37 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

दुश्मन की नजर में आए बिना आर्मी सीधे पहुंच सकेगी लद्दाख, अहम रणनीतिक सड़क का काम हुआ पूरा

देश-विदेश

चीन के लद्दाख में एलएसी पर चल रहे तनाव के बीच भारत ने अपनी तैयारियां पुख्ता कर रखी हैं। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने तीसरी सड़क पर काम लगभग खत्म कर दिया है, जिसे निम्मू-पदम-दरचा सड़क के नाम से भी जाना जाता है। यह सड़क सुरक्षा बलों के लिए इसलिए अहम है क्योंकि दुश्मन की नजर में आए बिना सुरक्षाबल लद्दाख तक अपनी पहुंच बना सकेंगे। दो अन्य सड़कें- श्रीनगर-कारगिल-लेह और मनाली सरचू-लेह मार्ग को आसानी से दुश्मन देख पाता है क्योंकि ये सड़कें अंतर्राष्ट्रीय सीमा के करीब हैं, जिसकी वजह से दुश्मन के लिए उन पर निगरानी रखना आसान हो जाता है।

कई घंटों की बचत

वहीं दूसरी तरफ इस सड़क मार्ग से समय की भी काफी बचत होगी क्योंकि पुराने मार्ग पर मनाली से लेह पहुंचने के लिए लगभग 12-14 घंटे लगते थे, लेकिन नई सड़क से केवल 6-7 घंटे लगेंगे। इस सड़क का एक सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि दो अन्य सड़कों के विपरीत यह लगभग पूरे साल खुली रह सकता है, जबकि, दो अन्य सड़कें केवल 6-7 महीने खुली रहती थीं और आमतौर पर नवंबर से छह महीने तक बंद रहती थीं। बीआरओ इंजीनियरों ने कहा कि यह सड़क अब चालू है और कई टन वजन वाले भारी वाहनों के लिए तैयार है। यह सड़क करीब 280 किलोमीटर लंबी है।

दुश्मन की नजर से रहेगी दूर

16 बीआरटीएफ के अधीक्षण अभियंता कमांडर , एमके जैन ने कहा, ‘यह सड़क 30 किलोमीटर की दूरी को छोड़कर तैयार है। अब सेना इस सड़क का उपयोग कर सकती है। इस सड़क का महत्व इसलिए भी है क्योंकि सेना मनाली से लेह तक की यात्रा में लगभग 5-6 घंटे बचा सकती है। इसके अलावा, यह सड़क दुश्मन की नजर या किसी अन्य देश की नजर में नहीं आ सकती है और आर्मी बिना किसी सुरक्षा जोखिम के यहां मूवमेंट कर सकती है। यह सड़क किसी सीमा के करीब नहीं है।’

एमके जैन ने आगे कहा, ‘इसके अलावा, सड़क कम ऊंचाई पर होने की वजह से इसे वाहन चालन के लिए लगभग 10-11 महीनों के लिए आराम से खोला जा सकता है। यह सड़क 258 किलोमीटर लंबी है। हाइवे में केवल 30 किलमीटर थोड़ा काम बाकी है और तब तक के लिए डाइवर्टिंग और कनेक्टिंग रोड की मदद ली जाएगी।’

सुरक्षाकर्मियों के लिए होगा प्रयोग

इस सड़क को मुख्य रूप से माल ढुलाई और सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही के लिए इस्तेमाल किया जाएगा जो ज़ोजिला से शुरू होकर द्रास-कारगिल से लेह तक जाता है। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानियों द्वारा उसी मार्ग को भारी निशाना बनाया गया था और सड़क के साथ-साथ ऊंचाई वाले पहाड़ों से उनके सैनिकों द्वारा लगातार बमबारी और गोलाबारी की गई थी। TimesNowNews हिंदी

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More