्ति से सुरक्षित दूरी बनाए रखते हुए संचालित किया जाएगा;
  • ये आरपीए कोई पदार्थ उठाने, छोड़ने, छिड़कने या डिस्चार्ज करने का काम नहीं करेगा;
  • इस आरपीए का ऑपरेशन स्थानीय सूर्योदय और स्थानीय सूर्यास्त के बीच की अवधि तक सीमित रहेगा।
  • आरपीए संचालन को प्रतिकूल मौसम की स्थिति के दौरान टाला जाएगा, जिसमें बहुत तेज़ हवाएं, बारिश, धूल के तूफान, कम विज़िबिलिटी आदि शामिल हैं लेकिन यहीं तक सीमित नहीं है;
  • इसका संचालक उड़ान के सभी चरणों में इस आरपीए को संभाल पाने में निपुण होना चाहिए, खासकर इसके किसी कंपोनेंट के फेल होने की स्थिति में इमरजेंसी रिकवरी कार्यों में;
  • बैटरी रिजर्व 15 मिनट तक कम हो जाने पर सभी आरपीए उड़ानों को तुरंत समाप्त कर दिया जाएगा; और
  • कोई भी व्यक्ति एक समय में एक से अधिक आरपीए ऑपरेशन के लिए दूरस्थ पायलट के रूप में कार्य नहीं करेगा।

निम्नलिखित भौगोलिक क्षेत्रों में कोई आरपीए ऑपरेशन नहीं किया जाएगा:

  • मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद में हवाई अड्डों की परिधि से 5 किमी की दूरी के भीतर;
  • ऊपर पैरा (ए) में उल्लिखित के अलावा किसी भी नागरिक, निजी या रक्षा हवाई अड्डों की परिधि से 3 किमी की दूरी के भीतर;
  • अस्थायी या स्थायी रूप से प्रतिबंधित, वर्जित और खतरे वाले क्षेत्रों के भीतर, जिसमें अस्थाई आरक्षित एयरस्पेस (टीआरए), और अस्थायी रूप से पृथक क्षेत्र (टीएसए, जैसा कि वैमानिकी सूचना प्रकाशन (एआईपी) में अधिसूचित है) शामिल हैं;
  • अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 25 किमी के भीतर जिसमें नियंत्रण रेखा (एलओसी), वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और वास्तविक भू स्थिति रेखा (एजीपीएल) शामिल हैं;
  • तटीय रेखा से समुद्र में 500 मीटर (क्षैतिज) दूर तक, अगर जमीनी स्टेशन जमीन पर किसी फिक्स प्लेटफॉर्म पर स्थित है;
  • सैन्य प्रतिष्ठानों / सुविधाओं की परिधि से 3 किमी के भीतर / जहां सैन्य गतिविधियां / अभ्यास किए जा रहे हैं, जब तक कि स्थानीय सैन्य प्रतिष्ठान / इकाई से मंजूरी न मिली हो;
  • दिल्ली के विजय चौक के 5 किमी के दायरे में। यह स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों / अधिकारियों द्वारा लगाई गई अतिरिक्त शर्तों / प्रतिबंधों के अधीन है;
  • गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा अधिसूचित रणनीतिक स्थानों / महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की परिधि के 2 किमी के भीतर, जब तक कि गृह मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिल जाती;
  • मोबाइल प्लेटफॉर्म से, जैसे कि चलती गाड़ी, जहाज या विमान से; तथा
  • राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों पर जो पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित हैं, बिना पूर्व अनुमति के।
  • राज्यों की राजधानियों में राज्य सचिवालय परिसर के 3 किमी के दायरे में।

इस सार्वजनिक सूचना के प्रावधान अगले आदेशों तक लागू रहेंगे।

भारत सरकार इस सार्वजनिक सूचना के प्रावधानों को संशोधित करने, वापस लेने या विस्तारित करने का अधिकार सुरक्षित रखती है, बिना कोई कारण बताए।

इस सार्वजनिक सूचना के प्रावधानों का कोई भी उल्लंघन, सशर्त छूट को शून्य बना देगा और मान्य कानून के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई को आमंत्रित करेगा।

इस सार्वजनिक सूचना का लिंक –

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