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सर्वे ऑफ इंडिया का इतिहास दृढ़ता और त्‍याग से परिपूर्ण: डॉ. हर्षवर्धन

सर्वे ऑफ इंडिया का इतिहास दृढ़ता और त्‍याग से परिपूर्ण: डॉ. हर्षवर्धन
देश-विदेशप्रौद्योगिकी

केन्‍द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक अनूठी योजना वज्र (विजिटिंग एडवांस्‍ड ज्‍वाइंट रिसर्च) शुरू की है, जिससे विदेश में रहने वाले वैज्ञानिक भारतीय प्रयोगशालाओं और शैक्षिक संस्‍थानों में अंशकालिक कार्य के जरिए भारत के विकास में योगदान दे सकेंगे। इस सिलसिले में केन्‍द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्‍वी विज्ञान तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज एक वेब पोर्टल जारी किया। वज्र पोर्टल की शुरूआत करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस पोर्टल से न केवल भारत को अपने संस्‍थानों की ग्‍लोबल रैंकिंग बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि देश को सर्वश्रेष्‍ठ अनुसंधान कर्मी मिल सकेंगे। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत ने 80 देशों के साथ वैज्ञानिक सहयोग कायम किया है।

 वज्र योजना के शुरू होने के साथ ही मंत्रालय ने भारतीय मूल के वैज्ञानिकों सहित शीर्ष विदेशी वैज्ञानिकों को भारतीय संस्‍थानों में आमंत्रित करने की योजना बनाई है।

     इस योजना के अंतर्गत चुने गए विदेशी संकाय सदस्‍य एक वर्ष में तीन महीने तक भारत में रह सकेंगे। उन्‍हें पहले महीने में 15,000 डॉलर तथा दूसरे और तीसरे महीने में प्रति माह 10,000 अमरीकी डॉलर दिए जाएंगे।

     सर्वे ऑफ इंडिया के 250 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संचार और रेल राज्‍य मंत्री श्री मनोज सिन्‍हा ने एक स्‍मारक डाक टिकट जारी किया। इस अवसर पर श्री मनोज सिन्‍हा ने कहा कि सर्वे ऑफ इंडिया को भारत का पहला डाक टिकट और भारत के संविधान की पहली प्रति छापने का सम्‍मान प्राप्‍त है। उन्‍होंने कहा कि चुनौतियों से निपटने के लिए 250 वर्ष पुराने सर्वे ऑफ इंडिया ने नई से नई प्रौद्योगिकी अपनाई है और डिजिटल नक्‍शे प्रकाशित करने शुरू किये हैं। उन्‍होंने कहा कि टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बदल रही है और सर्वे ऑफ इंडिया देश की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए कार्य कर रहा है।

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