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2017-18 के लिए 100 मिलियन कृत्रिम गर्भाधान का राज्‍य-वार लक्ष्‍य निर्धारित किया गया

देश-विदेश

नई दिल्ली: भारत दूध उत्‍पादन में पहले स्‍थान पर है। 2015-16 के दौरान यहां 155.48 मिलियन टन वार्षिक दूध का उत्‍पदन हुआ, जो विश्‍व के उत्‍पादन का 19 प्रतिशत है। पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 2023-24तक 300 मिलियन टन दूध उत्‍पादन का राष्‍ट्रीय लक्ष्‍य रखा गया है तथा उसके साथ-साथ इसी अवधि के दौरान 40.77 मिलियन प्रजनन योग्‍य नॉन-डिस्क्रिप्‍ट गायों की उत्‍पादकता को 2.15 किग्रा प्रतिदिन से बढ़ाकर 5.00 किग्रा प्रतिदिन करने का भी लक्ष्‍य रखा गया है।

19वीं पशुधन संगणना, 2012 के अनुसार भारत में 300 मिलियन बोवाईन आबादी है। 190 मिलियन गोपशु आबादी में से 20 प्रतिशत विदेशी तथा वर्ण संकरित (39 मिलियन) हैं तथा लगभग 80 प्रतिशत देसी तथा नॉन-डिस्क्रिप्‍ट नस्‍लों के हैं। हालांकि भारत में विश्‍व आबादी के 18 प्रतिशत से भी अधिक गाय हैं, परंतु गरीब किसान की सामान्‍य भारतीय गाय प्रतिदिन मुश्किल से 1 से 2 लीटर दूध देती है। 80 प्रतिशत गाय के केवल 20 प्रतिशत दूध का योगदान देती हैं।

यद्यपि भारत ने दूध उत्‍पादन में अपने उच्‍च स्‍तर को बनाए रखा है परंतु दूसरी ओर देसी तथा नॉन-डिस्क्रिप्‍ट नस्‍ल के लगभग 80 प्रतिशत गोपशु कम उत्‍पादकता वाले हैं, जिनकी उत्‍पादकता में उपयुक्‍त प्रजनन तकनीकों को अपनाकर सुधार किए जाने की आवश्‍यकता है।

उत्‍पादकता में वृद्धि करने की महत्‍वपूर्ण कार्यनीति कृत्रिम गर्भाधान (एआई) सुनिश्चित करना है।  कृत्रिम गर्भाधान देश में बोवाईनों की आनुवंशिक क्षमता का उन्‍नयन करते हुए उनके दूध उत्‍पादन और उत्‍पादकता को बढ़ाकर बोवाइन आबादी की उत्‍पादकता में सुधार करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इस मूल गतिविधि को राष्‍ट्रीय गौकुल मिशन की एकछत्र योजना के अंतर्गत चल रही अग्रणी योजनाओं, राष्‍ट्रीय बोवाईन प्रजनन (एनपीबीबी) तथा देसी नस्‍लों संबंधी कार्यक्रम (आईबी) के माध्‍यम से संपुष्‍ट किया जाता है। इन योजनाओं में दोहरे लाभ की परिकल्‍पना की गई है, जैसे (i) उत्‍पादकता में सुधार करना और दूध उत्‍पादन को बढ़ाना तथा (ii) किसानों की आय को बढ़ाना जिससे 2020 तक उनकी आय को दोगुना करने के सरकार के महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में सहायता मिलेगी। यद्यपि इन योजनाओं के अंतर्गत किसानों के घर द्वार पर प्रजनन आदानों की सुपुर्दगी के लिए प्रजनन अवसंरचना को काफी सुदृढ़ किया गया है, तब भी कृत्रिम गर्भाधान कवरेज अभी तक प्रजनन योग्‍य आबादी का 26 प्रतिशत ही है।

राज्‍यों द्वारा उपलब्‍ध कराए गए 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार एक कृत्रिम गर्भाधान कामगार प्रतिदिन की न्‍यूनतम 4 गर्भाधान की अपेक्षित औसत के मुकाबले केवल 1.92 कृत्रिम गर्भाधान करते हैं। इसके अलावा एक सफल गर्भधारण के लिए 3 वीर्य खुराकों का प्रयोग होता है। इस प्रकार प्रत्‍येक सफल कृत्रिम गर्भधारण के लिए 3 वीर्य खुराकों के उपयोग से उच्‍च गुणवत्‍ता वाले वीर्य की बर्बादी होती है। देसी सांड के वीर्य का उपयोग कुल कृत्रिम गर्भाधान कवरेज का केवल 11 प्रतिशत होने से यह स्थिति और खराब हो जाती है।

2020 तक किसानों की आय को दोगुना करने के सरकार के महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य में सहायता करने के लिए 2017-18 हेतु 100 मिलियन कृत्रिम गर्भाधान के राज्‍य-वार लक्ष्‍य को साझा किया गया है। इस संबंध में पशुपालन, डेयरी और मत्‍स्‍यपालन विभाग द्वारा राज्‍यों को निदेश दिए गए हैं।

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