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2016-17 में खादयान्नों का रिकार्ड उत्पादन हुआ और खादयान्न उत्पादन ने अब तक के सारे रिकार्ड तोड़े: श्री राधा मोहन सिंह

2016-17 में खादयान्नों का रिकार्ड उत्पादन हुआ और खादयान्न उत्पादन ने अब तक के सारे रिकार्ड तोड़े: श्री राधा मोहन सिंह
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नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि अपने कौशल में सुधार करके,नवीन कार्य प्रणालियों का प्रयोग करके तथा तत्‍पश्‍चात परिकल्पित कार्यक्रमों के कार्यान्‍वयन में आपसी सहयोग के द्वारा ही 2022 तक किसानों की आय को दुगुना करने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लक्ष्य को हासिल किया जायेगा।  श्री सिंह ने यह बात आज फैडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्‍ट्री (फिक्की) में ‘’किसानों की आय दुगुनी करने के बेहतर कृषि विपणन समाधान’’ विषय पर आयोजित राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन में कही। इस सम्मेलन में राजस्थान, हरियाणा, असम, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बिहार के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। 

           श्री राधा मोहन सिंह ने इस मौके पर कहा कि तृतीय अग्रिम अनुमानों के अनुसार देश में 2016-17 में खाद्यान्‍न का उत्‍पादन बढ़कर 273 मिलियन मीट्रिक टन, तिलहन का उत्‍पादन बढ़कर 32.5 मिलियन मीट्रिक टन, गन्‍ना 306 मिलियन मीट्रिक टन हो गया है। द्वितीय अग्रिम अनुमान के अनुसार फलों और सब्जियों का उत्‍पादन बढ़कर 287 मिलियन मीट्रिक टन हो गया है। उन्होंने बताया कि 2016-17 में खादयान्नों का रिकार्ड उत्पादन हुआ है और खादयान्न उत्पादन के अब तक के सारे रिकार्ड टूट गये हैं।

           श्री सिंह ने कहा कि किसानों को उनकी उपज के हिसाब से बढ़ा हुआ पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है । सरकार मंडी व्‍यवस्‍था को सुदृढ़ करने की जरूरत को लेकर संवेदनशील है और वह इस दिशा में कार्य कर रही है,जिससे कि फसल की कटाई के पश्‍चात होने वाले नुकसान को कम किया जा सके और किसान बम्‍पर उत्‍पादन के दौरान कीमतों में होने वाली अप्रत्‍याशित गिरावट तथा कम उत्‍पादन के कारण मार्केटेबल सरप्‍लस की कम उपलब्‍धता, दोनों ही स्थितियों में स्‍वयं को पार पा सकें ।

           केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इस प्रकार अपनाई गई सोच के अंतर्गत लागत प्रभाव उत्‍पादन को अपनाना, कृषि को उच्‍च मूल्‍य वर्ग की फसलों को उगाने, कृषि वानिकी, पशुधन और मुर्गीपालन, मत्‍स्‍यपालन आदि विविधता की ओर अग्रसर करना तथा सुलभ और अच्छी मंडियां उपलब्‍ध कराना शामिल है, ताकि एक मजबूत वेल्‍यू सप्‍लाई चेन के द्वारा किसानों को उनकी उपज की बेहतर कीमत दिलाई जा सके । उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की भावनाओं को समझती हैं और इसी उद्देश्‍य से कृषक कल्‍याण केन्‍द्रित कार्यक्रम और नीतियां बनाई गयी हैं जो कि खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ मूल्‍य सुरक्षा के साथ भी समान रूप से जुड़ी हुई हैं ।

श्री सिंह ने बताया कि कृषि उपज मंडी समितियों(ए.पी.एम.सी.) द्वारा प्रोमोट की गई वर्तमान कृषि विपणन प्रणाली की कठिनाईयों से निपटने के लिए और किसानों को सुलभ विपणन सुविधाओं की उपलब्‍धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा सक्रियता पूर्वक एक सुधारात्‍मक एजेंडे को राज्‍यों के समक्ष रखा गया और अब  मॉडल ए.पी.एम.सी. एक्‍ट, 2003 को राज्‍यों को परिचालित किए जाने के बाद पिछले 2-3 वर्षों में पहले की अपेक्षा इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने में सक्षम हुए हैं ।

श्री राधा मोहन सिंह ने जानकारी दी कि मॉडल कृषि उपज और पशुधन विपणन(प्रोत्‍साहन और सुविधा) अधिनियम, 2017 दिनांक 24 अप्रैल, 2017 को राज्‍यों को जारी किया गया था और इसके अंगीकरण के संबंध में सभी राज्‍यों की ओर से सकारात्‍मक प्रतिक्रियाएं प्राप्‍त हुई हैं । उन्होंने बताया कि मंत्रालय विभिन्‍न राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों में हुई प्रगति की लगातार निगरानी कर रहा हैं ताकि राज्‍यों में एक सिंगल यूनिफाइड मंडी, मंडियों के रूप में वैकल्पिक मंडी विकल्‍प, प्रत्‍यक्ष विपणन और कृषक-उपभोक्‍ता मंडियों के परिकल्पित लाभ पूरी चेन की प्रमुख कड़ी यानि किसानों तक पहुंच सकें । श्री सिंह ने कहा कि  वह मंडियों को खेतों के निकट लाना चाहते हैं जहां पर उचित भंडारण, ग्रेडिंग तथा छंटाई की सभी सुविधाएं उपलब्‍ध हो, जिससे कि परिवहन की लागत कम हो, मजबूरी में उपज बेचने की घटनाएं कम हों तथा साथ ही  बिचौलियों की संख्‍या में कमी हो और किसानों को उपभोक्‍ता के रूपए में से ज्‍यादा हिस्‍सा प्राप्‍त हो सके । श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि एक महत्‍वपूर्ण कदम जिसे राज्‍यों द्वारा इस संबंध में उठाया जा सकता है, वह है वेयरहाउसों/साइलोस/कोल्‍ड स्‍टोरेज को मंडी सब्‍यार्ड घोषित करना ताकि किसान अपनी सरप्‍लस उपज का भंडारण कर सकें और उपज को ए.पी.एम.सी. यार्ड  तक ले जाए बिना ही सीधा वहीं से बेच सकें । उन्होंने कहा कि मंत्रालय वेयरहाउसिंग डेवलप्‍मेंट एंड रेग्‍युलेटरी अथॉरिटी(डब्‍ल्‍यू.डी.आर.ए) के साथ भी बातचीत कर रहा हैं ताकि किसान भी वैज्ञानिक डब्‍ल्‍यूडीआरए के मापदंडों को पूरा करने वाले वेयरहाउसों में भंडारित अपनी उपज के बदले में रेहन ऋण सुविधा(प्‍लेज फायनेंसिंग) का लाभ उठा सकें ।

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