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जनजातीय गौरव दिवस समारोह को सम्बोधित करते हुएः उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू

देश-विदेश

उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने लोगों से आह्वान किया कि वे आगे बढ़कर जनजातीय शिल्पकारों और कारीगरों द्वारा बनाए गए उत्पादों को खरीदें और उनका समर्थन करें। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय नवीन हस्तशिल्प उत्पादों के साथ आ रहे हैं जो पर्यावरण के लिए अनुकूल और दीर्घकालिक हैं।

श्री नायडू ने जनजातीय लोगों के प्राकृतिक कौशल को दिशा प्रदान करने की आवश्यकता बल दिया, जिससे उनके उत्पादों को बढ़ावा दिया जा सके, उसे लोकप्रिय बनाया जा सके और उनके आय के स्रोतों में सुधार किया जा सके। उन्होंने कहा कि “जनजातीय शिल्पकारों और महिलाओं के उत्पादों के लिए पर्याप्त विपणन मार्ग तैयार करने की भी आवश्यकता है।”

जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आयोजित किए गए समारोह में, उपराष्ट्रपति ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जनजातीय समुदायों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदायों ने बड़े पैमाने पर अपना योगदान दिया। उन्होंने आगे कहा कि”देश के विभिन्न हिस्सों में उठे इन जनजातीय आंदोलनों ने कई लोगों को अन्यायपूर्ण ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।”

महान जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित करने के लिए सरकार की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि रानी दुर्गावती, रानी गैडिनल्यू, बाबा तिलका माझी, कोमाराम भीम, अल्लूरी सीतारामराजू और अन्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की वीर गाथाओं को उजागर करना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष जनजातीय गौरव दिवस मनाने से आने वाली पीढ़ी को जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के साहस, निर्भिकता और बलिदान के प्रति जागरूक किया जा सकेगा।

उपराष्ट्रपति ने जनजातीय लोगों के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और उपलब्धियों के 75 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में 15 नवंबर, 2021 से शुरू किए गए सप्ताह भर के समारोहों पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। देश के नागरिकों से सप्ताह भर चलने वाले इन समारोहों में सक्रिय रूप से शामिल होने का आह्वान करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “मैं सभी लोगों से आग्रह करूंगा कि वे इन समारोहों में सक्रिय रूप से शामिल हों और अनूठी जनजातीय सांस्कृतिक विरासत, स्वतंत्रता संग्राम, प्रथाओं, अधिकारों, परंपराओं, व्यंजनों, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका में उनके योगदान से परिचित हों।”

जनजातीय समुदायों की विशिष्टता के बारे में बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “हमारे जनजातीय समुदायों को जो खास बनाता है वह ये है कि वे प्रकृति के साथ से गहराई से जुड़े हुए हैं और अपनी संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाजों और परंपराओं को कायम रखने में सफल रहे हैं।” उन्होंने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस के माध्यम से जनजातीयों की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करने और भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने में उनके द्वारा किए प्रयासों की पहचान करने में भी मदद मिलेगी।

सफलता प्राप्त करने वाले जनजातीय छात्रों को सम्मानित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि उनकी सफलता यह साबित करती है कि अवसर प्रदान किए जाने पर जनजातीय बच्चे किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं।

उपराष्ट्रपति ने राजभवन में जनजातीय कल्याण विभाग, कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजित किए गए प्रदर्शनी का दौरा किया।इस अवसर पर श्री नायडू ने वाल्मीकि, सिद्दी, सोलिगा, कुड़िया और अन्य जनजातीय समुदायों द्वारा प्रदर्शित किए गए डोल्लू कुनिथा जैसे सांस्कृतिक प्रदर्शन कोभी देखा।

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