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हाइड्रोजन, फ्यूल सेल और ऊर्जा संग्रह एवम संरक्षण के पदार्थों पर सार-संग्रह जारी

देश-विदेश

हाइड्रोजन फ्यूल सेल और ऊर्जा संग्रह एवं संरक्षण के पदार्थों पर वैज्ञानिकों, उद्योग, जन उपयोगी सेवाओं, आरएंडडी प्रयोगशालाओं एवं शैक्षणिक समुदाय से जुड़े अन्य हितधारकों के द्वारा जारी शोध गतिविधियों से जुटाई गयी जानकारियों पर तीन सार-संग्रह जारी किये गये।

हाइड्रोजन एवं फ्यूल सेल (एचएफसी 2018), मटिरियल फॉर एनर्जी स्टोरेज (एमईएस 2018), और मटिरियल फॉर एनर्जी कंज़र्वेशन एंड स्टोरेज प्लेटफॉर्म (एमईसीएसपी 2017) नाम के इन तीन सार संग्रह को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा के द्वारा जारी किया गया।

कार्बन पर नियंत्रण के लिये हमारे ऊर्जा के विकल्पों में अक्षय ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग करना ही भारत का नीतियों का उद्देश्य है। जबकि कार्बन पर नियंत्रण के लिये अलग अलग समय के आधार पर कई रास्ते मौजूद हैं, नवीकरणीय ऊर्जा से मिलने वाली हाइड्रोजन को सबसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोत माना जाता है।

स्वच्छ ऊर्जा के उभरते परिदृश्य में हाइड्रोजन के महत्व को ध्यान में रखते हुए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने कुछ साल पहले ही पायलट रूप में एक छोटा आरएंडडी कार्यक्रम शुरू किया था जिसे भविष्य में राष्ट्रीय जरूरतों और प्राथमिकताओं के अनुसार विस्तार दिया जा सकता है। इस कार्यक्रम के तहत अब तक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था से संबंधित तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों, उत्पादन, भंडारण और उपयोग में उनतीस परियोजनाओं को मदद दी गयी है। ये सभी परियोजनाएं वर्तमान में कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इस कार्यक्रम को अब नेशनल हाइड्रोजन मिशन के अनुरूप विस्तार के साथ उसकी प्राथमिकताओं और विशेष आरएंडडी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये सटीक और मिशन के साथ बारीकी से जोड़ा जा सकता है।

पदार्थों की खोज और विकास पूरे ऊर्जा तकनीक पोर्टफोलियो, ऊर्जा उत्पादन एवं संग्रह से वितरण और अंतिम इस्तेमाल तक को प्रभावित करती है। पदार्थ हर स्वच्छ ऊर्जा नवाचार की नींव है: आधुनिक बैटरी, सोलर सेल, लो एनर्जी सेमीकंडक्टर, थर्मल स्टोरेज, कोटिंग, रुपांतरण के लिये उत्प्रेरक, कार्बन डाईऑक्साइड काअभिग्रहण और इस्तेमाल। संक्षेप में नये पदार्थ दुनिया भर को कम कार्बन के भविष्य में ले जाने के लिये आधारशिलाओं में एक का निर्माण करते हैं। नये पदार्थों को खोजने और विकसित करने की प्रक्रिया में वर्तमान में काफी समय, प्रयास और खर्च लगता है। हर नये खोजे गये अणु को कृत्रिम प्रक्रिया के जरिये ऊंची लागत के साथ 10 से 20 साल तक सिम्युलेशन, संश्लेषण और लक्षणों की जानकारियों से गुजारा जाता है। हालांकि पदार्थों की खोज और विकास एक बड़े बदलाव के करीब हैं, जो डिजाइन, अधिकतम उपयोगऔरनये पदाथों की खोज का वक्त 10 गुना कम कर एक या दो साल कर सकता है।

पदार्थों की खोज से जुड़ी चुनौतियों और संभावनाओं की पहचान कर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने अपनी स्वच्छ ऊर्जा रिसर्च पहल के तहत मटिरियल फॉर एनर्जी स्टोरेज (एमईएस 2018) और मटिरियल फॉर एनर्जी कंज़र्वेशन एंड स्टोरेज प्लेफार्म (एमईसीएसपी 2017) पर एक विषयगत अनुसंधान और प्रौद्योगिकी कार्यक्रम शुरू किया। अब तक इस कार्यक्रम के तहत 26 प्रोजेक्ट को मदद दी गयी और डीएसटी, भारत सरकार द्वारा स्थापित चार एमईसीएसपी केंद्र, आईआईटी दिल्ली, आईआईएससी बैंगलोर, एनएफटीडीसी हैदराबाद और आईआईटी बॉम्बे में केन्द्रित हैं।

मटिरियल फॉर एनर्जी स्टोरेज पर शोध एवं तकनीकी विकास सार-संग्रह

https://dst.gov.in/sites/default/files/1.%20Final%20Compendium%20-%20MES%202018.pdf

हाइड्रोजन और फ्यूल सेल पर सार-संग्रह

https://dst.gov.in/sites/default/files/2.%20Final%20Compendium%20-%20HFC%202018.pdf

मटिरियल फॉर एनर्जी कंज़र्वेशन एंड स्टोरेज प्लेटफॉर्म पर सार-संग्रह

https://dst.gov.in/sites/default/files/3.%20Final%20Compedium%20-%20MECSP%202017.pdf

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