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15 मई 2017 तक 13,469 गांवों का बिजलीकरण

15 मई 2017 तक 13,469 गांवों का बिजलीकरण
देश-विदेशप्रौद्योगिकी

नई दिल्ली: पंडित दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय (अंतिम व्यक्ति की सेवा) दर्शन के अनुरूप 20 नवबंर 2014 को भारत सरकार ने दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) को स्वीकृति दी। यह एकीकृतयोजना है जिसमें ग्रामीण बिजली वितरण के सभी पक्ष यानी फीडर का अलगाव, प्रणाली सुदृढीकरण तथा मीटरिंग शामिल हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2015 को स्वतंतत्रा दिवस के
अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए 1000 दिनों के अंदर बिजली से वंचित सभी गांव को बिजली प्रदान करने का संकल्प व्यक्त किया था। इसलिए, भारत सरकार ने ग्रामीण बिजलीकरण कार्यक्रम को मिशन मोड में लियाऔर मई 2018 तक बिजलीकरण का काम पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया।

            15 मई 2017 तक बिजली सुविधा से वंचित 18,452 गांव में से 13,469 गांव में बिजली पहुंचा दी गयी है। नीचे 2013-2014 तथा 2016-2017 में ग्रामीण बिजलीकरण की उपलब्धियों तथा वित्तीय प्रगति की तुलना की गयीहै।

मानक 2013-14 2016-17 2017-18 लक्ष्य
बिजली सुविधा से वंचितगांवों का बिजलीकरण 1,197 6,015 (5.02 गुणा) बिजली सुविधा से वंचितशेषगांवों का मई 2018 तकबिजलीकरण
गांवों का सघनबिजलीकरण

 

14,956 63,330 (4.2 गुणा) 85,000
बीपीएल परिवारों कोनिशुल्क बिजलीकनेक्शन*

 

9.62 22.42 (2.3 गुणा) 40 लाख
राज्यों को भारतसरकारका जारी अनुदान**

 

2938.52 करोड़ रुपये 7965.87  करोड़ रुपये (2.7 गुणा) 4814  करोड़ रुपये

*30 अप्रैल 2017 तक 256.81 लाख बीपीएल परिवारों को नि:शुल्क बिजली कनेक्शन दिये गये।

** किसी एक वित्तीय वर्ष में राज्यों को सबसे अधिक अनुदान 7965.87 करोड़ रुपये।

संदर्भ सूचना

            पूर्ववर्ती योजना के शेष ग्रामीण बिजलीकरण कार्य डीडीयूजीजेवाई में समाहित किये गये हैं। योजना की परिव्यय राशि 43,033 करोड़ रुपये है। इसमें 3345 करोड़ रुपये भारत सरकार का अनुदान है। पुराने ग्रामीण कार्य कोसमाहित करने के साथ समग्र परिव्यय राशि भारत सरकार की अनुदान राशि 63,027 करोड़ रुपये सहित 75,893 करोड़ रुपये है।

            नई डीडीयूजीजेवाई योजना के अंतर्गत परियोजना लागत की 60 प्रतिशत (विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 85 प्रतिशत) की दर से भारत सरकार अनुदान देती है। निर्धारित मानदंडों को पूरा करने पर 15 प्रतिशत की दर सेअतिरिक्त अनुदान (विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 5 प्रतिशत) दिया जाता है। इस योजना के अंतर्गत 32 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए 42,553.17 करोड़ रुपये की परियोजनाएं मंजूर की गयी हैं। इनमें फीडर अलगाव के लिए(15572.99 करोड़ रुपये), प्रणाली सुदृढीकरण तथा ग्रामीण घरों से जोड़ने के लिए (19706.59 करोड़ रुपये), मीटरिंग (3874.48 करोड़ रुपये), ग्रामीण बिजलीकरण (2792.57 करोड़ रुपये) तथा सासंद आदर्श ग्राम योजना (398.54करोड़ रुपये) शामिल है।

            ग्रामीण बिजलीकरण कार्य की प्रगति की निगरानी के लिए फील्ड में 350 से अधिक ग्राम विद्युत अभियंता (जीवीए) तैनात किये गये हैं। बिजली सुविधा से वंचित 18,452 गांवों में बिजलीकरण की प्रगति की निगरानी केलिए जीएआरवी मोबाइल एप (garv.gov.in) विकसित किया गया। जीएआरवी एप में जीवीए फील्ड फोटोग्राफ, डाटा तथा अन्य सूचना अपडेट करते हैं। सभी 5.97 लाख गांवों में घरों के बिजलीकरण की निगरानी के लिए 20दिसंबर 2016 को अद्यतन जीएआरवी एप को लांच किया गया। अद्यतन जीएआरवी में संवाद-पारदर्शिता और दायित्त स्थापित करने में नागरिकों को शामिल करना- का विशेष फीचर है।

            योजना से ग्रामीणों की जीवनशैली बदलने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र सामाजिक आर्थिक विकास होने की आशा है। योजना के निम्नलिखित महत्वपूर्ण परिणाम हैं:

  • कृषि में उत्पादकता वृद्धि।
  • महिलाओं के लिए निरसता कम करना।
  • बच्चों की शिक्षा में सुधार।
  •  सभी गांवों तथा घरों से संपर्क
  • ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वसनीय बिजली सेवा।
  • स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं देने में सुधार।
  • संचार साधनों (रेडियो, टेलीफोन, टेलीविजन, मोबाइल) तक पहुंच में सुधार।
  • बिजली व्यवस्था से जनसुरक्षा में सुधार।

योजना में राज्यों की स्थानीय आवश्यकता/प्राथमिकता के अनुसार कार्य चुनने में लचीलापन है। जनसंख्या मानक को समाप्त कर दिया है और जनसंख्या प्रतिबंध के बिना सभी गांवों/मोहल्लों को योजना के अंतर्गत पात्रमाना गया है। डीपीआर तैयार करते समय राज्य जिला बिजली समिति (बीईसी) से परामर्श करेंगे और योजना में सांसदों के सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के प्रस्तावों को आवश्यक रूप से शामिल करना होगा। योजनाकी अन्य विशेषताओं में अनिवार्य ई-निविदा, मानक निविदा दस्तावेज का परिपालन शामिल है। निजि बिजली वितरण कंपनियां तथा आरई कोआपरेटिव सोसाइटी भी योजना के अंतर्गत पात्र हैं। योजना की समीक्षा दिशा (जिलाविकास समन्वय तथा निगरानी समिति) द्वारा की जा रही है। भारत सरकार ग्रामीण जनता  की जिंदगी में परिवर्तन लाने और सभी के लिए 24X7 बिजली देने के लिए संकल्पबद्ध है।

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