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केन्‍द्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अभियोजन नोटिसों के मुद्दे पर स्‍पष्‍टीकरण दिया

देश-विदेश

नई दिल्ली: केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि टीडीएस चूक के लिए छोटी कंपनियों को सामूहिक अभियोजन नोटिसों के मुद्दों के संबंध में मीडिया के एक हिस्‍से में छपी कुछ खबरें पूरी तरह भ्रामक और तथ्‍य संबंधी त्रुटियों से भरी हुई हैं । सीबीडीटी ने स्‍पष्‍ट किया कि मुम्‍बई आयकर टीडीएस कार्यालय ने केवल बड़े मामलों में सीमित संख्‍या में अभियोजन कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जहां कर्मचारियों इत्‍यादि से टीडीएस के रूप में पांच लाख रुपये से अधिक का टैक्‍स संग्रहित कर लिया गया था, लेकिन उसे समय पर आयकर विभाग में जमा नहीं किया गया था।

सीबीडीटी ने कहा कि चूक करने वाली कुछ कंपनियां एवं निहित तत्‍व जानबूझकर मीडिया को गुमराह कर रहे है, जिससे कि उनके खिलाफ कदम न उठाया जा सके। कर्मचारियों एवं अन्‍य करदाताओं से टैक्‍स काट लिये जाने तथा उसे समय पर सरकारी खजाने में जमा न करना कानून के दायरे में एक दंडनीय अपराध है। अगर टीडीएस समय पर जमा नहीं किया जाता, तो कर्मचारी अपना रिटर्न भरते समय काटे गये टैक्‍स के क्रेडिट का दावा करने के अयोग्‍य हो जाएंगे।

सीबीडीटी ने कहा कि पिछले एक महीने में मुम्‍बई आयकर टीडीएस कार्यालय द्वारा केवल 50 बड़े मामलों में अभियोजन नोटिस जारी किये गये है, इनमें से 80 प्रतिशत मामलों में टीडीएस टैक्‍स डिफॉल्‍ट 10 लाख रुपये से अधिक का है तथा 10 प्रतिशत मामलों में टीडीएस डिफॉल्‍ट 5 से 10 लाख रुपये के बीच है। शेष 10 प्रतिशत मामलों में टीडीएस डिफॉल्‍ट एक करोड़ रुपये से अधिक का है, जैसा कि सर्वेक्षण से पता चला है। हाल ही में चार बड़े व्‍यवसाय घरानों के खिलाफ भी अभियोजन आरंभ किया गया है, जहां उन्‍होंने करदाताओं से 50 करोड़ रुपये से अधिक का टैक्‍स संग्रह कर लिया था, लेकिन उसे समय पर सरकार के पास जमा नहीं किया था। दुर्भाग्‍य से ऐसे कानूनी एवं न्‍यायोचित कदमों को भी निहित स्‍वार्थों द्वारा मीडिया में ऐसे प्रस्‍तुत किया जा रहा है जैसे कि विभाग अपने कानूनी अधिकार क्षेत्र से आगे बढ़कर छोटे नियोक्‍ताओं का उत्‍पीड़न कर रहा है।

सीबीडीटी ने कहा कि यहां यह नोट करना प्रासंगिक होगा कि 130 करोड़ लोगों के हमारे देश में जहां प्रतिवर्ष 6 करोड़ रिटर्न फाइल किये जाते हैं, इस वित्‍त वर्ष के दौरान आयकर अधिनियम के तहत विभिन्‍न अपराधों के लिए अभी तक सिर्फ 1400 अभियोजन ही दायर किये गये हैं। किसी भी दृष्टिकोण से इसे आयकर विभाग द्वारा सामूहिक उत्‍पीड़न नहीं करार दिया जा सकता। इसलिए, यह कहना कि छोटी त्रुटियों के लिए करदाताओं को सामूहिक रूप से अभियोजन नोटिस भेजा जाना, पूरी तरह गलत और भ्रामक है।

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