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स्‍वच्‍छ भारत अभियान के तहत ठोस एवं तरल अपशिष्‍ट एवं प्रबंधन पर राष्‍ट्रीय कार्यशाला

देश-विदेश

नई दिल्लीः स्‍वच्‍छ भारत अभियान (ग्रामीण) के तहत पीने का पानी एवं स्‍वच्‍छता मंत्रालय के तत्‍वाधान में वर्तमान में जारी ठोस एवं तरल अपशिष्‍ट एवं प्रबंधन पर राष्‍ट्रीय कार्यशाला के समापन दिवस पर इस विषय के विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, चिकित्‍सकों, विकास प्रतिभागियों, जिला राज्‍य एवं राष्‍ट्रीय स्‍तर के अधिकारियों एवं अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने ठोस एवं तरल अपशिष्‍ट प्रबंधन (एसएलडब्‍ल्‍यूएम) के विभिन्‍न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। अधिक महत्‍वपूर्ण बात यह थी कि फोकस स्‍थानीय आवश्‍यकताओं के लिए उपयुक्‍त प्रौद्योगिकी के साथ अपशिष्‍ट के किफायती एवं सुरक्षित निपटान पर था।

प्रतिभागियों ने विस्‍तार से इस पर चर्चा की कि किस प्रकार एसएलडब्‍ल्‍यूएम को स्‍वच्‍छ भारत अभियान का एक अं‍तरंग हिस्‍सा बनाया जाए। इस बात पर सर्वसहमति थी कि इसका समाधान व्‍यवहारगत एवं मानसिकता के बदलाव में निहित है, जो सुरक्षित एसएलडब्‍ल्‍यूएम के अभ्‍यास के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए सूचना, शिक्षा एवं संवाद से आ सकता है। आम लोगों के बीच स्‍वच्‍छता, जागरुकता के प्रसार में मीडिया, प्रिंट, इलैक्‍ट्रोनिक एवं सोशल की भूमिका को भी रेखांकित किया गया। अधिकांशत: स्‍थानीय रूप से विकसित प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की गई जिनका स्‍थानीय अनुकूलन के साथ अन्‍यत्र अपनाया जा सकता है।

सरकार के सामने बड़ी चुनौतियों में से एक ग्रामीण स्‍वच्छता के आसानी से माप होने योग्‍य संकतकों की पहचान करना और उन्‍हें औपचारिक रूप देना है। देश की विविधता एवं भारी विभिन्‍नता के साथ गांवों की विशाल संख्‍या (लगभग साढ़े छह लाख ) स्‍वच्‍छता संकेतों की स्‍थापना के कार्य को बेहद जटिल बना देते हैं।

गामीण स्‍वच्‍छता की माप के लिए ऐसे एक सूचकांक के महत्‍व एवं गांव विशेष के अपशिष्‍ट समाधान की पहचान करने एवं उसके लिए योजना बनाने में इसकी उपयोगिता को रेखांकित करते हुए भारत सरकार के अपर सचिव (पीने का पानी एवं स्‍वच्‍छता) श्री सरस्‍वती प्रसाद ने जानकारी दी कि ग्रामीण स्‍वच्‍छता की धारणा के बारे में जानकारी प्राप्‍त करने के लिए मंत्रालय द्वारा एक सर्वें का संचालन किया गया था, जिसमें 70 हजार परिवारों को शामिल किया गया था।

प्राप्‍त आंकड़ो के परावर्तन विश्‍लेषण के आधार पर ग्रामीण स्‍वच्‍छता का एक सूचकांक बनाया गया जिसमें स्‍वच्‍छता के चार संघटकों-सुरक्षित स्‍वच्‍छता की सुविधा, घरों के आसपास कोई गंदगी नहीं, गांव में कोई ठहरा हुआ जल नहीं एवं सार्वजनिक स्‍थानों पर कोई गंदगी नहीं- को विभिन्‍न भारांक दिए गए थे।

एक दिन पहले एक मतदान का संचालन किया गया और उसमें भाग लेने वाले प्रतिभागियों के विचार भी बड़े सर्वे के ही ही समान थे। अपर सचिव ने यह भी जानकारी दी कि प्रत्‍येक ग्रामसभा से स्‍वच्‍छता आंकड़ों का सावधिक रूप से संग्रहण किया जाएगा और इसे मंत्रालय के प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) पर रखा जाएगा। यह नीति निर्माताओं, नीतिकारों एवं अधिकारियों को इसकी जानकारी देने में काफी सहायक होगा कि महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती, 2 अक्‍टूबर, 2019 तक स्‍वच्‍छ भारत के लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए उन्‍हें किस दिशा में आगे बढ़ने की आवश्‍यकता है।

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