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श्री भरत मंदिर इण्टर काॅलेज, ऋषिकेश के पूर्व छात्रों को विद्यालय रत्न से सम्मानित करते हुएः राज्यपाल डाॅ कृष्ण कांत पाल

उत्तराखंड

देहरादून: राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कंात पाल ने कहा है कि बच्चों में विद्यालय स्तर पर ही संवैधानिक कर्तव्यों के पालन की आदत विकसित की जानी होगी। इसकी बड़ी जिम्मेदारी अध्यापकों पर है। बच्चों में यह समझ बनानी होगी कि मोबाईल व इंटरनेट की आभासी दुनिया से अधिक महत्वपूर्ण सामाजिक सम्पर्क हैं। राज्यपाल, श्री भरत मंदिर इण्टर काॅलेज, ऋषिकेश के हीरक जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सम्बोधित कर रहे थे। श्री भरत मंदिर इण्टर काॅलेज, ऋषिकेश की लाइब्रेरी के लिए राज्यपाल ने 1लाख रू0 देने की घोषणा की।

राज्यपाल ने श्री भरत मंदिर इण्टर काॅलेज के हीरक जयंती समारोह के लिए बधाई देते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य छात्रों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास कर उन्हें आदर्श नागरिक बनाना रहा है। इसके लिए आवश्यक है कि स्कूल स्तर पर ही बच्चों में संविधान के अनुच्छेद 51(ए) में वर्णित संवैधानिक कर्तव्यों के पालन की आदत विकसित की जाए। छात्रों में सामाजिक व नागरिक कर्तव्यों के प्रति बोध व देशभक्ति की भावना उत्पन्न करना भी शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है।

राज्यपाल ने कहा कि हमेशा बच्चों के प्ण्फण् ;प्दजमससमहमदबम फनवजपमदजद्ध की बात की जाती है। परंतु इससे भी अधिक महत्वपूर्ण म्ण्फण् ;म्उवजपवदंस फनवजपमदजद्ध है। ई.क्यू से टीम वर्क की भावना विकसित होती है। व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास के लिए बच्चों को मोबाईल, वाट्सएप की आभासी दुनिया से बाहर निकालकर सामाजिक सम्पर्क में लाना बहुत जरूरी है।  बच्चों को हमारे सांस्कृतिक व नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी जानी आवश्यक है।

राज्यपाल ने कहा कि ज्ञान ही सभ्यता व संस्कृति का आधार होता है। शिक्षा का अर्थ केवल साक्षर बनाना नही बल्कि सुसंस्कृत बना है। केवल किताबी ज्ञान बच्चों को भावनारहित बना देता है। विज्ञान व तकनीकी ज्ञान के साथ ही नैतिक मूल्यों व भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा पद्धति, वर्तमान समय की मांग है। राज्यपाल ने कहा कि आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय शिक्षा पद्धति को भी अपनाए जाने की आवश्यकता है। बच्चों के मन-मस्तिष्क में पवित्र व नैतिक भावनाओं का विकास करते हुए चरित्र निर्माण, भारतीय शिक्षा पद्धति का आधार रहा है। आत्म विश्वास व आत्म नियंत्रण सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक माना गया। भारतीय शिक्षा पद्धति में नैतिकता, आध्यात्मिकता, सामाजिकता व राष्ट्रप्रेम  का व्यापक दृष्टिकोण समाहित है।

आज के सूचना क्रांति व सोशल मीडिया के दौर में बच्चों को तमाम तरह की सूचनाएं व जानकारियां बड़ी आसानी से मिल रही हैं। हम आई.टी के महत्व को नकार नहीं सकते हैं। तेजी से बढ़ती दुनिया के साथ चलना है तो कम्प्यूटर व इंफोरमेशन टेक्नोलोजी को अपनाना होगा। एक ओर जहां इंटरनेट व सोशल मीडिया से अहम जानकारियां मिलती हैं वहीं इसमें बहुत सी सूचनाएं अप्रमाणिक, भ्रामक व गलत तथ्यों पर आधारित होती हैं। इंटरनेट से हमें सूचनाएं मिल सकती हैं परंतु ज्ञान नहीं मिलता है। युवा पीढ़ी को अप्रमाणिक व भ्रामक सूचनाओं से बचाकर उन्हें ज्ञान प्रदान करने का दायित्व शिक्षकों का है। आज जब मोबाईल के माध्यम से इंटरनेट बच्चों के लिए आसानी से उपलब्ध है तो शिक्षकों का दायित्व और भी बढ़ जाता है। छात्रों को अच्छी किताबें पढ़ने व खेलों में प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया जाए। अच्छी पुस्तकें पढ़ें। अच्छी पुस्तकों से अच्छे विचार विकसित होते हैं, इससे वाणी व कर्म पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इससे अच्छी आदतें विकसित होती हैं जिसका प्रभाव अच्छे चरित्र के रूप में सामने आता है।

राज्यपाल ने कहा कि किसी भी संस्था या विद्यालय के लिए हीरक जयंती समारोह बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस विद्यालय की स्थापना, शैक्षणिक उत्कृष्टता व युवाओं में भारतीय सांस्कृतिक व नैतिक मूल्यों के समावेश के उद्देश्य के साथ वर्ष 1943 में की गई थी। 75 वर्षों की लम्बी अवधि में श्री भरत मंदिर इंटर काॅलेज अपने उद्देश्यों में सफल रहा है। लाखों छात्रों ने यहां से अध्ययन कर देश-विदेश में अपनी सेवाएं दी हैं या दे रहे हैं।

इससे पूर्व राज्यपाल विद्यालय के एन.सी.सी कैडेट्स से मिले और बेतहरीन प्रदर्शन के लिए उनका उत्साहवर्द्धन किया। कार्यक्रम में राज्यपाल ने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर सेवायें देने वाले विद्यालय के पूर्व छात्रों को संस्था की ओर विद्यालय रत्न से सम्मानित किया।

अवसर पर सांसद डाॅ0 रमेश पोखरियाल निशंक, कैबिनेट मंत्री श्री मदन कौशिक, स्वामीराम हिमालय विश्वविद्यालय जौलीग्रांट के कुलपति डाॅ0 विजय धस्माना सहित विद्यालय के प्राचार्य, प्रबन्धक एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

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