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मनरेगा के तहत बुन्देलखण्ड क्षेत्र में रोजगार दिवस को 100 से बढ़ाकर 150 दिवस किया गया

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सूखे से प्रभावित सभी जनपदों के जिलाधिकारियों को अभियान चलाकर

राहत सामग्री वितरित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिलाधिकारियों को सचेत किया है कि जिन जनपदों में अब तक पूरी तरह राहत सामग्री वितरित नहीं की गई है, उस जनपद से सम्बन्धित अधिकारी राहत वितरण युद्धस्तर पर सुनिश्चित करें, अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने वितरण सम्बन्धी कार्रवाई की रिपोर्ट 15 दिन के अन्दर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
श्री यादव ने कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सूखे की स्थिति को देखते हुए 2 लाख, 30 हजार अन्त्योदय पात्र परिवारों को 10 किलो आटा, 05 किलो चावल, 05 किलो चने की दाल, 25 किलो आलू, 05 लीटर सरसों का तेल, 01 किलो शुद्ध देशी घी तथा बच्चों के लिए प्रति परिवार 01 किलो मिल्क पाउण्डर अतिरिक्त राहत सामग्री के रूप में भी उपलब्ध कराई जा रही है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सूखा प्रभावितों के हित में राज्य सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 02 रुपये व 03 रुपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध कराए जाने वाले खाद्यान्न का भुगतान करने का भी फैसला लिया है। मनरेगा के तहत बुन्देलखण्ड क्षेत्र में रोजगार दिवसों को 100 से बढ़ाकर 150 दिवस करने का फैसला भी लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र को समाजवादी पेंशन योजना के अन्तर्गत शत-प्रतिशत आच्छादित करने तथा पीने के पानी की समस्या दूर करने के लिए हर सम्भव उपाय किए जाने के निर्देश दिए। साथ ही, बुन्देलखण्ड समस्त जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घण्टें विद्युत आपुर्ति करने तथा पशुओं के चारे की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
श्री यादव ने कहा कि सभी जनपदों के अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि किसी भी स्थिति में किसी भी व्यक्ति की भुखमरी से मौत न होने पाए। इसके मद्देनजर सभी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि भुखमरी के कारण किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने पर सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए उसके खिलाफ कठोर कार्यवाई की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार द्वारा सूखा प्रभावित सभी जनपदों में राहत कार्य तेजी से संचालित किए जा रहे हैं। बुन्देलखण्ड के सातों जनपदों में पशुओं के चारे की व्यवस्था के लिए प्रत्येक जनपद को एक-एक करोड़ रुपए की धनराशि इस प्रकार कुल 7 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है। प्रभावित क्षेत्रों के लिए 4 जनवरी, 2016 को प्रति जनपद 2 करोड़ रुपए एवं 19 फरवरी, 2016 को प्रति जनपद 3 करोड़ रुपए की धनराशि प्रभावित परिवारों को अहैतुक सहायता के रूप में स्वीकृत की गई है।
जनपद झांसी को सरकार द्वारा अहैतुक सहायता वितरित करने के लिए 2.50 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है। इस प्रकार अहैतुक सहायता के रूप में बुन्देलखण्ड को अब तक 3750 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है। वर्ष 2015 में किसानों को सूखे के कारण हुई क्षति की भरपाई के लिए 15 जनवरी, एवं 22 मार्च, 2016 द्वारा जनपद बांदा को 807.88 लाख रुपए, जनपद चित्रकूट  को 700 लाख रुपए, जनपद हमीरपुर को 550 लाख रुपए, जनपद महोबा को 757.88 लाख रुपए, जनपद झांसी को 700 लाख रुपए, जनपद ललितपुर को 800 लाख रुपए तथा जनपद जालौन को 198.97 लाख रुपए, इस प्रकार कुल 4514.73 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई।
ओलावृष्टि-2016 में किसानों को हुई फसलों की क्षति के सापेक्ष 22 मार्च, 2016 को जनपद बांदा को 35 लाख रुपए, हमीरपुर को 50 लाख रुपए, महोबा को 35 लाख रुपए तथा जालौन को 100 लाख रुपए अर्थात कुल 220 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है। इसी तरह ओलावृष्टि-2015 में हुई फसलों की क्षति के सापेक्ष किसानों को राहत वितरण किए जाने हेतु बुन्देलखण्ड के सातों जनपदों को अब तक 1404.90 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के शत-प्रतिशत गरीब परिवारों को समाजवादी पेंशन योजना के तहत आच्छादित करने के क्रम में वर्ष 2014-15 में समाजवादी पेंशन योजना का कुल लक्ष्य 40 लाख रखा गया था, जिसके सापेक्ष बुन्देलखण्ड हेतु 295225 का लक्ष्य आवंटित किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2015-16 में इस योजना हेतु आवंटित 5 लाख के अतिरिक्त लक्ष्य के सापेक्ष बुन्देलखण्ड हेतु 57890 का अतिरिक्त लक्ष्य आवंटित किया गया। वर्ष 2015-16 में अभी तक बुन्देलखण्ड हेतु निर्धारित कुल लक्ष्य 353115 के सापेक्ष 318079 लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है, जो कुल लक्ष्य का 90.08 प्रतिशत है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016-17 में समाजवादी पेंशन योजना हेतु आवंटित 10 लाख के अतिरिक्त लक्ष्य के सापेक्ष बुन्देलखण्ड 194500 का अतिरिक्त लक्ष्य आवंटित किया गया है, जो अतिरिक्त आवंटित लक्ष्य का लगभग 20 प्रतिशत है। इस प्रकार वर्ष 2016-17 में बुन्देलखण्ड हेतु आवंटित कुल लक्ष्य 547615 है, जो समाजवादी पेंशन योजना के पूरे लक्ष्य जो लगभग (55 लाख) का लगभग 10 प्रतिशत है। सभी जिलाधिकारियों को लाभार्थियों के चयन की कार्यवाही मई, 2016 तक पूरा करके उनका बैंक खाता खुलवाने के निर्देश दिए गए हैं।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के समस्त जनपदों में गम्भीर होती जा रही पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए हर सम्भव कदम उठाए जा रहे हैं। ग्राम्य विकास द्वारा पेयजल के संकट के समाधान के लिए, वित्तीय वर्ष 2016-17 के बजट में विशेष रूप से 200 करोड़ रुपए की धनराशि का प्राविधान किया गया है। इसमें से 40 करोड़ रुपए की धनराशि नए हैण्ड पम्पों की स्थापना पर व्यय की जाएगी। संकट ग्रस्त क्षेत्रों में तत्काल पीने के पानी व्यवस्था हेतु टैंकरों से जलापूर्ति के लिए 10 करोड़ रुपए की धनराशि की कार्य योजना जल निगम द्वारा तैयार की गई है।
इसके अलावा निर्माणाधीन एवं जीर्णाेद्धार योग्य पाइप पेयजल योजनाओं को समयबद्ध ढ़ग से पूरा कराने की योजना पर कार्यवाही तेजी से की जा रही है, साथ ही एकल एवं ग्राम समूह पेयजल योजनाओं को सम्बन्धित ग्राम पंचायतों एवं जल संस्थानों को संचालन एवं अनुरक्षण हेतु हस्तान्तरित करने की कार्य योजना पर कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गई है। त्वरित आर्थिक विकास योजना से कुल 3527 हैण्डपम्पों को रिबोर किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त बुन्देलखण्ड एवं विन्ध्य क्षेत्र में ‘सरफेस’ स्त्रोत आधारित पाइप पेयजल योजनाओं हेतु 1988 करोड़ रुपए की कार्ययोजना भारत सरकार को प्रेषित की गई है। इस वित्तीय वर्ष 2016-17 में 500 करोड़ रुपए का बजट प्राविधान भी राज्य सरकार द्वारा किया गया है। इसके तहत बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 407 ग्रामों को पाइप पेयजल योजना से लाभान्वित किया जाएगा।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति के लिए पारेषण स्कन्ध द्वारा विभिन्न कार्य सम्पादित कराए जा रहे हैं इसमें 25 करोड़ रुपए की लागत से 132 के0वी0 उपकेन्द्र पनवाड़ी, जनपद महोबा, जिसकी क्षमता 2ग्20 एम0वी0ए0 का उर्जीकरण किया गया है। इसके अलावा 220 के0वी0 उपकेन्द्र बांदा, 132 के0वी0 उपकेन्द्र औगासी, जनपद बांदा की क्षमता वृद्धि का कार्य पूरा किया है। इस पर 11 करोड़ रुपए की लागत आयी है। इसके अतिरिक्त बांदा, महोबा, हमीरपुर, चित्रकूट में उपकेन्द्र निर्माणाधीन हैं। इस प्रकार 725 करोड़ रुपए की धनराशि निर्माणाधीन उपकेन्द्रों एवं तत्सम्बन्धी लाइनों पर खर्च की जाएगी।
बुन्देलखण्ड पैकेज के अन्तर्गत 6288 निजी नलकूपों के सापेक्ष 7172 नलकूपों का उर्जीकरण किया गया। जिसपर 99.68 करोड़ रुपए की धनराशि व्यय की गई। इसके अलावा 1484 ग्रामों/बसावटों का उर्जीकरण किया गया। जिसपर 122 करोड़ रुपए की धनराशि व्यय हुई। साथ ही, 5731 बसावटों पर कार्य प्रगति पर है। जिस पर 472 करोड़ रुपए खर्च आने की सम्भावना है। बुन्देलखण्ड के क्षतिग्रस्त परिवर्तकों को 72 घण्टें के अन्तर्गत बदलने हेतु 27 गाडि़यां लगाई गई, जिनपर 1.78 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष व्यय किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 117 राजकीय नलकूपों का उर्जीकरण, 50 नग 33 के0वी0 उप केन्द्रों की क्षमता वृद्धि की गई, जिस पर 63.79 करोड़ रुपए व्यय हुए। इसके अलावा 38 नये 33/11 के0वी0 उपकेन्द्रों का निर्माण कराया गया। जिसपर कुल 170.65 करोड़ रुपए की धनराशि व्यय हुई। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 250 कि0मी0 33 के0वी0, 265 कि0मी0 11 केवी0 एवं 675 कि0मी0 नयी एल0टी0 लाइन बनाई गई। इसके साथ ही, लगभग 170 करोड़ रुपए की लागत से 31 नये उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य भी किया जा रहा है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सूखा प्रभावित जनपदों के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रति परिवार 50 मानव दिवस अतिरिक्त रोजगार देकर 150 मानव दिवस प्रति परिवार रोजगार दिए जाने का प्राविधान किया गया है। इस क्षेत्र के 07 जनपदों में 33339 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया है। महिलाओं की सहभागिता बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 32 से 43 प्रतिशत के मध्य है, जो राज्य के औसत 29 प्रतिशत से अधिक है। इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति की सहभागिता 29 से 54 प्रतिशत के बीच है तथा औसत 38 प्रतिशत है, जो राज्य के औसत 36 प्रतिशत से अधिक है।
गौरतलब है कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में राज्य सरकार कुल व्यय के सापेक्ष 74 प्रतिशत धनराशि कृषि एवं कृषि सम्बन्धी गतिविधियों पर खर्च कर रही है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें एकीकृत बागवानी मिशन, एससी0, एसटी0 के किसानों हेतु औद्यानिक विकास योजना, बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज के अन्तर्गत औद्यानिक विकास योजना, बुन्देलखण्ड एवं विंध्य क्षेत्र में औद्यानिक विकास कार्य योजना आदि शामिल हैं। इसी तरह खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं।

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