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बीजापुर हाउस में प्रेस वार्ता करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड
देहरादून: केंद्र से आपदा राहत के रूप में मिली राशि में 1509 करोड़ रूपए का हिसाब नहीं मिलने की खबरें एकदम झूठी है और

भ्र्रामक है। शुक्रवार को बीजापुर हाउस में पे्रसवार्ता करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत सरकार से अनुमोदित धनराशि व अवमुक्त धनराशि दोनों अलग-अलग बातें हैं। भारत सरकार से राज्य सरकार को धनराशि रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया के माध्यम से बैंक स्थानांतरण के रूप में हैड टू हैड प्राप्त होती है। महालेखाकार द्वारा राज्य सरकार का लेखा बनाया जाता है और इसकी आडिट रिपोर्ट विधानसभा में रखी जाती है। इसलिए इसमें हिसाब न मिलने का तो कोई सवाल ही नहीं हो सकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि जून 2013 की आपदा के बाद केंद्र सरकार ने केबिनेट कमेटी आॅन उत्तराखण्ड का गठन किया। इस कमेटी द्वारा मध्यम एवं दीर्घकालीन पुनर्निर्माण पैकेज के अंतर्गत कुल 7980 करोड़ 13 लाख रूपए की राशि अनुमोदित की गई। परंतु इस राशि के सापेक्ष अभी तक केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को केवल 2367 करोड़ 74 लाख रूपए ही अवमुक्त किए गए हैं।
विस्तार से जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें विशेष योजनागत सहायता-पुनर्निर्माण में अनुमोदित 1100 करोड़ रूपए के सापेक्ष 775 करोड़ 22 लाख रूपए, केंद्रपोषित योजनाएं-पुनर्निर्माण केंद्रांश में अनुमोदित 1884 करोड़ 92 लाख रूपए के सापेक्ष 243 करोड़ 1 लाख रूपए, बाह्य सहायतित परियोजनाएं- पुनर्निर्माण में अनुमोदित 3737 करोड़ 34 लाख रूपए की राशि के सापेक्ष 658 करोड़ 20 लाख रूपए की राशि अवमुक्त की गई है। इसी प्रकार एसडीआरएफ/एनडीआरएफ के अंतर्गत 1207 करोड 87 लाख रूपए के सापेक्ष 691 करोड़ 31 लाख राशि अवमुक्त की गई है। देहरादून में पर्यावरणशोध एवं प्रशिक्षण केंद्र के लिए 50 करोड़ रूपए की राशि अनुमोदित की गई है। यह धनराशि केंद्र सरकार की संस्था द्वारा व्यय की जाएगी और राज्य सरकार को अवमुक्त नहीं होनी है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इस प्रकार आपदा पुनर्निर्माण पैकेज के तहत कुल अनुमोदित राशि 7980 करोड़ 13 लाख के सापेक्ष अभी तक केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को केवल 2367 करोड़ 74 लाख रूपए ही अवमुक्त किए गए हैं। सूचना के अधिकार में प्राप्त सूचना के आधार पर जिस प्रकार की बात कही जा रही है, वह भ्रामक व तथ्यों से परे है।
पीएमजीएसवाई के संबंध में मुख्यमंत्री श्री रावत ने बताया कि वर्ष 2014-15 में इस पर राज्य सरकार ने 455 करोड़ 85 लाख रूपए व्यय किए हैं पर्रतु केंद्र द्वारा मात्र 313 करोड़ 13 लाख रूपए ही अवमुक्त किए गए। केंद्र सरकार को शेष 142 करोड़ 72 लाख रूपए की प्रतिपूर्ति किए जाने के संबंध में अनेक बार अनुरोध किया जा चुका है। वर्ष 2013 की आपदा के समाय केंद्र सरकार ने पीएमजीएसवाई सड़कों के पुनर्निर्माण के लिए 61 करोड 61 लाख रूपए स्वीकृत किए थे परंतु अभी तक अवमुक्त नहीं किए गए हैं। प्रदेश में 1121 बस्तियां ऐसी हैं जो सड़क विहीन हैं। राज्य सरकार ने 760 करोड़ रूपए की 127 डीपीआर केंद्र को भेज रखी है जबकि जल्द ही 313 करोड़ 75 लाख रूपए की 52 डीपीआर और जमा करवा दी जाएगी। नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम के तहत वर्ष 2015-16 में 48 करोड़ 95 लाख रूपए ही अवमुक्त किए गए हैं। जबकि राज्य को 1 हजार करोड़ रूपए की आवश्यकता है।  लगभग 75 योजनाओं की डीपीआर केंद्र में भेजी जा चुकी है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना के बारे मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में स्थिति दूसरे राज्यों की तुलना में काफी बेहतर है। यहां तक कि हरियाणा व पंजाब से भी हम बेहतर स्थिति में हैं। हमारी प्रगति लगभग 35 प्रतिशत है। स्वयं केंद्रीय मंत्री चैधरी बीरेंद्र सिंह ने भी उत्तराखण्ड की पीठ थपथपाई है। हमने सांसद आदर्श ग्राम योजना के लिए 28 करोड़ रूपए राशि का प्राविधान किया है। इसमें से 15 करोड़ रूपए अवमुक्त किए जा चुके हैं जबकि 9 करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हैं। चयनित गांवों में राज्य सरकार द्वारा ही व्यय किया गया है। सांसद निधि से बहुत कम दिया गया है। भविष्य में सांसदों के साथ 5:50 के अनुपात में समान भागीदारी में इन गांवों में काम किया जाएगा। हर तीसरे माह राज्य स्तर पर समीक्षा की व्यवस्था की जाएगी।

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