40 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में स्थानीय प्रयास और विदेशी सहयोग का बेहतर समिश्रण उसका आधार है: राजनाथ सिंह

देश-विदेश

रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने मजबूती और आत्मनिर्भरता की स्थापना के लिये आयुध के क्षेत्र में नवोन्मेष किये जाने का आह्वान किया, जो भावी चुनौतियों का सामना करने के सम्बंध में सशस्त्र बलों को हमेशा चाक-चौबंद रखेंगे। वे आज 27 जुलाई, 2022 को नई दिल्ली में आयोजित ‘मेक इन इंडिया अपॉरट्यूनिटीज एंड चैलेंजेस’ (मेक इन इंडिया अवसर और चुनौतियां) विषयक सैन्य आयुध (एमो-इंडिया) के दूसरे सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। रक्षामंत्री ने कहा कि उन्नत आयुध नये युग के युद्ध की वास्तविकता है। क्षेत्रीय व वैश्विक अनिवार्यताओं और रक्षा चुनौतियों को देखते हुये यह भारत के लिये अत्यंत जरूरी है।

रक्षामंत्री ने कहा, “किसी राष्ट्र का वैज्ञानिक व प्रौद्योगकीय के साथ-साथ आर्थिक विकास, उस राष्ट्र के हथियारों और आयुधों की क्षमता में परिलक्षित होता है। आयुध का विकास न केवल सुरक्षा के लिये जरूरी है, बल्कि देश के सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिये भी जरूरी है। भारत को विश्व शक्ति बनाने और रक्षा उत्पादन में अग्रणी देश बनने के लिये जरूरी है कि हम स्वदेशी डिजाइन, आयुध का विकास और उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ें।”

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार यह बात भली-भांति जानती है कि रक्षा सेक्टर को मजबूत बनाने और आयुध के क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाने के लिये निजी सेक्टर की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस दिशा में कई बाधायें थीं, जो पहले अड़चनें पैदा करती थीं। इन सबको अब हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि बोलीकर्ताओं की भागीदारी की सीमा तय करने से लेकर वित्तीय योग्यता के मानक या ऋण चुकता करने की क्षमता के आकलन तक को ध्यान में रखते हुये सरकार ने काफी छूट दी है। श्री राजनाथ सिंह ने सार्वजनिक एवं निजी सेक्टरों, अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठानों, स्टार्ट-अप, अकादमिक जगत और वैयक्तिक नवोन्मेषकों का आह्वान किया कि वे नये रास्ते खोजें, जिनसे ऐसी बुनियाद तैयार हो सके, जो हमारे सशस्त्र बोलों की जरूरतों को पूरा कर सके तथा उनकी तैयारी को बढ़ा सके।

रक्षामंत्री ने आयुध की सटीकता के महत्त्व पर जोर देते हुये कहा कि भावी युद्धों में यह प्रमुख भूमिका निभायेगा। उन्होंने कहा कि आयुध हमेशा प्रगति करते रहते हैं, नये-नये रूप लेते रहते हैं, इसलिये यह बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, “सटीकता आधारित आयुध की ‘मुनथो ढालो’ बेस पर तैनाती ने 1999 के करगिल युद्ध में भारत की विजय में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्ष 2019 में बालाकोट के आतंकी ठिकानों पर आयुधों के सटीक वार ने इस अभियान में हमारी सफलता को सुनिश्चित बनाया था। आधुनिक युद्ध के मैदानों में आयुध नये अवतार में सामने आ रहे हैं। इनकी एक बार प्रोग्रामिंग कर दी जाये, तो उसके बाद ये स्वयं जानकारी ले लेते हैं, सुधार कर लेते हैं और सही समय पर सही निशाने पर जाकर वार करते हैं। इसके पहले, बमों के आकार और उनकी विस्फोट क्षमता पर ही सारा जोर दिया जाता है, लेकिन अब उनका चाक-चौबंद होना भी जरूरी हो गया है।”

स्मार्ट, सटीकता और स्वचालित हथियार प्रणाली पर प्रकाश डालते हुये श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ये हथियार केवल इच्छित लक्ष्यों को ही बेधते हैं। उन्होंने कहा, “अगर दुश्मन के ठिकाने को तबाह करना है, तब सटीक आयुध ऐसी स्थिति में लक्ष्य तय करता है। वह नागरिक ठिकानों को निशाना नहीं बनाता। पारंपरिक हथियारों के साथ ऐसा नहीं है। हम दुश्मन देश की सेना से लड़ते हैं, उसके नागरिकों से नहीं। सटीक आयुधों के जरिये, नागरिक प्रतिष्ठानों की तबाही से बचा जा सकता है तथा युद्धकाल में भी शांति और मानवता के मूल्यों को बचाया जा सकता है।”

रक्षामंत्री ने सरकार की प्रतिबद्धता को दोहरते हुये कहा कि देश ‘रक्षा में आत्मनिर्भरता’ को प्राप्त करेगा। उन्होंने कहा कि स्वदेशी उद्योग को क्षमतावान बनाने के लिये सभी प्रयास किये जा रहे हैं। स्वदेशी उद्योग देश में ही उत्पादित विश्वस्तरीय हथियारों/प्रणालियों से सशस्त्र बलों को लैस कर सकते हैं, जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिये बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची को अधिसूचित किया है, जिससे पता चलता है कि सरकार हथियारों के स्वदेशी निर्माण के लिये कटिबद्ध है। उन्होंने कहा, “चाहे वह उन्नत हल्का टारपीडो पिनाक के लिये गाइडेड रेंज रॉकेट हो, एंटी-रेडियेशन मिसाइल या लॉयटरिंग म्यूनिशन हो, तीसरी सूची में ऐसे 43 आयुध हैं। इससे पता चलता है कि हम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्ध हैं। इससे हमारे आत्मविश्वास का भी पता चलता है कि हमारा स्वदेशी रक्षा उद्योग अनुसंधान, विकास और निर्माण में कितना सक्षम है। मौजूदा आयुध प्रणालियों और हथियारों की इन सूचियों से हमारे उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा कि वे नई चुनौतियों का मुकाबला कर सकें। इससे उनकी प्रगति भी सुनिश्चित होगी।”

श्री राजनाथ सिंह ने इस तथ्य की सराहना की कि सात में से छह नई रक्षा कंपनियां, जिन्हें पूर्व के आयुध फैक्ट्री बोर्ड से निकालकर बनाया गया है, उन कंपनियों ने अपनी शुरूआत के छह महीनों में ही लाभ दर्ज कर लिया है। म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड को 500 करोड़ रुपये के निर्यात आर्डर मिले हैं। उन्होंने कहा कि यह देश के आयुध उद्योग की अपार क्षमता का द्योतक है।

रक्षामंत्री ने ऐसे तमाम सुधारों का ब्योरा दिया, जिन्हें रक्षा मंत्रालय ने शुरू किया है। इसमें वित्त वर्ष 2022-23 में स्वदेशी उद्योग को आबंटित बजट के मद्देनजर 68 प्रतिशत पूंजी प्राप्ति तथा निजी उद्योग, एमएसएमई और स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन देने के लिये स्वदेशी पूंजी प्राप्ति का 25 प्रतिशत आबंटन शामिल है। उन्होंने उस नीति पर भी प्रकाश डाला, जिसके तहत डीआरडीओ-उद्योग विशेष उद्देशीय संस्था की अनुमति दी गई है, ताकि महत्त्पूर्ण उन्नत रक्षा उत्पादों को विकसित किया जा सके। उन्होंने बताया कि सरकार रक्षा सेक्टर में एमएसएमई और स्टार्ट-अप की भूमिका को समझती है, इसलिये रक्षा नवोन्मेष स्टार्ट-अप चुनौती एवं प्रौद्योगिकी विकास निधि का विस्तार किया गया है, ताकि इनके लिये ज्यादा अवसर पैदा हो सकें।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्रालय एक तरफ आत्मनिर्भता प्राप्त करने पर ध्यान दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ वह विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं को प्रोत्साहित कर रहा है कि वे भारत में निवेश करें, निर्माण करें और यहीं से निर्यात करें। यह प्रयास प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर दी वर्ल्ड’ की परिकल्पना के अनुरूप है। श्री सिंह ने कहा, “सैन्य खर्च के मामले में भारत दुनिया के दस देशों में शीर्ष पर है, जो उसे रक्षा के मामले में बहुत आकर्षक बाजार बनाता है। हम मानते हैं कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में स्थानीय प्रयास और विदेशी सहयोग का बेहतर समिश्रण उसका आधार है। शिक्षित श्रम-शक्ति, कम विकास खर्च और खपत क्षमता के मामले में भारत इस प्रयास में अग्रणी है। हमारी आत्मनिर्भरता वैश्विक उद्योगों के साथ सहयोग, समन्यवय और साझीदारी पर आधारित है।”

इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जहां भारतीय नौसेना, डीपीएसयू और निजी सेक्टर द्वारा विकसित उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने सम्मेलन में ‘नॉलेज पेपर’ भी जारी किया। सम्मेलन में रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ असैन्य और सैन्य अधिकारी तथा उद्योग, अकादमिक जगत, स्टार्ट-अप के प्रतिनिधियों के साथ नवोन्मेषक भी उपस्थित थे।

इस दो-दिवसीय सम्मेलन का आयोजन फिक्की और संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र (सीईएलजोओडब्‍ल्‍यूएस) ने संयुक्त रूप से किया। इसके तहत सशस्त्र बलों की आयुध जरूरतों पर विस्तार से विश्लेषण किया जायेगा। सम्मेलन में टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के लिये हथियारों के विषय पर सत्र होगा, जिसमें तोपखाने को भी शामिल किया गया है। साथ ही सम्‍मेलन में वायु रक्षा, वायु शस्त्र, ड्रोन तथा ड्रोन-रोधी प्रणालियों के लिये सटीक हमला करने वाले हथियार, नौसेना के हथियार और छोटे हथियारों के आयुध, विस्फोटक तथा बारूदी सुरंगों पर सत्र शामिल हैं। यह सभी हितधारकों, जैसे उद्योग, उपयोगकर्ता, डीआरडीओ, अकादमिक जगत को एक अनोखा मंच करायेगा, जहां वे आयुध निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिये काम कर सकेंगे तथा रक्षा सेक्टर में ‘आत्मनिर्भरता’ की दिशा में अग्रसर होंगे।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More