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अमित शाह ने गुजरात में भारतीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान के छठे दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए

देश-विदेश

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज गांधीनगर,गुजरात में भारतीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान(IITE) के छठे दीक्षांत समारोहमें मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए। इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल व IITEके कुलाधिपतिश्री आचार्य देवव्रतजीसहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा किशिक्षकों की शिक्षा यूनिवर्सिटी बनाने का विचार केवल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी को ही आ सकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ही भारतीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान की कल्पना की, उन्होंने न केवल IITE बल्कि रक्षा यूनिवर्सिटी, फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, योग यूनिवर्सिटी और चाइल्ड यूनिवर्सिटी की कल्पना भी की है।उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने डॉक्टर, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट के एक्स्पर्ट्स जैसे प्रोफेशनल्स बनाने का विचार किया लेकिन मोदी जी ने प्रोफेशनल बनाने वाले शिक्षक को अच्छे तरीके से पढ़ा कर एक समर्पित गुरु बनाने का सोचाऔरIITE की शुरुआत की गयी।श्री शाह ने कहा किप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी ने शिक्षा के माध्यम से देश के सभी क्षेत्रोंकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने का समग्रता से विचार करने का काम किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में बनी नई शिक्षा नीति में हजारों वर्षों से संचित ज्ञान के भंडार के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा के नए आयामों को भी समाहित किया गया है। उन्होंनेकहा कि यहां से दीक्षित हो रहे छात्रगणों का दायित्व है कि जब वे शिक्षा के क्षेत्र में आगे जा रहे हैं तो जरूर नई शिक्षा नीति का अध्ययन करे।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा किगुजरात में आज विश्व की सबसे पहली फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी है और 134 देश कीयूनिवर्सिटी इस यूनिवर्सिटी से जुड़ चुकी हैं। उन्होंने कहा कि आज ये फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी विश्व में सबसे बड़ा भारतीय गहना बनकर उभरी हैं और इस तरह की यूनिवर्सिटी का कंसेप्ट विश्व के कई देश स्वीकार कर रहे हैं। श्री शाह ने कहा किचाइल्ड यूनिवर्सिटी की संकल्पना को समझने में विश्व को 15- 20 वर्ष लगेंगे, जबकि इसकी शुरुआत मोदी जी गुजरात में 15 साल पहले ही कर चुके हैं।

श्री अमित शाह ने कहा किआज IITE से आज आठ विविध कोर्सों में 2927 छात्र और छात्राएं दीक्षा लेकर जा रहे हैं। गर्व की बात है कि इसमें लड़कियों की संख्या2000 हैं। साथ ही 7 स्वर्ण पदक लेने वालों में से भी 6लड़कियां हैं। उन्होंने कहा कि जिस देश की महिलाएं शिक्षित होती हैं, उस देश को शिक्षित करने के लिए जरा भी पुरुषार्थ नहीं करना पड़ता क्योंकि बच्चे की सबसे पहली गुरु माता होती है। श्री शाह ने सभी दीक्षित हो रहे विद्यार्थियों को उनके स्वर्णिम भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

श्री अमित शाह ने कहा कि इस भारतीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानका लक्ष्यपूर्वी और पश्चिमी दर्शन को एकीकृत कर एक संपूर्ण दर्शन बनाना है। उन्होंने कहा कि हमारे वेदों के अनुसार अच्छे विचार कहीं से भी प्राप्त हो उन्हें ग्रहण करना चाहिए। यह संस्थान भारतीय पुरातन शिक्षा दर्शन और आधुनिक शिक्षा का मेल करने वालासंस्थानभी है।श्री शाह ने कहा कि यदि कोई दर्शन समय के साथ नहीं बदलता तो वह काल बाह्य हो जाता है। चिर पुरातन को आधुनिक आयामों के साथ जोड़ना बहुत महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों को समझकर संपूर्ण शिक्षा प्रणाली के लिए चिंतन करना चाहिए और यह कार्य आईआईटीई का है और इसके माध्यम से IITEशिक्षा में बहुत बड़ा परिवर्तन करेगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा किप्रधानमंत्री श्री नरेन्द मोदी जी ने इस देश के युवाओं और किशोरों के लिए भारत को महान बनाने की नींव डाली है। उन्होंने कहा किआज यहां से दीक्षित होकर जाने वाले नई शिक्षा नीति की अवधारणा को सफल करने में अपना पूरा समय लगाएंगे और महान भारत की रचना करने वाले बच्चों और युवाओं को तैयार करने वाले शिक्षक बनेंगे। ये बच्चे विश्व में भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाएंगे। श्री शाह ने कहा कि आज आधुनिक तकनीकों, गूगल व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से सब कुछ मिलता है लेकिन अगर बच्चे को अच्छा नागरिक बनने के विचार देने, उन्हें मानवता व देशभक्ति के भाव समझाने का काम शिक्षक ही कर सकते हैं।

श्री अमित शाह ने कहा किआज यहां से दीक्षित होने वाले विद्यार्थी भले ही किसी अलग व्यवसाय कोअपना ले परंतु उनकी आत्मा शिक्षक की आत्मा रहेगी। उन्होंने कहा किहमारीभारतीय संस्कृति में शिक्षक के लिए गुरु शब्द का प्रयोग किया है जिसमें ‘गु’ का मतलब अंधकार है और ‘रु’ का मतलब प्रकाश है अर्थात् जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला गुरु कहलाता है। गुरु की जिम्मेदारी है कि बच्चे को ज्ञान के प्रकाश से पल्लवित कर आलौकिक बनाकर भेजे और समग्र देश के भविष्य का निर्माण करे।श्री शाह ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य पुस्तकों को रट कर सवाल का जवाब लिखकर मार्क्स प्राप्त करना नहीं है बल्कि बच्चे के जीवन को सही रास्ते पर ले जाना है और इसमें शिक्षक को मार्गदर्शक बनकर बच्चे को रास्ता दिखाना है । उन्होंने कहा कि गुरु बच्चे की क्षमताओं और रुचि को पहचान कर उसे सही दिशा में ले जाने का काम करता है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा किहमारे यहां गुरु को ईश्वर से भी बड़ा माना जाता है । उन्होंने कहा कि शिक्षक के लिए शिक्षा कभी भी व्यवसाय नहीं होता है बल्कि शिक्षक के लिए शिक्षा धर्म और कर्तव्य है ताकि स्वंय और विद्यार्थी के जीवन को आगे बढ़ाये और सही मार्ग पर ले जाए।श्री शाह ने कहा कि समग्र विश्व में ज्ञान का खजाना हमारे उपनिषद वेद और संस्कृति के खजाने में एक जगह पर संग्रहित है। उन्होंने कहा अगर एक बार इसका अध्ययन कर लें तो जीवन में कोई भी समस्या, समस्या नहीं रहेगी। श्री शाह ने कहा कि तैतरीय उपनिषद में मानव, शिक्षक व अच्छे नागरिक के जीवन संबंधी वर्णन के सच्चे अर्थ को समझने सेदीक्षित हो रहे छात्रगणों के जीवन का मार्ग प्रशस्त होगा और यह अच्छी शिक्षा का कारण बनेगा। उन्होंने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि भारत की हर भाषा को संरक्षित करें क्योंकि इसके अंदर हमारी संस्कृति, इतिहास, साहित्य औरव्याकरण का खजाना है। हमें हमारी भाषाओं को मजबूत बनाना है और इसके लिए आज दीक्षित होने वाले विद्यार्थियों को यह संकल्प लेकर जाना है कि बच्चों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाना है। जो बच्चा अपनी मातृभाषा में सोचता है वह बच्चा सबसे अच्छा विश्लेषक होता है, उसकी तर्क शक्ति भी बढ़ती है और उसकी निर्णय लेने की क्षमता भी सबसे अच्छी होती है।उसका जुड़ाव अपनी संस्कृति, इतिहास और अपने देश के साथ मजबूत होता है।

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