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बीजापुर अतिथि गृह में प्रदेश के पेंशन धारकों की सुविधा हेतु डिजिटल जीवन प्रमाण सेवा का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बुधवार को बीजापुर अतिथि गृह में प्रदेश के पेंशन धारकों की सुविधा हेतु डिजिटल जीवन प्रमाण सेवा का शुभारम्भ किया गया। उन्होंने कहा कि इस सुविधा के उपलब्ध होने पर पेंशन धारकों को जीवन प्रमाण पत्र हेतु भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी तथा यह सुविधा उनके क्षेत्र में स्थित देवभूमि जन सेवा केन्द्र(सी.एस.सी.) से ही प्राप्त हो जायेगी। इस प्रकार उन्हें जीवन प्रमाण डिजिटल रूप में केाषागार में स्वतः ही आनलाइन उपलब्ध हो जायेगा। उन्होने इस सेवा को कोषागार, एनआईसी, सीएससी व सूचना प्रौद्योगिकी के परिश्रम व समन्वय का प्रतिफल बताया। इस सुविधा का लाईव प्रस्तुतिकरण देते हुए एक पेशनर से उनकी आधार संख्या व बायोमेट्रिक मशीन पर अगूंठा लेते हुए मुख्यमंत्री द्वारा बटन दबा कर कोषागार में जीवन प्रमाण प्राप्त करवाया गया तथा पेंशनर को उसकी प्राप्ति मुख्यमंत्री द्वारा प्रदान करते हुए सेवा का शुभारम्भ किया गया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने इस योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार पर बल दिया। यह योजना अगले 06 माह में पब्लिक डिमाण्ड के रूप में नजर आये, इसके प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि डिमाण्ड आविष्कार की जननी है। ई-नाॅलेज के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये बेसिक नेटवर्क की मजबूती पर ध्यान देना होगा। एरिया सर्विस सेंटरों के माध्यम से दी जा रही सुविधाओं की जानकारी आम जनता तक पहुंचानी जरूरी है। सरकार के साथ ही इसे सबका कार्यक्रम बनाना होगा ताकि अधिक से अधिक लोग, इसका लाभ उठा सके, इसके लिये जन जागरूकता आवश्यक है। खाद्य सुरक्षा योजना को भी इससे जाड़ा जाय। बिजली, पानी, टेलीफोन आदि के बिल इसके माध्यम से जमा हो। इसके लिये आईटी विभाग को नोडल विभाग नामित किये जाने की भी बात उन्होंने कही।
इस अवसर पर सभा सचिव गणेश गोदियाल ने कहा कि विज्ञान की प्रगति का लाभ आम आदमी को मिले इसके प्रयास जरूरी है। उन्होेंने पेंशनर्स के लिये डिजिटल जीवन प्रमाण सेवा को काफी उपयोगी बताया।
मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि आईटी का लाभ गांव-गांव तक पहंुचे यह हमारा प्रयास है। कोषागार को डिजिटल सेवा से जोड़ने का सराहनीय कार्य प्रदेश में हुआ है। उन्होंने सभी विभागोें से इस दिशा में आपसी समन्वय से कार्य करने की अपेक्षा की।
इस सेवा के सम्बन्ध में सचिव आईटी दीपक कुमार ने बताया कि पेंशन धारक नागरिक को देवभूमि जन सेवा केन्द्र में अपना आधार नम्बर देना होगा तथा अपने पहचान स्वरूप बायोमेट्रिक उपकरण पर अंगूठे का छाप देना होगा जिससे पूर्व से ही आधार सर्वर पर उपलब्ध उनके अंगूठे के निशान से मिलान स्वतः हो जाएगा। मिलान होने के उपरान्त कोषागार के सर्वर पर यह सूचना स्वतः चली जायेगी तथा इस सेवा केन्द्र से उपलब्ध कराया जाएगा। इससे पेंशन धारकों को इस कार्य हेतु कोषागार जाना नहीं पड़ेगा तथा समय के साथ-साथ आने जाने के खर्च की भी बचत होगी। यह सुविधा देवभूमि जन सेवा केन्द्र से मात्र रू.10 में प्राप्त हो जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य में इस समय 3000 से भी अधिक देवभूमि जन सेवा केन्द्र स्थापित किये जा चुके है तथा लगभग 2400 केन्द्र अपनी सेवाएं दे रहे है जिसमें ई-जीवन प्रमाण सुविधा के साथ 90 सरकारी व गैर सरकारी सेवाएं दी जा रही है। इस वर्ष सभी ग्राम पंचायतों में देवभूमि जन सेवा केन्द्र प्रारम्भ करने का लक्ष्य रखा गया है।
निदेशक कोषागार एलएन पन्त ने कहा कि ई-जीवन प्रमाण सेवा से पेंशनर्स को ट्रेजरी व बैंक नहीं आना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि अब पेंशनर्स के सेवानिवृत्ति का माह ही जीवन प्रमाण पत्र देने का माह होगा।

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