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श्री राधा मोहन सिंह ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन की महापरिषद की दूसरी बैठक में एनएलएम के सदस्यों को सम्बोधित किया

Shri Radha Mohan Singh addresses the members at the second General Council meeting of National Livestock Mission
कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने आज राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) की  महापरिषद की दूसरी बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि पशुपालन, डेयरी तथा मत्स्यपालन विभाग पशुधन सेक्टर, विशेष रूप से कुकुट, बकरी, भेड़, सूकर, भारवाही पशु इत्यादि जैसी प्रजातियों के धारणीय विकास को राष्ट्रीय पशुधन मिशन कार्यान्वित कर रहा है।

श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि एनएलएम गोपशु तथा भैंसों सहित पशुधन सेक्टर के लिए गुणवत्तापूर्ण आहार तथा चारे की उपलब्धता में सुधार करने, जोखिम कम करने तथा विस्तार करने,  कौशल विकास तथा प्रशिक्षण के लिए भी सहायता देता है। उन्होंने कहा कि पशुधन पालक तथा किसान, विशेषरूप से महिलाएं, असंगठित हैं, क्योंकि ये गतिविधियां मुख्यत: घरेलू प्रकृति की हैं। तथापि, जुगाली करने वाले छोटे पशुओं विशिष्ट् वैज्ञानिक इस्तक्षेपों के साथ पशुधन पालकों की पौषणिक तथा आजीविका सुरक्षा में सुधार करने के अपार अवसर प्रदान करता है।

श्री सिंह ने बताया कि एनएलएम की योजना रूप से मिशन-रूप में स्थापित करने का एक कारण राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों को उनकी परिस्थितियों के अनुकूल उपयुक्त हस्तक्षेप करने में आवश्यक लचीलापन प्रदान करना है। पशुधन सेक्टर की समग्र अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए सेक्टर के लिए संसाधनों को बढ़ाने तथा उपयुक्त अभिकेंद्रण के माध्यम से गतिविधियों को एनएलएम के तंत्र के अंतर्गत क्रियाशील बनाने की आवश्यकता है, ताकि राज्यों तथा संघ राज्यों के क्षेत्रों के प्रयासों को उन गतिविधियों का ध्यान रखने के लिए सम्पूरित किया जा सके, जो अन्य चल रही योजनाओं के अंतर्गत समायोजित नहीं किए जा सकते।

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इसके अलावा किसानों तथा पणधारियों की आवश्यकताओं को देखते हुए तथा भौगोलिक और क्षेत्रीय अपेक्षाओं को देखते हुए एनएलएम के अंतर्गत सभी घटकों को लचीला तथा माडयूलर बनाया गया है, ताकि छोटे तथा सीमांत किसान भी एनएलएम के अंतर्गत प्रस्तावित गतिविधियों के लाभ प्राप्त कर सकें। संसाधनों और सब्सिडी के वितरण को एपीएल,बीपीएल लाभार्थियों तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी, वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों के लाभार्थियों को ध्यान में रखते हुए न्याय संगत बनाया गया है जिससे कि अत्यधिक दयनीय स्थिति के लाभार्थी धारणीय आजीविका हेतु समान लाभ प्राप्त् कर सकें।

राष्ट्रीय पशुधन मिशन का आयोजन निम्नलिखित चार उप-मिशनों के रूप में किया जा रहा है:

  1. पशुधन विकास पर उप-मिशन
  2. पूर्वोत्तर क्षेत्र में सूअर विकास पर उप-मिशन

III.    आहार एवं चारा विकास पर उप-मिशन

  1. कौशल विकास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और विस्तार पर उप-मिशन

बैठक में एनएलएम के उप-मिशनों के विभिन्न घटकों पर एक विस्तृत प्रस्तुति  दी गयी।

श्री राधा मोहन सिंह ने ने कहा कि विभिन्न कार्यक्रमों के सुचारू कार्यान्वयन और हस्तक्षेपों को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए यह अनिवार्य है कि, दिशा निर्देशों का बारीकी से निर्धारण किया जाये।

पिछले तीन वर्षों की प्रमुख भौतिक उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:

  • उद्यमशीलता विकास एवं रोजगार सृजन (ईडीईजी) के तहत 32,981 लाभार्थियों की सहायता की गयी है।
  • ग्रामीण घरेलू कुकुट विकास के तहत 3.68 लाख लाभार्थियों का वित पोषण किया गया है।
  • 64 लाख पशुओं का बीमा किया गया।
  • 00 लाख बकरियों और 9.80 लाख सूकरों को स्वास्थ्य सहायता दी गयी।
  • 41 कुकुट/भेड़/बकरी/सूकर प्रजनन फार्मों की सहायता की गयी।
  • 54,930 चारा कटाई यंत्र विकसित किए गये।
  • 96,321 क्विंटल बीज वितरित किए गये।
  • 3823 साइलेज यूनिटों की स्थापना की गयी।
  • 519 पशुधन मेलों के आयोजन को सहायता दी गयी।
  • 223 पशुधन किसान समूह और 121 किसान फील्ड स्कूल स्थापित किए गये
  • 8420 किसानों को प्रदर्शनी दौरों के तहत कवर किया गया।

श्री सिंह के नेतृत्व में हासिल किए गये मील के पत्थर:

  • पशुधन पर उप मिशन के एक घटक के रूप में जोखिम प्रबंधन और बीमा, राष्ट्रीय पशुधन मिशन का विकास 300 चयनित जिला के बदले सभी जिलों में प्रसारित किया गया।
  • सभी जानवरों को जैसे देसी/क्रॉसब्रेड दुग्ध जानवरों, भार ढोने वाले जानवरों (घोड़, गधे, खच्चरों, ऊंट, टटू, बैल और भैंस) और अन्य पशु (बकरी, भेड़, सुअर, खरगोश, याक और मिथुन आदि) में सम्मिलित किया गया है।
  • सब्सिडी का लाभ बढ़ाया गया है और प्रत्येक परिवार के प्रति लाभार्थी 5 कैटल यूनिट के लिए प्रतिबंधित है, बकरी, भेड़, सूअर और खरगोश के मामले में एक कैटल यूनिट, 10 Small livestock के बराबर होती है. जो कि प्रति परिवार पहले केवल दो दुग्ध पशु के लिए होती थी।

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