नई दिल्लीः मुझे आपको सिलवर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर प्रदान कर अत्यंत प्रसन्ता हो रही है। मैं आपकी शानदार उपस्थिति और शानदार सैन्य आचरण के लिए आपको बधाई देता हूं। मेरे व्यक्तिगत अंगरक्षक के रूप में आपने पेशेवर उत्कृष्टता के उच्च मानकों का पालन किया है। आप अपने प्रेरक नारे के लिए जिये हैं यह नारा सरल है ‘भारत माता की जय’।
राष्ट्रपति के अंगरक्षक का इतिहास 1773 से प्रारम्भ होता है। वायसराय के अंगरक्षक के रूप में गठित यह भारतीय सेना का सबसे पुराना रेजीमेंट है। गणराज्य बनने के एक दिन बाद 27 जनवरी, 1950 को इसे राष्ट्रपति का अंगरक्षक नाम दिया गया।
आप भारतीय सेना के अकेला रेजीमेंट हैं जो पूरी तरह घुड़सवारी पैराट्रूप, टैंक संचालन और रस्मी कर्तव्यों में प्रशिक्षित है। यह आपको हमारी सशस्त्र सेना में विशेष स्थान प्रदान करता है। आपकी देश भक्ति और आपके शौर्य से आपको नागरिकों का आदर और आभार मिला है। यह गर्व का विषय है कि मेरे अंगरक्षक आप योद्धाओं ने युद्ध के समय और श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के साथ और सियाचिन ग्लेशियर की बर्फीली ऊचाई पर सेवा दी है। मेरे व्यक्तिगत अंगरक्षक के रूप में ऐसी शानदार टुकड़ी को पाकर मुझे प्रसन्नता है। आप हमारी सैन्य शक्ति गणतंत्र दिवस या बिटिंग रिट्रीट राज्य समारोहों या अलंकरण समारोहों में दिखाते हैं। दुसरे देशों के राज्य अध्यक्ष का आप शानदार रस्मी स्वागत करते हैं। उससे वे बहुत प्रभावित होते हैं। मैं आज कर्नल बोमान्डा धीरज चेंगप्पा, राष्ट्रपति के अंगरक्षक के कमाण्डेंट तथा अन्य अधिकारियों, जेसीओ और रैंक को अपनी बधाई देता हूं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अंगरक्षक में अपनी सेवा देने वाले पूर्व कमाण्डेंट अधिकारी जेसीओ तथा अन्य रैंक और उनके परिवार के सदस्य आज यहां उपस्थित हैं। आप सभी को बधाई और शुभकामनाएं।