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एनएलईएम-2015 की घोषणा के बाद 464 संविन्यास के अधिकतम मूल्य तय और संशोधित अनुसूची-1, जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं के 2288 करोड़ रुपये की बचत होगी

देश-विदेश

नई दिल्ली: सरकार ने 464 संविन्यास के अधिकतम मूल्य (जो लगभग 7000 विभिन्न स्टॉक इकाइयों की राशि के बराबर) आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) 2015 और संशोधित अनुसूची-1 जारी कर तय कर दी है। इसके परिणामस्वरूप यानि कम कीमतों के माध्यम से उपभोक्ताओं के 2288 करोड़ की बचत हुई है।

मीडिया के एक वर्ग में यह समाचार प्रकाशित किया गया कि सरकार ने 100 से अधिक दवाओं को अनिवार्य सूची से बाहर कर दिया है जिससे दवाओं के मूल्यों में 10 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। यह समाचार पूरी तरह भ्रामक है और तथ्यात्मक स्थिति के अनुरूप नहीं है।

सही तथ्यात्मक स्थिति निम्नानुसार है –

राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण नीति-2012 (एनपीपीपी-2012) की अधिसूचना और औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश-2013 (डीपीसीओ 2013) की अधिसूचना के फलस्वरूप एनएलईएम-2011 में निर्दिष्ट सभी दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाया गया। सचिव, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग की अध्यक्षता एवं डॉ वाई के गुप्ता, प्रोफेसर और अध्यक्ष, औषधि विज्ञान विभाग, एम्स की उपाध्यक्षता में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एनएलईएम में संशोधन के लिए एक कोर-कमिटी गठित किया।

इस कमिटी ने शामिल किए जाने और हटाने के लिए के मानदंडों पर दवाओं का मूल्यांकन किया।

आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची से दवाओं को हटाने के लिए मानदंड निम्नानुसार हैं-

 दवा को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है

 दवाएं सुरक्षा मानकों पर खरा न उतर रहीं हों।

 दवाएं बेहतर प्रभावकारिता या अनुकूल सुरक्षा प्रोफाइल और बेहतर प्रभावी-लागत के साथ उपलब्ध हों

 बीमारी जिसके लिए दवा निर्धारित है अब भारत में अब एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य चिंता का विषय नहीं है

 सूक्ष्मजीवीरोधी के संबंध में यदि भारतीय संदर्भ में दवा की प्रभावी प्रक्रिया निष्क्रिय कर दी गई हो

वैज्ञानिक मानदंडों के आधार पर कोर कमिटी ने एनएलईएम-2011 से पहले 106 दवाओं को शामिल करने और 70 दवाओं को हटाने की अनुसंशा की थी। दवा मूल्य निर्धारण नीति केवल अनुसूची-1 की दवाएं जो एनएलईएम में शामिल हैं के मूल्य नियंत्रण पर जोर देता है । वैसी दवाएं जो एनएलईएम 2015 और अनुसूची -1 का हिस्सा बनने के लिए रह गए हैं उसे गैर-अनुसूचित दवाओं के रूप में रखा जाएगा। गैर-अनुसूचित दवाओं की कीमतों में हर वर्ष 10% तक की वृद्धि करने की अनुमति मिली हुई है जिसकी देख-रेख राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) करता है।

अनुसूची-1 में दवाओं को शामिल करने और हटाने का विस्तार से विश्लेषण करने पर चिकित्सीय श्रेणी के लिहाज से संशोधित एनएलईएम-2015 (अनुबंध में निहित) दिखाता है कि प्रत्येक श्रेणियों में दवाओं की पर्याप्त संख्या है।

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