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साईकिल वितरण कार्यक्रम के अवसर पर समाचार पत्र वितरकों को साईकिल वितरण करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गुरूवार को श्रम विभाग, उत्तराखण्ड सरकार द्वारा आयोजित समाचार पत्र वितरकों के कल्यार्थ योजना के साईकिल वितरण कार्यक्रम के शुभारम्भ में मुख्यमंत्री आवास न्यू कैन्ट रोड़ में प्रतिभाग करते हुए प्रथम चरण के अन्र्तगत लगभग 70 हाॅकर्स को साईकिल वितरण की। इस योजना के अन्र्तगत राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भिक चरण में श्रम विभाग को 60 लाख आवंटित किये गये है। इस योजना के अन्र्तगत राज्य के मैदानी क्षेत्रों में हाॅकर्स को साईकिल तथा पर्वतीय क्षेत्रों में रेनकाॅट, छाता आदि सुविधाएं प्रदान की जाएगी।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का श्रम विभाग सराहना का पात्र है जिसने एक आईडिया को हमारे सामने एक योजना के रूप में व्यवस्थित रूप दिया। हम इसे हाॅकर्स व वैन्र्डस के लिए एक कल्याणकारी योजना के रूप व्यवस्थित करने में सफल रहे है। हाॅकर्स एक ऐसा समुदाय है जो हमें प्रातः काल सबसे पहले शुभ प्रभात बोलता है तथा कितनी भी कठिनाईयां हो या कैसी भी परिस्थितिया हो आम लोगों तक अखबार पहुचाता है जिसके माध्यम से हम देश व दुनिया से जुडे़ पाते है। इस प्रयास को एक आरम्भ माना जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि साईकिल वितरण की संख्या अधिक से अधिक होनी ही चाहिए तथा इस योजना को जिला तथा तहसील स्तर तक ले जाया जाना चाहिए। यदि सभी विभागों में उचित समन्यव हो जाता है तो भविष्य में एक सामाजिक सुरक्षा योजना के रूप इस वर्ग के लिए बीमा योजना आरम्भ किये जाने पर भी विचार किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि यदि हाॅकर्स के सम्बन्ध में यह माॅडल सफल हो जाता है तो आगे इस योजना को वेन्डर्स जिसमें रेहड़ी पटरी लगाने वाले, घरेलू नौकर आदि कर्मकारों हेतु भी प्रारम्भ किया जायेगा। यह सभी वर्ग हमारे शहरी जीवन का अनिवार्य वर्ग है अतः राज्य सरकार इनके कल्याण व विकास हेतु प्रतिबद्ध व गम्भीर है। ऐसे वर्गाे को सरंक्षण देना हमारा मानवीय उत्तरदायित्व है। वास्तव में आज का प्रयास एक ट्रायल आधार पर है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि यदि इन योजनाओं का लाभ उठाने में महिला हाॅकर्स भी आगे आये तो यह अति प्रसन्नता की बात होगी। आगे महिलाओं को लिए साइकिल के स्थान पर स्कूटी दिये जाने पर विचार किया जा सकता है। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा श्रमिकों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाई गई है साथ ही निमार्ण कार्यो में सलग्ंन कर्मकारों का दायरा भी बढ़ाया गया है इन श्रमिकों में बहुत बड़ा वर्ग तो मौसमी श्रमिक है जो यहाॅ अजीविका की खोज में आते है परन्तु मानवीय कल्याण के व्यापक दृष्टिकोण को अपनाते तथा अपना मानवीय कर्तव्य मानते हुए राज्य सरकार द्वारा सभी श्रमिकों कों सुविधाएं प्रदान की जा रही है। राज्य सरकार श्रमिकों के साथ प्रत्येक कठिन परिस्थिती में खड़ी है। श्रमिकों को सामाजिक पेंशन, घायल अवस्था में उपचार के लिए 50 हजार तक की आर्थिक सहायता तथा दुर्भाग्यवश मृत्यु होने पर अत्येष्टि हेतु सहायता राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जा रही है। श्रमिकों को काम करने में सुविधा रहे, उनके बच्चों की शिक्षा हेतु सहायता, शौचालय निर्माण आदि में सहायता हेतु भी राज्य सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है। राज्य सरकार शहरी क्षेत्रों में नगर पालिकाओं की सहायता से श्रमिकों के कार्य स्थल पर मोबाइल टाॅयलेट निर्माण पर विचार कर रही है क्योंकि इस वर्ष के अन्त तक उत्तराखण्ड को खुले में शौच से मुक्ति का लक्ष्य भी हमें प्राप्त करना है। 2014 में राज्य में 28 प्रतिशत खुले में शौच से मुक्त क्षेत्र था जो वर्तमान में 85 प्रतिशत तक पहुंच गया है तथा 2018 तक शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया जाना है। इसमें श्रम विभाग का महत्वपूर्ण योगदान है। श्रम विभाग श्रमिक महिलाओं के प्रसव में चिकित्सा सहायता प्रदान करने के साथ ही स्वच्छता प्रोत्साहन हेतु सेनेटरी नेपकिन वितरण तथा उनके बच्चों को शिक्षा प्रदान करने में सहायता व छात्रवृति आदि द्वारा सहायता प्रदान कर रहा है।
मुख्यमंत्री हरीश रावत से उत्तराखण्ड कामगार महासंघ की अध्यक्ष एवं उत्तराखण्ड प्रदेश महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा ने भेंट कर समाचार पत्र विके्रताओं हाॅकर्स को कर्मकार श्रेणी में शामिल करने तथा उनके लिए नियमावली बनाये जाने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने इस सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रमुख सचिव श्रम को निर्देश दिये है।
इस अवसर पर श्रम मंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, पूर्व विधायक काजी निजामुद्यीन, उत्तराखण्ड कामगार महासंघ की अध्यक्ष आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा आदि उपस्थित थे।

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