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केंद्र ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत पश्चिम बंगाल को 7,000 करोड़ रुपये अनुदान के रूप में आवंटित किए

देश-विदेश

प्रत्येक घर को नियमित और दीर्घकालिक आधार पर सुनिश्चित रूप से नल जल की आपूर्ति करने के लिए, राष्ट्रीय जल जीवन मिशन, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2021-22 के लिए जल जीवन मिशन के अंतर्गत पश्चिम बंगाल राज्य को 6,998.97 करोड़ रुपये अनुदान के रूप में आवंटित किए गए है। वर्ष 2019-20 के लिए केंद्रीय आवंटन 995.33 करोड़ रुपये था, जिसे बढ़ाकर 2020-21 में 1,614.18 करोड़ रुपये कर दिया गया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बढ़े हुए आवंटन को मंजूरी प्रदान करते हुए यह आश्वासन भी दिया कि राज्य द्वारा 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नल जल आपूर्ति की व्यवस्था करने के लिए केंद्र की ओर से पूरी सहायता प्रदान की जाएगी।

जीवन बदलने वाले ‘जल जीवन मिशन’ की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 अगस्त, 2019 को की गई थी, जिसका उद्देश्य 2024 तक गांवों में रहने वाले लोगों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हर ग्रामीण घर में पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना है, उस समय देश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17%) परिवारों को ही नल जल कनेक्शन प्राप्त था। पिछले 21 महीने के दौरान, कोविड-19 महामारी के कारण हुए लॉकडाउन व्यवधानों के बावजूद, जल जीवन मिशन को तेजी के साथ और बड़े पैमाने पर लागू किया गया है, जिससे प्रत्येक घर में 2024 तक सुनिश्चित नल जल की आपूर्ति की जा सके। इस अवधि में, पूरे देश में, लगभग 4.25 करोड़ परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, इस प्रकार कवरेज में 22% की बढ़ोत्तरी हुई है, जो कि वर्तमान समय में देश के कुल ग्रामीण परिवारों का 39% यानी 7.50 करोड़ है।

जल जीवन मिशन की घोषणा के समय, पश्चिम बंगाल में 163.25 लाख ग्रामीण घरों में से, नल जल की आपूर्ति केवल 2.14 लाख ग्रामीण घरों में यानी लगभग 1% घरों तक ही सीमित थी। पिछले 21 महीने में, पश्चिम बंगाल में 14 लाख घरों को नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, इस प्रकार राज्य का कवरेज 39% के राष्ट्रीय औसत की तुलना में 8.58% से बढ़कर 9.90% हो गया है।

41,357 गांवों और 1.63 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से लगभग 1.48 करोड़ ग्रामीण परिवारों में पाइप के माध्यम से पानी का कनेक्शन प्रदान किया जाना बाकी है। वर्ष 2020-21 में, पश्चिम बंगाल में 55.58 लाख के लक्ष्य के मुकाबले 12.48 लाख नल कनेक्शन प्रदान किए गए। कार्यान्वयन की धीमी गति और इसके परिणामस्वरूप निधि का कम उपयोग होने के कारण, राज्य द्वारा आवंटित राशि को पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं किया जा सका। अब, राज्य ने तेजी के साथ जल जीवन मिशन को लागू करने की योजना बनाई है जिसमें 2020-21 में 43.10 लाख ग्रामीण घरों में नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराने और 2022-23 और 2023-24 में 52.74 लाख एफएचटीसी प्रदान करने का लक्ष्य है।

राज्य के साथ हाल ही में हुई एक बैठक में, राष्ट्रीय जल जीवन मिशन, जल शक्ति मंत्रालय ने राज्य की वार्षिक कार्य योजनाओं की समीक्षा की और पश्चिम बंगाल को 2024 तक ‘हर घर जल’ वाला राज्य बनाने के लिए एक रोड मैप तैयार करने में सहायता प्रदान कर रहा है।

2 अक्टूबर, 2019 को शुरू किए गए 100 दिनों के अभियान के अंतर्गत, राज्य ने स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में पाइप के माध्यम से नल जल आपूर्ति की व्यवस्था करना शुरू कर दिया है। 2020-21 में, 75,137 स्कूलों और 91,076 आंगनबाड़ी केंद्रों में पाइप के माध्यम से नल जल आपूर्ति करने के लक्ष्य का पीछा करते हुए राज्य ने 10,046 स्कूलों (13%) और 6,430 आंगनबाड़ी केंद्र (7%) को नल जल कनेक्शन प्रदान किया है। बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर स्वच्छता और सफाई की सुविधा प्रदान करने के लिए, इस वर्ष के अंत तक सभी शिक्षण और डे-केयर केंद्रों में नल जल की आपूर्ति प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

राज्य में 1,251 गांव ऐसे हैं जो पेयजल स्रोतों में आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रदूषण से प्रभावित हैं। राज्य को इन गांवों में प्राथमिकता के आधार पर लेने और यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि उन्हें या तो पाइप के माध्यम से पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जाए या विशुद्ध रूप से एक अंतरिम उपाय के रूप में इन गांवों में सामुदायिक जल शोधन संयंत्र (सीडब्ल्यूपीपी) स्थापित किया जाए, जिससे पीने और खाना पकाने के उद्देश्य से प्रतिदिन 8-10 लीटर प्रति व्यक्ति की दर से आर्सेनिक और फ्लोराइड मुक्त पेयजल उपलब्ध कराया जा सके।

पश्चिम बंगाल में 220 जल गुणवत्ता जांचने की प्रयोगशालाएं हैं। राष्ट्रीय जल जीवन मिशन सभी राज्यों के साथ मिलकर यह कोशिश कर रहा है कि सभी प्रयोगशालाओं को अपग्रेड किया जाए और उन्हें एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हो, जो आम लोगों के लिए खुला रहे, जिससे आम लोग मामूली शुल्क देकर अपने पानी के नमूनों की जांच करवा सकें। राज्य सरकार द्वारा सूचित किया गया है कि अगले कुछ महीनों में 138 जल गुणवत्ता प्रयोगशालाओं को एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हो जाएगी। राज्य को यह भी सलाह दी गई है कि वे स्थानीय लोगों, विशेष रूप से महिलाओं को हाइड्रोजन सल्फाइड शीशियों का उपयोग करके जीवाणु परीक्षण और फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके अपने पानी के नमूनों का परीक्षण करने के लिए समर्थ बनाएं। राज्य पीएचईडी द्वारा पेयजल निकासी बिंदुओं पर और ज्यादा गुणवत्ता परीक्षण करने की भी योजना बनाई जा रही है। राज्य को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वाले बहुसंख्यक गांवों, जेई-एईएस प्रभावित जिलों और सूखाग्रस्त इलाकों में नल जल प्रावधानों को प्राथमिकता देने और फास्ट ट्रैक पर लाने की भी सलाह दी गई है, जिससे लोगों के जीवन में विशेष रूप से समाज के गरीब और हाशिए पर रहने वाले वर्गों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाया जा सके।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत, प्रत्येक गांव में, एक ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (वीडब्लूएससी) का गठन किया जाएगा, जिसमें 50% महिलाओं के साथ 12-15 सदस्य होंगे और इसमें समाज के कमजोर वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाएगा। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, राज्य के 41,357 गांवों में से अब तक केवल 2,840 गांवों में ऐसी समिति बनाई गई है। जल एवं स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग से जुड़े अनुदान का उपयोग करने के लिए, प्रत्येक गांव के लिए, 15वें वित्त आयोग की अवधि के साथ समाप्त होने वाली 5 वर्षीय ग्राम कार्य योजना को तैयार किया जाना है, जो मनरेगा, जेजेएम, एसबीएम (जी), डीएमडीएफ, 15वें वित्त आयोग से जुड़ी अनुदान आदि जैसी विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत उपलब्ध संसाधनों का उपयोग सही प्रकार से करेगा।

राज्य को सलाह दी गई है कि वह प्रत्येक गांव में वीडब्ल्यूएससी का गठन करे और जल जीवन मिशन योजना और उसके कार्यान्वयन के लिए एक बॉटम-अप, विकेंद्रीकृत, मांग-चालित, समुदाय-प्रबंधित दृष्टिकोण अपनाए।

प्रत्येक गांव में पांच लोगों, प्रमुख रूप से महिलाओं जैसे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, स्वयं सहायता समूह की सदस्य, जीपी सदस्य, स्कूल शिक्षक आदि को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है, जिससे फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करके जल स्रोत पर पेयजल की गुणवत्ता के साथ-साथ निकासी बिंदुओं का भी परीक्षण किया जा सके। जल जीवन मिशन के अंतर्गत, जल आपूर्ति प्रणाली का दीर्घकालिक प्रबंधन, संचालन और रखरखाव के लिए कौशल एक महत्वपूर्ण घटक है। राज्य द्वारा 9,830 पंप ऑपरेटर, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, मोटर मैकेनिक और राजमिस्त्री के साथ-साथ 9,518 निचले स्तर के हितधारकों और अधिकारियों को प्रशिक्षित करने की योजना है।

‘बॉटम अप’ दृष्टिकोण अपनाते हुए, जल जीवन मिशन द्वारा समुदाय के लोगों को गांवों में जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत गोवा, तेलंगाना, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और पुडुचेरी ‘हर घर जल’ वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बन चुके हैं यानी इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सभी ग्रामीण घरों में पाइप के माध्यम से जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा चुकी है। 2024 के राष्ट्रीय लक्ष्य से पहले, कई अन्य राज्य भी ‘हर घर जल’ वाले लक्ष्य की प्राप्ति करने के लिए त्वरित गति से और प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। अब तक 62 जिलों और 90,000 से ज्यादा गांवों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल जल की आपूर्ति की जा रही है।

जल जीवन मिशन गांवों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न कर रहा है और इस वर्ष ग्रामीण पेयजल आपूर्ति के क्षेत्र में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है, जिसमें 2021-22 में जल जीवन मिशन के लिए 50,000 करोड़ रुपये का बजट, राज्य की ओर से मिलता-जुलता संसाधन और 15वें वित्त आयोग द्वारा जल और स्वच्छता के लिए आरएलबी/पीआरआई को 26,940 करोड़ रुपये का दिया गया अनुदान शामिल है।

केंद्रीय आवंटन में 6,998.97 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी के साथ, राज्य के हिस्से का मिलान करके, 757.59 करोड़ रुपये की राशि बची हुई है और 15वें वित्त आयोग के अनुदान के साथ, ग्रामीण घरों में नल जल आपूर्ति करने के लिए निधि की उपलब्धता कोई मुद्दा नहीं है। यह समय राज्य के लिए योजना, कार्यान्वयन, संचालन, निगरानी और प्रबंधन में तेज गति के साथ काम करते हुए प्रत्येक ग्रामीण घर में नल जल कनेक्शन प्रदान करने का है।

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