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एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी की तरक्की, सम्मिलित दृष्टिकोण महत्वपूर्णः उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि इस बात को समझते हुए कि 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु के लोगों की है, देश को युवा और शिक्षित लोगों की प्रतिभा और कौशल का लाभ आवश्यक उठाना चाहिए।

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आज राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत (एनएएसआई) और एल्सवियर पुरस्कार 2018 प्रदान करने के बाद एकत्र जनसमूह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है कि वह गरीबी, अप्रत्यक्ष भूख और आर्थिक असमानता जैसी चुनौतियों से निपटकर अवसरों का लाभ उठाए और विकास के मानदंडों में आगे बढ़े। इस पुरस्कार का उद्देश्य युवाओं में वैज्ञानिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है।

श्री नायडू ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों को निर्णायक भूमिका अदा करनी चाहिए और लोगों का जीवन सुधारने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को शीर्ष देशों की श्रेणी में खड़ा करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि गरीबी, निरक्षरता, लिंग, भेदभाव और अन्य चुनौतियों से निपटने में  विज्ञान और प्रौद्योगिकी की तरक्की और विकास के लिए सम्मिलित दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब तक इन मुद्दों का हल नहीं होता तब तक कोई भी देश विकसित नहीं बन सकता।

उपराष्ट्रपति ने युवा वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, निरंतर विकास, स्वच्छ ऊर्जा और जल तथा बीमारियों जैसी दुनिया के सामने मौजूद और उभरती हुई चुनौतियों का समाधान ढूंढे।

उन्होंने कहा कि केवल वैज्ञानिक ही आने वाले वर्षों में वर्तमान और उभरती हुई समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं। यह जिम्मेदारी युवा वैज्ञानिक समुदाय के कंधों पर है।

उपराष्ट्रपति ने विभिन्न कॉरपोरेट संगठनों और उद्योगों से अपील की कि वह देश में बड़ें पैमाने पर वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा दें और अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए एक कोष बनाएं।

साथ ही उन्होंने नवोन्मेष के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया। जिससे कृषि, पर्यावरण, स्वस्थ्य, आवास, स्वच्छ पेयजल और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का समाधान निकाला जा सके।

स्कोपस युवा वैज्ञानिक पुरस्कार एल्सवियर की युवा अनुसंधानकर्ताओं की सहायता करने की वैश्विक पहल का हिस्सा है। 2009 में भारत ने एल्सवियर के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के साथ सहयोग के जरिए अपने वैज्ञानिक समुदाय में इस कार्यक्रम को आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया।

यह पुरस्कार पांच श्रेणियों में दिए जाते हैं- विज्ञान में महिला, कृषि, पादप विज्ञान और ग्रामीण विकास, पर्यावरण की दृष्टि से मजबूत निरंतर विकास, जैव-चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य देखभाल तथा इंजीनियरिंग और भौतिक विज्ञान में नवोन्मेष।

एपीएसी एल्सवियर के उपाध्यक्ष श्री सौरभ शर्मा, एल्सवियर बीवी के कार्यकारी उपाध्यक्ष श्री जीनो उस्सी और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस समारोह में मौजूद थे।

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