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सचिवालय में एयरफील्ड इनवार्यनमेंट मैनेजमेंट कमेटी की अध्यक्षता करते हुए: मुख्य सचिव

सचिवालय में एयरफील्ड इनवार्यनमेंट मैनेजमेंट कमेटी की अध्यक्षता करते हुए
उत्तराखंड

देहरादून: जौलीग्रांट एयरपोर्ट से वर्ष 2011-12 में सालभर में 80,000 यात्री जाते थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 8 लाख हो गयी है। एक दिन में 12 फ्लाईट आते-जाते है। यहां से मुम्बई, बंगलूरू, लखनऊ, हैदराबाद, दिल्ली की नियमित हवाई सेवा शुरू हो गई है। जौलीग्रांट एयरपोर्ट को क्लीनेस्ट एयरपोर्ट के रूप में नामित किया गया है। यह जानकारी सोमवार को सचिवालय में एयरफील्ड इनवार्यनमेंट मैनेजमेंट कमेटी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में दी गई।

बैठक में बताया गया कि रन वे 4000 फीट से बढ़ाकर 7021 फीट किया गया है। अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने के लिए एक ड्राफ्ट मास्टर प्लान बनाया गया है। रनवे की लम्बाई बढ़ाकर 9000 फीट किया जाना है। गोइंग वे की संख्या 4 से बढ़ाकर 8 की जानी है। इसके अलावा अन्य बुनियादी सुविधाएं विकसित की जानी है। 348 करोड़ रूपये की लागत से 30,200 वर्ग मीटर भवन का विस्तार किया जाना है। मुख्य सचिव एस.रामास्वामी ने सात वर्षों से लम्बित 40 एकड़ भूमि को भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण को हस्तांतरित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कल(आज) ही लोनिवि, राजस्व, वन विभाग के अधिकारी मौके का संयुक्त निरीक्षण कर भूमि हस्तांतरित करें। निदेशक विमान पत्तन, देहरादून हवाई अड्डा ने बताया कि उड़ान में वन्य जीव को प्रभाव न पडे, इसके लिए कारगर कदम उठाये गये है। उन्होंने कूडे के समुचित निस्तारण, आस-पास के बडे पेड़ो को काटने, मोबाईल टावर हटाने, शादी या अन्य उत्सव में लेजर के उत्सर्जन पर रोक लगाने, आस-पास के मकानों से पतंग न उड़ाने और हवाई अड्डे से सार्वजनिक परिवहन संचालित करने की अपेक्षा की। मुख्य सचिव ने तत्काल व्यवस्था करने के निर्देश दिए।

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