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अटल पेंशन योजना (एपीवाई) में भारत सरकार के योगदान के रूप में 121 करोड़ रुपये जारी किए गए

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नई दिल्लीः अटल पेंशन योजना (एपीवाई) को देश भर के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में एपीवाई सेवा प्रदाताओं द्वारा क्रियान्‍वित किया जा रहा है जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी), निजी क्षेत्र के बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी), सहकारी बैंक और डाक विभाग शामिल हैं। 12 अप्रैल, 2018 तक एपीवाई के तहत पंजीकृत सदस्‍यों की कुल संख्‍या बढ़कर 97.60 लाख से भी ऊपर चली गई है।

इस योजना में भारत सरकार द्वारा उन लोगों के लिए सह-योगदान किया जाता है जिन्‍होंने 31 मार्च, 2016 से पहले इसमें पंजीकरण कराया है। इसमें भारत सरकार का योगदान संबंधित सदस्‍यों के योगदान का 50 प्रतिशत होता है जो अधिकतम 1000 रुपये होता है। ये सदस्‍य वर्ष 2015-16 से लेकर वर्ष 2019-20 तक के पांच सालों की अवधि के लिए सह-योगदान के पात्र होंगे। केवल वे ही सदस्‍य भारत सरकार के सह-योगदान के पात्र होंगे जो आयकर अदा नहीं करते हैं और जो किसी भी अन्‍य सामाजिक सुरक्षा योजना से लाभ नहीं उठा रहे हैं।

उपर्युक्‍त तथ्‍यों को ध्‍यान में रखते हुए पीएफआरडीए के जरिए भारत सरकार ने लगभग 14 लाख पात्र सदस्‍यों हेतु वित्त वर्ष 2016-17 के लिए सह-योगदान के रूप में 120.92 करोड़ रुपये जारी किए हैं। ऐसे सदस्‍य जिनके एपीवाई खाते में मार्च 2017 तक कुछ भी योगदान अथवा अंशदान लंबित है उसका भुगतान सह-योगदान के तहत नहीं किया जाएगा। इस तरह के सदस्‍यों को पीएफआरडीए ने अपने एपीवाई खाते को नियमित करने की सलाह दी है, ताकि भारत सरकार की ओर से सह-योगदान प्राप्‍त किया जा सके। भारत सरकार की ओर से सह-योगदान केवल तभी देय होता है जब संबंधित खाते नियमित और स्वीकार्य हों। भारत सरकार की ओर से सह-योगदान को संबंधित सदस्‍यों के बचत बैंक खाते में डाला जाता है।

अटल पेंशन योजना के तहत सदस्‍यों को 60 साल की उम्र से प्रति माह 1000 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक की न्‍यूनतम गारंटीड पेंशन दी जाती है।

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