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29 अक्टूबर से 07 नवम्बर के बीच कृषि यंत्र खरीदने पर 80 प्रतिशत का अनुदान: कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है कि किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने एवं उनकी वर्ष 2022 तक कृषि आय दोगुनी करने की दिशा में कृषि कुम्भ का आयोजन का एक अभिनव प्रयास है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि किसान नई-नई कृषि तकनीक का इस्तेमाल कृषि उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में करेंगे।

कृषि मंत्री आज यहां कृषि कुम्भ के दूसरे दिन फसल अवशेष प्रबन्धन कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसान अपने खेतों के फसल अवशेष, पराली आदि को न जलायंे, क्योंकि न केवल इससे पर्यावरण दूषित होता है, बल्कि खेतों में मौजूद मित्र कीट एवं अन्य पोषक तत्व भी जलकर नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि यंत्र हैपीसीडर का प्रयोग करके फसल अवशेष का खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कचरा से कंचन बनाने हेतु कृषकों को सुझाव देते हुए फसल अवशेष को न जलाने की अपील की। उन्होंने इन-सीटू मैनेजमेन्ट योजना के अन्तर्गत कृषि यंत्रों पर किसानों को दिए जा रहे अनुदान के बारे में बताया कि आगामी 29 अक्टूबर से 07 नवम्बर के बीच जो भी किसान 08 कृषि यंत्रों में से 03 यंत्र एक साथ लेगा, उसे 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जायेगा। इन 08 कृषि यंत्रों में हैपीसीडर, मल्चर, रोटावेटर, जीरोटिल सीडकम फर्टिलाइजर ड्रिल, श्रब मास्टर, पैडी स्ट्रा चापर, श्रेडर तथा रिवर्सबुल एम बी प्लाऊ शामिल हैं। ट्रैक्टर लेने पर 40 प्रतिशत का अनुदान दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जो भी किसान इस योजना के तहत बैंकों से फाइनेन्स कराकर या नकद भुगतान कर सम्बन्धित जिलों में कृषि विभाग के माध्यम से अपने बिल बाउचर अपलोड करा देंगे, उन्हें आउट आॅफ टर्न इस योजना के तहत अनुमन्य अनुदान का भुगतान सीधे उनके खातों में डी0बी0टी0 के माध्यम से किया जायेगा।

इस कार्यशाला में केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री श्रीमती कृष्णाराज ने कहा कि देश में सबसे गरीब किसान है और जब तक किसान उत्तम नहीं होगा तब तक देश भी उत्तम नहीं हो सकता है।

कार्यशाला में कृषि राज्यमंत्री श्री रणवेन्द्र प्रताप सिंह ‘धुन्नी सिंह’ ने कृषि के क्षेत्र में अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि गाय के गोबर एवं गोमूत्र का प्रयोग कर हम जैविक खेती को बढ़ावा दे सकते हैं। गोमूत्र का फसलों पर छिड़काव करने से नीलगाय उस खेत में नहीं जा सकती। इस प्रकार गोमूत्र एवं गोबर आदि का छिड़काव करके नीलगाय द्वारा फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।

कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों के अलावा सांसद श्री जगदम्बिका पाल, पशुधन एवं मत्स्य मंत्री प्रो0 एस0पी0 सिंह बघेल, आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह, श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री श्री मनोहर लाल ‘मन्नू कोरी’, नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 जे0एस0 सिन्धू, कानपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 एस0 सोलोमन, कृषि उत्पादन आयुक्त, प्रमुख सचिव, कृषि सहित वैज्ञानिक, प्रो0 बी0 जिलरी, प्रो0 अनुपम कुमार नेमा, आदि ने भी कार्यशाला को सम्बोधित किया।

इस अवसर पर कृषि उत्पादन आयुक्त श्री प्रभात कुमार, प्रमुख सचिव कृषि श्री अमित मोहन प्रसाद, निदेशक कृषि श्री सोराज सिंह के अलावा बड़ी संख्या में किसान भी उपस्थित थे।

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