29 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

आम की फसल को गुजिया एवं मिज कीट से बचाने के उपाय

उत्तर प्रदेशकृषि संबंधित

लखनऊ: प्रदेश में आम की अच्छी उत्पादकता सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से यह आवश्यक है कि आम की फसल को सम-सामयिक हानिकारक कीटों से बचाने हेतु उचित समय पर प्रबन्धन किया जाय। माह नवम्बर एवं दिसम्बर अत्यन्त महत्वपूर्ण है, इस माह में गुजिया एवं मिज कोट का प्रकोप प्रारम्भ होता है जिससे फसल को काफी क्षति पहुंचती है। अतएव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उ0प्र0 द्वारा बागवानों को कीट के प्रकार एवं प्रकोप के नियंत्रण हेतु निम्नलिखित सलाह दी जाती है।
गुजिया कीट के शिशु जमीन से निकल कर पेड़ों पर चढ़ते हैं और मुलायम पत्तियों, मंजरियों एवं फलों से रस चूसकर क्षति पहुचाते हैं। इसके शिशु कीट 1-2 मिमी0 लम्बे एवं हल्के गुलाबी रंग के चपटे तथा मादा वयस्क कीट सफेद रंग के पंखहीन एवं चपटे होते है। इस कीट के नियंत्रण के लिए बागों की गहरी जुताई/गुड़ाई की जाय तथा शिशु कीट को पेड़ों पर चढ़ने से रोकने के लिए माह नवम्बर-दिसम्बर मेें आम के पेड़ के मुख्य तने पर भूमि से 50-60 से0मी0 की ऊंचाई पर 400 गेज की पालीथीन शीट की 50 सेमी0 चैड़ी पट्टी को तने के चारों ओर लपेट कर ऊपर व नीचे सुतली से बांध कर पाॅलीथीन शीट के ऊपरी व निचली हिस्से पर ग्रीस लगा देना चाहिए जिससे कीट पेड़ों के ऊपर न चढ़ सके। इसके अतिरिक्त शिशुओं को जमीन पर मारने के लिए दिसम्बर के अंतिम या जनवरी के प्रथम सप्ताह से 15-15 दिन के अन्तर पर दो बार क्लोरपाइरीफाॅस (1.5 प्रतिशत) चूर्ण 250 ग्राम प्रति पेड़ के हिसाब से तने के चारों ओर बुरकाव करना चाहिए। अधिक प्रकोप की स्थिति में यदि कीट पेड़ों पर चढ़ जाते हैं तो ऐसी दशा में मोनोक्रोटोफाॅस 36ई0सी0 1.0 मिली0 अथवा डायमेथोएट 30 ई0सी0 2.0 मि0ली0 दवा को प्रति ली0 पानी में घोल बनाकर आवश्यकतानुसार छिड़काव करें।
इसी प्रकार आम के बौर में लगने वाले मिज कीट मंजरियों, तुरन्त बने फूलों एवं फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अण्डे देती हैं, जिसकी सूड़ी अन्दर ही अन्दर खाकर क्षति पहुचाती हैं। इस कीट के नियंत्रण के लिए यह आवश्यक है कि बागों की जुताई/गुड़ाई की जाय तथा समय से कीटनाशक दवाओं को छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए फेनिट्रोथियान 50 ई0सी0 1.0 मि0ली0 अथवा डायजिनान 20 ई0सी0 2.0 मि0ली0 अथवा डायमेथोएट 30 ई0सी0 1.5 मि0ली0 दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर बौर निकलने की अवस्था पर एक छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
यह जानकारी उद्यान निदेशक श्री एस0पी0 जोशी ने दी है।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More