27 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

यौन उत्‍पीड़न के लंबित मामलों में डीएनए जांच के लिए फोरेंसिक लैब की कमी से निपटने हेतु अगले तीन माह में ऐसी पांच और लैब खोली जाएगी: श्रीमती मेनका संजय गांधी

देश-विदेशप्रौद्योगिकी

नई दिल्ली: महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने आज केन्‍द्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएसएफएल), चंडीगढ़ के परिसर में सखी सुरक्षा आधुनिक डीएनए फोरेंसिक लैबो‍रेट्री की आधारशिला रखी। कार्यक्रम में मंत्री महोदया ने कहा कि आपराधिक जांच में फोरेंसिक परीक्षण की अहम भूमिका होती है और देश में यौन उत्‍पीड़न  के लंबित मामलों की फोरेंसिक डीएनए जांच में कमी से निपटने में एडवांस्ड लैब का काफी योगदान होगा। मंत्री महोदया ने कहा कि यह लैब आदर्श फोरेंसिक लैब के तौर पर स्‍थापित की जा रही है और देश के अन्‍य हिस्‍सों में भी ऐसी ही लैब शुरू की जाएगी।

मंत्री महोदया ने बताया कि सीएसएफएल, चंडीगढ़ की वर्तमान क्षमता 160 मामले प्रतिवर्ष से कम है और सखी सुरक्षा आधुनिक डीएनए फोरेंसिक लैबोरेट्री से यह क्षमता लगभग 2,000 मामले प्रतिवर्ष बढ़ जाएगी। मंत्री महोदया ने बताया कि अगले तीन माह में पांच और आधुनिक फोरेंसिक लैब मुम्‍बई, चेन्‍नई, गुवाहाटी, पुणे और भोपाल में खुलेंगी, जिससे प्रयोगशालाओं की कुल न्‍यूनतम वार्षिक क्षमता 50,000 मामले हो जाएगी। चेन्‍नई और मुम्‍बई में प्रयोगशालाओं की स्‍थापना महिला और बाल विकास मंत्रालय के कोष से होगी, जबकि शेष तीन लैब की स्‍थापना के लिए वित्‍तीय सहायता गृह मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाएगी। उन्‍होंने कहा कि अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों पर खरे उतरने और महिलाओं को समयबद्ध तरीके से न्‍याय दिलाने के लिए डीएनए प्रौद्योगिकी के लिए आधुनिक डीएनए फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की आवश्‍यकता हैं।

दुष्‍कर्म मामलों के लिए विशेष फोरेंसिक किट : यौन उत्‍पीड़न  के मामलों में दोषियों को पकड़ने के लिए फोरेंसिक के महत्‍व के बारे में बताते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि दुष्‍कर्म मामलों के लिए विशेष फोरेंसिक किट जुलाई तक सभी पुलिस थानों और अस्‍पतालों में वितरित कर दी  जाएगी। मंत्री महोदया ने कहा कि फोरेंसिक उत्‍पीड़न  किट का इस समय सीएफएसएल चंडीगढ़ में प्रमाणीकरण किया जा रहा है। खराब न होने वाली इन किट का इस्‍तेमाल अप्रदूषित सबूत देने के लिए किया जाएगा। इस किट में सबूत एकत्रित करने के लिए आवश्‍यक उपकरण के साथ लिये जाने वाले साक्ष्‍य/नमूनों की पूरी सूची होगी। इस किट को फोरेंसिक लैब में भेजने से पहले ताला लगाकर बंद कर दिया जाएगा। व्‍यक्ति का नाम, दिनांक और किट बंद करने का समय उस पर दर्ज किया जाएगा।

महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव श्री राकेश श्रीवास्‍तव ने कहा कि यह परियोजना गृह और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का संयुक्‍त प्रयास है तथा न्‍याय प्रणाली में इसकी महत्‍वपूर्ण भूमिका होगी।

यौन उत्‍पीड़न के मामलों में जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने की आदर्श समयसीमा 90 दिन है। इसके अलावा जैविक अपराध से संबंधित सबूतों को वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित किया जाना जरूरी है, ताकि कोई भी जांच/रिपोर्ट तर्कसंगत तैयार हो सके। हालांकि सीएफएसएल, चंडीगढ़ में वर्तमान में ऐसी एकत्र करने/संरक्षण क्षमता 200 मामले है।

      वर्तमान में छह सीएफएसएल चंडीगढ़, गुवाहाटी, कोलकाता, हैदराबाद, पुणे और भोपाल तथा प्रत्‍येक राज्‍य/केन्‍द्र शासित प्रदेश में एक फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला है। इन प्रयोगशालाओं में देशभर के यौन उत्‍पीड़न, आपराधिक पैतृत्‍व और हत्‍या सहित सभी मामलों की फोरेंसिक जांच की जाती है।

      महिलाओं से जुड़े मामलों से निपटने के सखी सुरक्षा आधुनिक डीएनए फोरेंसिक प्रयोगशाला में चार इकाइयां स्‍थापित की जाएगी :-

  • यौन उत्‍पीड़न और हत्‍या इकाई
  • पैतृत्‍व इकाई
  • मानव पहचान इकाई
  • माइटोकोंड्रियल इकाई

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More