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180 एनएम सीएमओएस उत्पादन के लिए स्वदेशी मेमोरी प्रौद्योगिकी का अंगीकरण: सेमीकंडक्टर अनुसंधान और विकास में एक राष्ट्रीय उपलब्धि

देश-विदेश

वास्तविक दुनिया सादृश्य है जबकि कंप्यूटिंग डिजिटल है। कंप्यूटर वास्तविक दुनिया को सेंसरचिप्स के माध्यम से समझते हैं जिसका परिणाम सादृश्य है। सादृश्य परिणाम को डिजिटाइज़र चिप या एनालॉग टू डिजिटल कन्वर्टर (एडीसी) के माध्यम से कंप्यूटर की भाषा में परिवर्तित किया जाता है। फाउंड्री ऐसी चिप्स का उत्पादन बड़े पैमाने पर करती हैं। आदर्श तौर पर यह चिप समान होने चाहिए लेकिन विनिर्माण विविधताएं छोटे समायोजनों का सृजन करती हैं जो परीक्षण से प्रकट होते हैं। यह चिप के एक बड़े हिस्से को व्यर्थ कर देता है। छोटे ऑफसेट को एक बार मेमोरी में संग्रहित किया जा सकता है और बाद में प्रत्येक अपूर्ण चिप को “निपुण” बनाने के लिए आउटपुट पर लागू किया जा सकता है। इस पद्धति का उपयोग करते हुए, सामान्य चिप को भी अब डिज़ाइन किया जा सकता है और उपयोगकर्ता के लिए समय और धन की बचत करते हुए, महंगे कस्टम चिप डिज़ाइन को और महत्वपूर्ण एवं वहनीय बनाने के लिए एप्लिकेशन-विशिष्ट ऑफ़सेट को जोड़ा जा सकता है।

देश और विश्व स्तर पर सेमीकंडक्टर्स की मांग में वृद्धि के कारण चिप प्रौद्योगिकी के बीच होने वाल अंतर भारतीय शोधकर्ताओं के लिए परीक्षण का एक विषय बन गया है। भारत सरकार ने नवाचार-संचालित सेमीकंडक्टर निर्माण में अनुसंधान एवं विकास के महत्व पर महत्वपूर्ण रूप से संज्ञान लिया है। अनुसंधान एवं विकास क्षमता में सुधार करने के लिए सरकार द्वारा सबसे पहले आईआईटी बॉम्बे और भारतीय विज्ञान संस्थान में नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स (सीईएन) में उत्कृष्ट केंद्रों का निर्माण किया गया। इसके माध्यम से एक रूपांतरित सेमीकंडक्टर अनुसंधान इको सिस्‍टम को विकसित किया गया, जिससे देश इलेक्ट्रॉन उपकरण से संबंधित अनुसंधान में एक प्रमुख योगदानकर्ता बन गया है।

अगली चुनौती अनुसंधान को विनिर्माण में परिवर्तन करने की थी। भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम का नेतृत्व भारत सरकार के मोहाली स्थित अंतरिक्ष विभाग की सेमी-कंडक्टर लेबोरेटरी (एससीएल) द्वारा किया जाता है और यह देश की सबसे उन्नत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग लैब में से एक है। (मेमोरी चिप के उत्पादन के लिए उपयोग किए जाने वाले उत्कृष्ट वातावरण के साथ एक बड़ा सुविधा केन्द्र)

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रो. के. विजय राघवन ने कहा कि भारत सरकार द्वारा “डिजिटल इंडिया” पहल की सफलता हमारे देश की इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर निर्माण क्षमता पर आधारित है। मुख्य रूप से अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को मजबूत करने के लिए एकीकृत सर्किट या चिप सहित इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। इस मामले में मानकों का विकास, उत्पाद डिजाइन या आईपी विकास और सेमीकंटक्टर का तेजी से निर्माण महत्वपूर्ण हैं। इस क्षेत्र में भारत की भागीदारी में सुधार करना भारत में अनुसंधान एवं विकास के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता है। इस मेमोरी टेक्नोलॉजी को पहली बार स्थापित करने के लिए आईआईटी बॉम्बे और एससीएल के बीच साझेदारी देश में सेमीकंडक्टर अनुसंधान की दिशा में संवर्धित क्षमता को प्रदर्शित करती है।”

आईआईटी बॉम्बे ने सीएमओएस 180एनएम आधारित प्रोडक्शन रेड्डी 8-बिट मेमोरी तकनीक को सफलतापूर्वक प्रदर्शित करने के लिए एससीएल के साथ भागीदारी की। आईआईटी बॉम्बे ने मौजूदा गेट ऑक्साइड-आधारित ओटीपी तकनीक के बजाय अल्ट्रा-थिन डिपोजिटिड सिलिकॉन डाइऑक्साइड (कुछ भारी अणुओं) पर आधारित वन-टाइम प्रोग्रामेबल (ओटीपी) मेमोरी का आविष्कार किया। गेट ऑक्साइड ब्रेकडाउन (एक लोकप्रिय ओटीपी मेमोरी) के लिए आवश्यक उच्च वोल्टेज के विपरीत, आईआईटी बॉम्बे की मेमोरी चिप को कम बिजली और चिप-एरिया की आवश्यकता होती है इसमें अधिक वोल्टेज आपूर्ति की आवश्यकता से बचा जाता है। नीति आयोग के सदस्य डॉ.वी.के. सारस्वत ने कहा “डेटा सुरक्षा के लिए मेमोरी तकनीक महत्वपूर्ण है। यह वर्तमान और भविष्य की भारतीय प्रौद्योगिकी के लिए आवश्यक है। नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए, मैमोरी प्रौद्योगिकी का अनुसंधान से विनिर्माण तक उपयोग विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा और एक जीवंत सेमीकंडक्टर इको सिस्‍टम को स्थापित करने के लिए स्थानीय रूप से सेवा करने की कुंजी है। संयुक्त आईआईटी बॉम्बे- एससीएल चंडीगढ़ टीमों द्वारा ट्रिमिंग एप्लिकेशन के लिए ओटीपी मेमोरी टेक्नोलॉजी का अंगीकरण इस दिशा में एक अग्रणी कदम है। यह देश के लिए सुरक्षित मेमोरी और एन्क्रिप्शन हार्डवेयर को सक्षम बनाते हुए एक गेमचेंजर साबित होगा।”

आईआईटी बॉम्बे की टीम को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र (आईआरएचपीए) में गहन अनुसंधान के माध्यम से सहायता दी गई। कार्य के पहलुओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स नेटवर्क फॉर रिसर्च एंड एप्लिकेशन (एनएनईटीआरए) द्वारा समर्थित किया गया था, जो मेमोरी एप्लिकेशन में सहायता प्रदान करता है। आईआईटी बॉम्बे की टीम ने हार्डवेयर एन्क्रिप्शन के लिए आईआईटी दिल्ली, सेट्स चेन्नई और डीआरडीओ के साथ भागीदारी की।

आईआईटी बॉम्बे की टीम का नेतृत्व करने वाले प्रो. उदयन गांगुली ने कहा कि 100 विचारों में से कोई एक ही प्रयोगशाला से कार्य क्षेत्र तक जाता है। 95 प्रतिशत से अधिक परिणाम प्राप्ति की सटीक प्रक्रिया के लिए एक स्थायी सहयोग बनाने हेतु एक विश्व स्तरीय अनुसंधान एवं विकास बुनियादी ढांचे से समर्थित एक असाधारण बहु-अनुशासनात्मक टीम की आवश्यकता होती है। एक बार सफल होने के बाद, इस मामले में, एक छोटी सी मेमोरी के साथ चिप के माध्यम से इस तरह की तकनीक अनगिनत लोगों के लिए संभावनाओं के द्वार खोलती है।

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