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इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश एवं कार्यपालक अध्यक्ष उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने आपसी सुलह समझौते के माध्यम से वादों के निस्तारण पर बल दिया

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश, न्यायमूर्ति श्री राकेश तिवारी की अध्यक्षता में आज यहां लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय नवीन भवन परिसर, जानकीपुरम के सभागार में विधिक जागरूकता/साक्षरता संगोष्ठी का आयोजन किया गया। न्यायमूर्ति श्री राकेश तिवारी ने दीप प्रज्जवलित करके कार्यक्रम का उद्घाटन किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति श्री एस0बी0 निमसे तथा विधि संकाय के डीन ने  न्यायमूर्ति श्री राकेश तिवारी का हार्दिक स्वागत किया।
मा0 न्यायमूर्ति श्री राकेश तिवारी ने सभागार में उपस्थित विधि छात्र-छात्राओं तथा विश्वविद्यालय के विधि विशेषज्ञों एवं प्रोफेसरों को सम्बोधित  करते हुए कहा कि सुखमय जीवन के लिए वाद रहित जीवन अनिवार्य है। सबको वादों से बचना चािहए। एकता, आपसी सौर्हाद, शांति, धैर्य, संयम, आदरभाव, प्रेम, स्नेह के बर्ताव से समाज में सुखमय वातावरण सृजित होता है। विवाद उत्पन्न होने पर भी शांति, धैर्य, धीरज तथा पे्रम एवं सूझ-बूझ से मामलों को सरलता से आपसी बातचीत से हल कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपसी सुलह-समझौते से बडे़-बड़े प्रकरण, वाद तथा मामलों का निस्तारण आसानी से हो जाता है। आपसी सुलह-समझौते से हल किए गए मामलों में दोनों पक्षों की जीत होती है और वादी तथा प्रतिवादी दोनो को राहत एवं सुकून मिलता है।
मा0 न्यायमूर्ति श्री राकेश तिवारी ने कहा कि महिलाओं/छात्राओं/कन्याओं के प्रति सबको आदरभाव रखते हुए  उनकी गौरव, गरिमा, आत्मसम्मान की रक्षा करनी चाहिए। भारतीय संविधान में महिलाओं/पुरूषों सबको एक समान अधिकार प्रदत्त किए गए हैं। न्यायपालिका द्वारा कानून एवं सबके हितों की सुरक्षा हेतु ठोस व्यवस्था की गई है।    श्री तिवारी ने विधि संकाय के अध्यापकों/विधि छात्र-छात्राओं से अपेक्षा की है कि वे गांवों का चयन करके लोगों के वादों को आपसी सुलह समझौतों के आधार पर निस्तारण हेतु सार्थक पहल करें और ग्रामीण क्षेत्रों में विधिक साक्षरता/जागरूकता शिविरों के माध्यम से लोगों को आपसी विवादों को हल करने और आदर्श एवं विवाद रहित वातावरण को सृजित करने में भरपूर सहयोग दें।
मा0 न्यायमूर्ति श्री राकेश तिवारी ने बताया कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा पात्र व्यक्तिाओं को निःशुल्क सेवायें  उपलब्ध करायी जाती है। लोक अदालतों  का आयोजन करके आपसी सुलह-समझौते के माध्यम से विवादों का निपटारा करने तथा विधिक सेवा उपलब्ध कराने हेतु अत्यधिक प्रभावी एवं कम खर्चीली योजनाएं तैयार करके उन्हें क्रियान्वित किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों, गरीब तथा श्रमिक बस्तियों में समाज के कमजोर वर्गों को उनके विधिक अधिकारों की जानकारी देने हेतु विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन करने पर बल दिया। उन्होंने पारिवारिक व अन्य विवादों एवं मामलों को सुलह-समझौते के आधार पर निपटाने हेतु परामर्श एवं सुलह-समझौता केन्द्रों का संचालन कराने, प्रिलिटिगेशन विवादों के निस्तारण हेतु लोक अदालतें आयोजित करने, अभियुक्तों को रिमाण्ड स्तर पर विधिक सहायता देने, विधिक सहायता प्रकोष्ठ के माध्यम से जेल में निरूद्ध बन्दियों को, उनके विधिक अधिकारों की जानकारी एवं विधिक सहायता प्रदान करने, लोक हित से संबंधित अधिनियमों की धारा-14 ज्ञान माला पुस्तिकाएं प्रकाशित कराकर वितरित कराने पर जोर दिया। समस्त प्रदेश में मेगा लोक अदालत का आयोजन करके भी वादों का निस्तारण किया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष दिनांक 09 नवम्बर को विधिक सेवा दिवस के अवसर विशेष विधिक साक्षरता शिविर एवं लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। पराविधिक स्वयं सेवकों के माध्यम से आमजन को विधिक अधिकारों व राज्य की जनकल्याणकारी योजनाओं को अवगत कराया जा रहा है।
मा0 न्यायमूर्ति श्री  तिवारी ने बताया कि राज्य के विभिन्न परिक्षेत्रों व विभिन्न विधि विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों में विधिक सहायता क्लिनिकों की स्थापना की जा रही है ताकि आमजन व समाज के अपवंचित वर्ग को निःशुल्क विधिक सहायता व मौलिक अधिकारों की जानकारी प्रदान करते हुए आधारीय विधिक प्रसुविधा प्रदान किया जा रहा है। ग्रामीण स्तर पर भी आधारीय प्रसुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु ग्राम्य विधिक देखभाल एवं सम्पादन केन्द्र की प्रत्येक गांव अथवा गावों के समूह में स्थापित कराने का प्रयास किया जा रहा है। प्रत्येक  विधिक सेवा संस्था के अधीन मध्यस्थ्ता केन्द्र की स्थापना कर पारस्परिक सदभावना के आधार पर विवादों के निस्तारण हेतु सुलह-समझौता कराने का प्रयास किया जा रहा है तदनुसार उच्च न्यायालय इलाहाबाद एवं लखनऊ खण्ड पीठ तथा समस्त जनपदों के न्यायालयों में मिडियेशन सेन्टर स्थापित  किए गए हैं।
संगोष्ठी में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री एस0एन0 अग्निहोत्री, न्यायाधीश सर्वश्री तेज प्रताप तिवारी, राकेशपति त्रिपाठी, राजीव माहेश्वरी, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति श्री एस0बी0 निमसे तथा विधि संकाय के डीन श्री आर0आर0 लायल विधि प्रोफेसर डा0 ए0के0 श्रीवास्तव तथा एस0एन0 तिवारी ने उपस्थित विधि छात्र-छात्राओं तथा विधि विशेषज्ञों को कानून तथा विधिक सेवाओं के बारे में उपयोगी जानकारी दी।
संगोष्ठी में विधि संकाय के छात्र-छात्राओं द्वारा कन्या भ्रूण हत्या को रोकने तथा बेटी बचाने हेतु प्रेरक जानकारी एक नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दी गई। कलाकारों ने भ्रूण हत्या रोकने, लिंग परीक्षण पर रोक के बारे में तथा कानूनी संरक्षण के विषय में भी जागरूकता  उत्पन्न की। जिसे मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति श्री राकेश तिवारी ने सराहना  करते हुए छात्र-छात्राओं को शाबासी भी दी।

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