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69 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड के राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल का प्रदेश की जनता के नाम संदेश

उत्तराखंड

देहरादून: राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने  69 वें गणतंत्र दिवस पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में राज्यपाल ने देश की सीमाओं की रक्षा के लिए समर्पित वीरभूमि उत्तराखण्ड के बहादुर जवानों, शहीदों, उनके परिजनों और राज्यगठन के प्रत्येक सहयोगी को भी हृदय से नमन करते हुए देवभूमि उत्तराखण्ड की खुशहाली और तरक्की की कामना की।

           राज्यपाल ने कहा कि आज का यह दिन आजादी के उन सभी महानायकों के प्रति आभार व श्रद्धा अर्पित करने का अवसर है जिनके कठिन संघर्ष, बलिदान तथा आदर्शों ने हमें विश्व के सबसे विशाल व सम्मानित लोकतांत्रिक देश का नागरिक बनने का गौरव दिया।

           राज्यपाल ने कहा कि 26 जनवरी 1950 को हमारा अपना संविधान लागू हुआ और इसके साथ ही सम्प्रभुता सम्पन्न, लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में भारत का उदय हुआ। हमारे संविधान में सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता व समानता का अधिकार प्रदान किया गया है। संविधान में की गई व्यवस्थाओं पर चलकर ही आज भारत की पहचान विश्व के शक्तिशाली राष्ट्र के तौर पर बनी है। हमारे सफल लोकतंत्र से दूसरे राष्ट्र प्रेरणा ग्रहण करते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि  बतौर उत्तराखण्ड के राज्यपाल के अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने राज्य के कई दूर-दराज के इलाके देखे, वहाँ की परेशानियां समझी। पहाड़ के कुछ इलाके आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव झेल रहे हैं। सरकार के प्रयत्नों के बावजूद अभी भी स्कूलों में शिक्षकांे तथा अस्पतालों में डाॅक्टर्स की कमी है। गाँवों से बढ़ता पलायन चिन्ता का विषय है। ग्रामीण विकास के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्धता से काम कर रही है। विकास की सभी योजनाओं और उसके शत्-प्रतिशत लाभ में प्रत्येक नागरिक की भागीदारी तय करने के लिए राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि जो योजनाएं बन रही हैं वे गुणवत्ता के साथ सही समय पर पूरी हों। तभी विकास सही अर्थ में परिभाषित होगा।

राज्यपाल ने कहा कि हमें अपनी उपलब्धियों पर गर्व है तो हमारे सामने बहुत सी चुनौतियां भी हैं। विकास की सार्थकता तभी है जब इसका लाभ अंतिम पंक्ति में अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचे। इस दिशा में सरकार द्वारा अनेक महत्वपूर्ण पहलें की गई हैं, परन्तु हमारा लक्ष्य पहाड़ व दूरदराज के गाॅवों को आर्थिक दृष्टि से उन्नत बनाना अभी भी दूर है और इस हेतु प्रयास करने की आवश्यकता है।

 प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘मन की बात’ के माध्यम से हर आयु, वर्ग, क्षेत्र के लोगों को राष्ट्र निर्माण में भागीदारी के लिए प्रेरित किया है। ‘‘नए भारत’’ के निर्माण के लिए मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजीटल इंडिया, स्वच्छ भारत, नमामि गंगे, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के माध्यम से जन अभियान प्रारम्भ किये हैं।पूर्ण साक्षरता, सबको आवास, किसानों की आय दुगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं।

प्रगतिशील भारत के अभियान में उŸाराखण्ड बढ़-चढ़कर महत्वपूर्ण भागीदारी निभा रहा है। युवाओं के कौशल विकास के लिए राज्य में अलग से रोजगार सृजन एवं कौशल विकास विभाग का गठन किया गया है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत स्टेट कम्पोनेंट में देश का पहला प्रशिक्षण केंद्र उŸाराखण्ड में प्रारम्भ किया गया है। राज्य में सेंट्रल इंस्टीट्यूट आॅफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी और नेशनल इन्स्टीटयूट आॅफ फैशन टेक्नोलोजी की स्थापना की जा रही है। युवाओं को उद्यम हेतु प्लेटफार्म उपलब्ध करवाने के लिए राज्य की अपनी ‘स्टार्ट अप पाॅलिसी’ लाई गई है। प्रदेश में आइडिया हब भी स्थापित किए जा रहे हैं।

डिज़िटल उŸाराखण्ड के तहत सभी विभागों के कार्यों की मुख्यमंत्री स्तर से सीधे माॅनिटरिंग के लिए ‘उत्कर्ष’ नाम से सी.एम. डैश बोर्ड की शुरूआत की गई है। विभिन्न विभागों की सेवाओं को आॅन लाईन किया जा रहा है। ई-गवर्नेंस के लिए देवभूमि जनसेवा व ई-डिस्ट्रिक्ट सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली का भी पूर्ण कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है। भू-अभिलेखों को आॅनलाईन किया जा चुका है। एम.डी.डी.ए. में आॅन लाईन भवन मानचित्र स्वीकृत प्रणाली शुरू की गई है। इन व्यवस्थाओं का पूरा लाभ आम जन तक मुहैय्या हो, इसके लिए सभी जगह डीजीटल कनैक्टिविटी सुचारू रूप से सुनिश्चित करनी चाहिए।

        यातायात विभाग में ई-चालान योजना, स्मार्ट कार्ड आधारित ड्राईविंग लाईसेंस व पंजीयन पुस्तिका का शुभारम्भ किया जा चुका है। सड़क सुरक्षा के लिए दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं। आमजन के काम तय समय में हो सकें, इसके लिए 162 सेवाओं को ‘सेवा का अधिकार’ के तहत लाया गया है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ई-टेंडरिंग की व्यवस्था लागू की गई है।

राज्यपाल ने कहा कि  आज देश में ‘स्वच्छता का महायज्ञ’ चल रहा है। स्वच्छ भारत अभियान में उŸाराखण्ड अग्रणी पंक्ति में है। राज्य में स्वच्छता अभियान की पहल को भारत सरकार द्वारा बेस्ट प्रेक्टीसेज का दर्जा दिया गया है। हम सभी को सभ्य नागरिक की जिम्मेदारी समझते हुए इसमें भागीदारी निभानी होगी।

  उŸाराखण्ड की पहचान ‘देव भूमि’ के रूप में है। हमें अपनी इस पहचान को बनाए रखना है। उŸाराखण्ड गंगा, यमुना सहित अनेक नदियों का उद्गम स्थल है। इसलिए नमामि गंगे अभियान में राज्य की विशेष भूमिका है। हम अपनी इस विशेष जिम्मेदारी को समझते भी हैं। इसलिए अन्य प्रयासों के साथ-साथ हमें स्वयं गंगा को प्रदूषित होने से रोकना है और यह संदेश सभी तक पहुंचाना है। उŸाराखण्ड में नमामि गंगे के तहत 1191 करोड़ रूपए के 66 कार्य प्रस्तावित हैं। गंगा की स्वच्छता व निर्मलता के साथ ही देहरादून में रिस्पना व अल्मोड़ा में कोसी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए अभियान प्रारम्भ किए गए हैं।

जनभावनाओं के अनुरूप विकास के लिए हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती, राज्य के दुर्गम व दूर-दराज के क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाना है। शिक्षा, स्वास्थ्य व पर्वतीय खेती पर विशेष ध्यान देना होगा। राज्य सरकार गम्भीरता से इस दिशा में काम कर रही है। पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए ग्रामीण विकास व पलायन आयोग, लोगों से सुझाव प्राप्त कर कार्ययोजना बना रहा है। हमारे प्रदेश में कृषि उत्पादन में आ रही कमी एक चिंता का विषय है।  प्रदेश में खेती के लाभकारी न रहने का एक बड़ा कारण यह भी है कि अधिकांश कृषि जोतें बहुत छोटी हैं। वर्ष 2010-11 में लगभग 74 प्रतिशत जोतें, एक हेक्टेयर से कम आकार की थीं। खेती को लाभकारी बनाने के लिए किसानों व काश्तकारों को चकबंदी के लिए प्रेरित करना होगा। इसके साथ ही खेती व बागवानी की जंगली जानवरों से सुरक्षा व कृषि उत्पादों के विपणन की समुचित व्यवस्था करनी होगी। ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के उत्पादों की सुनिश्चित मार्केटिंग की व्यवस्था कराना भी आवश्यक है।

  इस संदर्भ में पलायन को रोकने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के प्रयास करने होंगे। खेती, बागवानी, ग्राम्य पर्यटन, योगा और वैलनैस टूरिज्म स्थानीय लोगों की आय व रोजगार के लिए महत्वपूर्ण हैं। हाॅर्टीकल्चर, फ्लोरीकल्चर, औषधीय व सगंध पौधों की खेती के साथ ही जैविक खेती से काश्तकारों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। किसानों की आय दुगुनी करने के उद्देश्य से ‘‘दीन दयाल किसान कल्याण योजना’’ के तहत राज्य सरकार केवल 2 प्रतिशत ब्याज पर एक लाख रूपए तक का ऋण उपलब्ध करवा रही है। उŸाराखण्ड उन कुछ राज्यों में है, जहां किसानों को खाद पर सब्सिडी दी जा रही है। जल्द ही नर्सरी एक्ट तैयार कर लिया जाएगा।

 प्रदेश की 670 न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। क्लस्टर एप्रोच के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान व तकनीकी के उपयोग से सतत विकास हेतु ‘‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय विज्ञान ग्राम संकुल परियोजना’’ प्रारम्भ की गई है। राज्य के ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्रों में स्वरोजगार के लिए राज्य सरकार अनेक योजनायें चला रही है। ये सभी योजनायें धरातल पर दिखें, इसके लिए जरूरी है कि उनका सघन अनुश्रवण हो। सम्बन्धित अधिकारी और कर्मचारी क्षेत्र भ्रमण पर जाकर लोगों की समस्याओं को सुनें। अपने ज्ञान और विवेक से मौके पर ही उन परेशानियों का समाधान तत्परता से करें। अधिकारियों की ईमानदार और उदार जनसेवा की भावना से ही जन विश्वास हासिल होगा।

दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अधिक प्रयास की आवश्यकता है, इससे पलायन भी रूक सकता है। सरकार चिकित्सकों की नियुक्ति का हर सम्भव प्रयास कर रही है। टेली रेडियोलाॅजी व टेली मेडिसिन की सेवाएं प्रारम्भ की गई हैं। राज्य के दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में ई-हैल्थ सेंटर के लिए सरकार ने एक प्रमुख आई.टी कम्पनी के साथ एम.ओ.यू. किया है। प्रत्येक जिला अस्पताल में न्यूनतम 2 बैड के आई.सी.यू. की स्थापना की जा रही है।

          हमारे शिक्षण संस्थान, नए भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। परंतु इसके लिए हमें स्कूलों व काॅलेजों को क्वालिटी एजुकेशन व स्पोर्ट्स के सेंटर बनाने के लिए प्रयास करने होंगे। काॅलेजों में सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवानी होंगी। क्वालिटी एजुकेशन के लिए अध्यापन व अध्यापकों के स्तर में सुधार करना होगा। इसके लिए योग्य व अपने विषय में निपुण, फेकल्टी की भर्ती के प्रयास करने होंगे। तभी युवाओं को विश्वविद्यालयों से सही व सकारात्मक मार्गदर्शन मिल सकेगा। विश्वविद्यालयों को ज्ञान का सृजक बनाने के लिए विश्वस्तरीय व मौलिक शोध को प्रोत्साहित करना होगा। तभी हमारे विश्वविद्यालयों का स्तर  ऊंचा उठेगा। शिक्षा में आधुनिक तकनीक के प्रयोग के साथ सांस्कृतिक व नैतिक मूल्यों से जुड़ाव भी जरूरी है। साथ ही कौशल विकास द्वारा रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। ताकि अपनी प्रतिभा, योग्यता व क्षमता के अनुसार हमारे युवा देश के निर्माण में सकारात्मक योगदान कर सकें।

उŸाराखण्ड में मजबूत आधारभूत संरचना के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से बहुत महत्वपूर्ण पहलें की गई हैं। श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण, चार धाम आॅल वेदर रोड़ परियोजना व ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की लगातार माॅनिटरिंग स्वयं प्रधानमंत्री जी द्वारा की जा रही है। इन योजनाओं से पर्यटन के साथ ही राज्य की अर्थव्यवस्था में भी क्रांतिकारी परिवर्तन आएंगे। केंद्र सरकार ने भारतमाला परियोजना के अंतर्गत उŸाराखण्ड के लिए 10 हजार करोड़ रूपए की लागत से 570 किलोमीटर लम्बाई की कुल 05 सड़कें मंजूर की हैं। इन सभी सड़कों पर निर्माण कार्य अगले 6 माह में शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।

 इस वर्ष चारधाम यात्रा पर रिकाॅर्ड संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन से पर्यटन में नव उत्साह का संचार हुआ। महामहिम राष्ट्रपति जी व प्रधानमंत्री जी के श्री केदारनाथ व श्री बदरीनाथ धाम आने से सारे देश में बल्कि सारे विश्व में एक सकारात्मक संदेश गया। राज्य में पर्यटन के नए अवसर उत्पन्न करने के लिए ‘‘13 डिस्ट्रिक्ट-13 न्यू टूरिस्ट डेस्टीनेशन’’ पर काम किया जा रहा है।

 प्रत्येक सभ्य समाज में नागरिकों को मूलभूत अधिकारों के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार व सम्मानित जीवन जीने का अधिकार होता है। हमारा संविधान भी देश के नागरिकों को ये सभी अधिकार प्रदान करता है। परंतु देश के प्रति हमारे कुछ कर्तव्य भी हैं। हमें यह समझना होगा कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है। शांति व सौहार्द्र की परम्परा को बनाए रखते हुए देश के विकास में सहभागिता करें। देश व राज्य के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करें।

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