41 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

श्री पीयूष गोयल ने हरित पहल और रेलवे विद्युतीकरण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

Shri Piyush Goyal inaugurates International Conference on Green Initiatives & Railway Electrification
देश-विदेशप्रौद्योगिकी

नई दिल्ली: रेल और कोयला मंत्री श्री पीयूष गोयल ने रेल मंत्रालय द्वारा रेलवे विद्युत अभियंता संस्था, (आईआरईई) भारत के माध्यम से आयोजित हरित पहल और रेलवे विद्युतीकरण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आज (27 अक्तूबर, 2017) उद्घाटन किया।

 रेल राज्य मंत्री और संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनोज सिन्हा विशेष रूप से इस अवसर पर उपस्थित थे। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के ट्रैक्शन सदस्‍य एवं संरक्षक, आईआरईई, श्री घनश्याम सिंह, तथा  रेलवे बोर्ड के अन्‍य सदस्य, अतिरिक्त सदस्य विद्युतीकरण, रेलवे बोर्ड और अध्यक्ष, आईआरईई श्री वी.के.अग्रवाल और अन्‍य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

इस अवसर पर रेल और कोयला मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय रेल नई विचारधारा और विश्‍वास के साथ कार्य कर रही है। भारतीय रेल की विचारधारा में परिवर्तन हुआ है। भारतीय रेल भारत सरकार के सकारात्‍मक विकासात्‍मक एजेन्‍डा के लिए “हम करेंगे/हम कर सकते है” की भावना से कार्य कर रही है। भारतीय रेल मिशन मोड में कार्य कर रही है और समस्‍याओं का समाधान किया जा रहा है। भारतीय रेल जनसाधारण के लिए समयबद्ध रूप से कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। जनसाधारण परिवहन के लिए रेल को प्राथमिकता देता है। रेलवे के 1.3 मिलियन कर्मचारियों ने प्रतिबद्ध होकर कार्य करने का निर्णय लिया है। हम समयबद्ध, दक्षतापूर्ण और प्रभावशाली तरीके से कार्य कर रहे हैं ताकि भारतीय रेल को वास्‍तव में विश्‍वस्तरीय श्रेणी की सुरक्षित और आधुनिक परिवहन का साधन बना सकें। जिस प्रकार भारत ने एलईडी बल्‍ब बदलने के लिए उत्‍साह दिखाया है, ठीक वैसे ही हम भारतीय रेल के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण करने के द्वारा विश्‍व का नेतृत्‍व करेंगे। भारतीय रेल द्वारा मितव्ययता लागू करने से विद्युतीकरण का कार्य कम लागत में पूरा किया जाएगा जिसमें ‘प्रोत्साहन- जुर्माना योजना’ लागू की जाएगी। 100 प्रतिशत विद्युतीकरण के लिए एक समग्र योजना बनाने की आवश्यकता है। इस सम्मेलन में मिशन मोड में विद्युतीकरण करने में आने वाली समस्याओं का समाधान सुनिश्चित किया जाएगा। कहते हैं कि ‘सोचना आसान है, कार्य करना कठिन है परन्तु सोच के अनुसार कार्य करना सर्वाधिक कठिन है’ और भारतीय रेलवे ने इस सर्वाधिक कठिन चुनौती को स्वीकार किया है। प्रश्न यह है कि क्या हमें अतीत की तरह रहना है या हम परिवर्तन के लिए तैयार हैं? हमें विश्व में सर्वोत्तम के अनुकूल परिवर्तन करना होगा नए भारत के साथ हम भारतीय रेलवे को नया बनायेंगे जो आधुनिक, सुरक्षित और तीव्र गति से चलेगी। आधुनिक तरीके न अपनाने के कारण हमें अगली पीढ़ी को नीचा नहीं दिखाना चाहिए।

इस अवसर पर रेल राज्यमंत्री और संचार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनोज सिन्हा ने कहा कि “भारतीय रेलवे ने 100 प्रतिशत विद्युतीकरण का व्यापक लक्ष्य निर्धारित किया है। इस बड़े लक्ष्य को पूरा करना एक चुनौती है और यह सम्मेलन हमें एक अंतरदृष्टि प्रदान करेगा कि हम इस लक्ष्य को कैसे पूरा कर सकते हैं। हरित पहल और रेलवे में ऊर्जा के व्यवहार्य स्रोत अपनाना पिछले तीन साल में हमारी प्राथमिकता रही है।“

रेल राज्यमंत्री श्री राजेन गोहेन इस अवसर पर उपस्थित नहीं हो सके परन्तु उन्होंने इस सम्मेलन के संबंध में अपने संदेश में कहा कि “भारतीय रेल सर्वाधिक दक्ष ऊर्जा परिवहन साधन है और सर्वाधिक पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन भी माना जाता है।” तीव्र आर्थिक उन्नति के साथ परिवहन क्षेत्र भी उन्नति कर रहा है और ऊर्जा की मांग बढ़ रही है। परिवहन क्षेत्र में ऊर्जा की सबसे अधिक खपत है। रेलवे अकेली कुल राष्ट्रीय ऊर्जा खपत का सर्वाधिक लगभग 2 प्रतिशत इस्तेमाल करती है।

रेलवे का विद्युतीकरण अभियान रेलवे के लिए रणनीतिक परिवर्तन है और यह रेलवे के लिए बड़ी पहल है। यह निर्णय किया गया है कि सम्पूर्ण रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण तेजी से किया जाएगा। इससे कार्बन रहित बनाने की पहल के साथ रेलवे में अक्षय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री अश्वनी लोहनी ने सम्मेलन के संदर्भ में अपने संदेश में कहा कि रेलवे परिवहन का सर्वाधिक ऊर्जा उपयोगी साधन होने के कारण हरित स्रोतों की दिशा में ऊर्जा मिश्रण के लिए कार्य कर रहा है और इस दिशा में कई कदम उठाये गए हैं। हमें निरंतर नवोन्मेशी होने की आवश्यकता है ताकि रेलवे को उपयोगी, टिकाऊ और पसंदीदा वाहक बनाया जा सके। इस संदर्भ में 100 प्रतिशत विद्युतीकरण का निर्धारित लक्ष्य प्रथम आदर्श प्रयास होगा जिसमें तीव्र विद्युतीकरण के लिए प्रोद्योगिकी की सहायता आवश्यक है। यह सम्मेलन तेजी से  विद्युतीकरण करने, गति बढ़ाने और रेल क्षेत्र में प्रभावशाली तरीके से अक्षय ऊर्जा के उपयोग के संदर्भ में कई समाधान प्रदान करेगा जिससे संचालन लागत कम हो सकेगी।

इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के ट्रैक्शन सदस्य, श्री घनश्याम सिंह ने कहा, कि  “माननीय प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व और माननीय रेल मंत्री के मार्गदर्शन में, भारतीय रेल अपनी सेवाओं में सुधार करने के द्वारा इस देश के लोगों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस प्रकार यह देश में धीरे-धीरे एक कुशल और विश्वसनीय सवारी और माल परिवहन एजेंसी के रूप में रूपांतरित हो रही है। माननीय सदस्य ने 30 किमी. मार्ग प्रतिदिन विद्युतीकरण करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हम कई तरह कि नई तकनीकी पहल करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे ऊर्जा व्यय में लगभग 40 प्रतिशत की कमी आएगी।

भारतीय रेल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स (आईआरईई) के अध्यक्ष और अतिरिक्त सदस्य (विद्युत), रेलवे बोर्ड, श्री वी के अग्रवाल ने कहा कि आईआरईई सम्मेलन का उद्देश्य तीव्र विद्युतीकरण के लिए, तीव्र गति के इंजन लाने के लिए और 2020 तक 1200 मेगावाट की स्थापना के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा स्वरूपों का सफलता पूर्वक उपयोग करने हेतु लागू किये जा सकने वाले प्रोद्योगिकीय समाधान एंव वित पोषण की चर्चा करना है।

इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य हरित ऊर्जा परियोजना निर्माताओं और अन्य भागीदारों को एक मंच पर लाना है ताकि भारतीय रेल प्रभावशाली और हरित परिवहन साधन बन सके। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत के माननीय प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया और इनोवेटिव इंडिया’ अभियानों को आगे बढ़ाना है।

सम्मेलन के उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • भारतीय रेलवे में उपलब्ध हरित ऊर्जा विकल्पों के बारे में भागीदारों में जागरूकता बढ़ाना
  • मौजूदा नीतियों और जोखिम कारकों का मूल्यांकन, सुधार का सुझाव देना और भावी अवसरों का पता लगाना
  • सफल क्रियान्वयन के लिए रणनीति तैयार करना
  • अन्य देशों और मानदण्डों के साथ तुलना करना
  • सफल पायलट परियोजनाओं का अध्ययन करना
  • भारतीय रेल की उच्च गति के इंजन आवश्यकताओं को पूरा करना
  • भारतीय रेल में ऊर्जा दक्षता और अक्षय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग के लिए समाधान तलाशना
  • ‘मेक इन इंडिया’ को अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए नई भारतीय रेलवे बनाने की पहल

रेलवे का विद्युतीकरण अभियान रेलवे के लिए रणनीतिक परिवर्तन है और यह रेलवे के लिए बड़ी पहल है। यह निर्णय किया गया है कि सम्पूर्ण रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण तेजी से किया जाए। इससे कार्बन रहित बनाने की पहल के साथ रेलवे में अक्षय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।

भारत और विदेश के जाने- माने और सम्मानित वक्ताओं ने विभिन्न विषयों पर अपनी बात कही। इन सम्मानित वक्ताओं में बमबार्डियर ट्रांसपोर्टेशन (स्विटजरलैंड) के श्री केमिले थिल (स्विटजरलैंड),  एडीआईएफ के वरिष्ठ अंतर्राष्ट्रीय उपनिदेशक श्री जक्वीन जेमेनेज (स्पेन), सिमेन्स के डॉ. इन आन्द्रे डोलिंग (जर्मनी) तथा प्रोफेसर विप्रोदास दत्ता विवस्वन टेर्नोलॉजी (अमेरीका) शामिल हैं। सम्मेलन के दौरान प्रत्येक तकनीकी सत्र की अध्यक्षता रेल मंत्रालय के अंतर्गत विभिन्न विभागों में काम कर चुके सेवानिवृत्त सदस्यों ने की।

 यह सम्मेलन बिजलीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्यगिकी और समाधान तथा रेल क्षेत्र में श्रेष्ठ व्यवहारों तथा अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों और उद्योग जगत के अग्रणी लोगों के अनुभवों को  साझा करने के मंच के रूप में काम करेगा। सम्मेलन ऊर्जा क्षमता को लागू करने तथा भारतीय रेल में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने के सतत दृष्टीकोण को बढ़ावा देकर ‘मेक इन इंडिया’ पहल को प्रोत्साहित करेगा और लोकप्रिय बनाएगा।

इस संबंध में सक्षमता में सुधार और मालढुलाई तथा यात्री संचालन के लिए निम्नलिखित कार्य योजना बनाई गई है। ऊर्जा के हरित स्रोतों के इस्तेमाल से कार्बन के प्रभाव को कम करना भी प्रमुख फोकस क्षेत्र है।

इस विजन के अनुरूप निम्नलिखित कार्ययोजना शुरू की जा रही है।

  1. रेल ट्रेकों का विद्युतीकरण

अभी 33000 मार्ग किलोमीटर ट्रैकों का बिजलीकरण किया गया है। 40 प्रतिशत रेल नेटवर्क का बिजलीकरण हुआ है और इसमें 55 प्रतिशत सवारी गाड़ी और 65 प्रतिशत माल गाड़ी है। इनके मद में भारतीय रेल के कुल ईंधन बिल का केवल 35 प्रतिशत आता है। हम अब रेल का 100 प्रतिशत बिजलीकरण करने जा रहे हैं और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 2021-22 तक फास्टट्रैक आधार पर 33,000 मार्ग किलोमीटर नेटवर्क का बिजलीकरण किया जाएगा। इससे ऊर्जा बिल 26,500 करोड़ रुपये के वर्तमान स्तर के घटकर 16,000 करोड़ रुपये हो जाएगा यानी 100 प्रतिशत संचालन के साथ प्रतिवर्ष 10,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। बिजलीकरण की गति तेज करने के लिए रेल मंत्रालय इरकॉन, राइट्स तथा पीजीसीआईएल जैसे सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को शामिल करेगा। बिजलीकरण की गति में तेजी आने से रेल का ईंधन बिल 10000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष कम होगा।

  1. मिशन 41 हजार और मुक्त पहुंच

भारतीय रेल के ऊर्जा बिल को और कम करने के लिए रेलवे ने मुक्त पहुंच के माध्यम से बिजली खरीदना शुरू किया है और इस वर्ष बिजली संकर्षण बिल 2500 करोड़ रुपये कम होगा यानी 2014-15 के बिल की तुलना में वार्षिक आधार पर 25 प्रतिशत कम होगा। आप जानते हैं कि पहले का मिशन 41 हजार मुक्त पहुंच माध्यम से बिजली खरीद कर 2015-25 तक बिजली संकर्षण बिल में 41,000 करोड़ रुपये की शुद्ध बचत के उद्देश्य से लांच किया गया था। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि हम निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा अच्छा कर रहे हैं और सितंबर, 2017 तक हमने लगभग 5100 करोड़ रुपये की बचत की है यानी मिशन 41 हजार दस्तावेज के अनुमान से 1000 करोड़ रुपये अधिक।

  1. ऊर्जा लागत और कार्बन प्रभाव को कम करने के लिए भारतीय रेल में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन

भारतीय रेल ने क्षेत्रीय रेल तथा उत्पादन इकाइयों में 2020-21 तक 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा तथा 200 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है। अभी तक 60 मेगावाट के सौर और पवन ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं। ये संयंत्र 270 स्टेशनों तथा 120 प्रशासकीय भवनों और अस्पतालों को कवर करते हैं। रेल भवनों की छतों पर 150 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के आदेश दिये गए हैं। भारतीय रेल 400 मेगावाट क्षमता स्थापना के लिए विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से काम कर रहा है ताकि भूमि आधारित सौर ऊर्जा संयंत्रों से विभिन्न राज्यों से ऊर्जा संसाधन प्राप्त किया जा सके।

भारतीय रेल पीपीपी मॉडल के अंतर्गत छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने का कार्य कर रहा है। इससे बिना किसी निवेश के ऊर्जा बिल में कमी आ रही है। इस मॉडल के अंतर्गत 150 मेगावाट कां सौर ऊर्जा संयंत्रों के आदेश दिये गए हैं।

  1. ऊर्जा सक्षम उच्च अश्व शक्ति के इंजनों का उत्पादन

भारतीय रेल 200 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति क्षमता के साथ चलने वाली उच्च गति का यात्री इंजन विकसित करने के मार्ग पर है। उच्च गति के इंजन बनाने का काम तेज गति से किया जा रहा है। आशा  है कि मार्च, 2018 में सीएलडब्ल्यू द्वारा इसे लाया जाएगा। इसके अतिरिक्त भारतीय रेल उच्च अश्व-शक्ति (9000 अश्व-शक्ति) का इंजन हासिल करने की योजना बना रहा है जो मध्यम उच्च गति संचालन (160 से 200 किलोमीटर प्रतिघंटे) के लिए चिन्हित मार्गों पर 200 किलोमीटर की रफ्तार पर भी रेल गाड़ी को रोक सकता है। वर्तमान 6000 अश्व शक्ति वाले मालगाड़ी इंजन तथा 9000 अश्व-शक्ति वाले सवारी गाड़ी इंजन को उन्नत बनाने की योजना है। सीएलडब्ल्यू में ‘मेक इन इंडिया’ पहल शुरू कर दी गई है।

  1. सीधी बिजली सप्लाई (एचओजी)

भारतीय रेल ने सीधी बिजली सप्लाई प्रणाली प्रारंभ की है जिसमें इंजन ग्रिड से सीधे बिजली प्राप्त करेगा और कोच की लाइटिंग तथा एयरकंडिशनिंग तथा अन्य लोड को सीधी बिजली प्राप्त होगी। यह प्रणाली कोचों में बिजली सप्लाई करने वाले डीजल यान की आवश्यकता को समाप्त कर देगी और रेल गाड़ियां अतिरिक्त यात्री बोझ सहन कर सकेंगी। अभी 34 रेल गाड़ियां सीधी बिजली सप्लाई प्रणाली से चल रही हैं और इससे प्रतिवर्ष लगभग 87 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। चालू वित्त वर्ष में 64 रेलगाड़ियों में सीधी बिजली सप्लाई प्रणाली लगाई जाएगी।

  1. ईएमयू ट्रेन

नई बनने वाली ईएमयू रेलगाड़ियां ऊर्जा सक्षम होंगी और उनमें तीन फेस टेक्नॉलाजी के साथ उत्पादन क्षमता होगी।

ऊर्जा खपत को कम करने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर काम करते हुए भारतीय रेलवे 2016-17 से तीन फेस ऊर्जा सक्षम उत्पादन इंजन तथा ईएमयू को शामिल कर रहा है।

सम्मेलन में रेल और कोयला मंत्री श्री पीयूष गोयल ने 5एमडब्ल्यूपीके सौर ऊर्जा संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया। हजरत निजामुद्दीन, नई दिल्ली, आनंद विहार तथा दिल्ली रेलवे स्टेशनों की छतों पर लगाया गया यह पहला सबसे बड़ा संयंत्र है।

यह परियोजना दिसंबर, 2016 में 4.14 रुपये प्रति यूनिट की उस समय की भारतीय रेल की सबसे कम कीमत पर पीपीपी मॉडल के अंतर्गत दी गई थी। यह संयंत्र 10 महीने के रिकार्ड अवधि में चालू हो गया। परियोजना की कुल लागत 37.45 करोड़ रुपये सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल के अंतर्गत डेवलपर द्वारा वहन की गई है और डेवलपर 25 वर्षों तक इसकी देखरेख करेगा तथा रेलवे 4.14 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खपत भुगतान करेगा। इसमें नेट मीटरिंग व्यवस्था भी उपलब्ध है जिसमें आवश्यकता से अधिक बिजली की आपूर्ति, बिजली वितरण कंपनियों को कर दी जाती है। इससे 421.4 लाख रुपये की बचत होगी और इन संयंत्रों की 30 प्रतिशत आवश्यकता पूरी होगी। इससे प्रतिवर्ष 6082 टन कार्बन डाइ उत्सर्जन में कमी आयेगी।

रेल मंत्री ने इस अवसर पर स्मारिका भी जारी की।

निम्नलिखित तकनीकी सत्र आयोजित किए गए –

  1. थीम : हरित ऊर्जा परियोजनाएं – साझेदारी के लिए अवसर
  2. थीम : भारतीय रेल के उच्च गति वाले इंजनों की आवश्यकताओं की पूर्ति
  3. थीम : ऊर्जा सक्षमता-प्रौद्योगिकी और समाधान
  4. थीम : कार्बन प्रभाव कम करने की दिशा में रोडमैप
  5. थीम : भारतीय रेल को 100 प्रतिशत बिजली संकर्षण की दिशा में ले जाना
  6. थीम : जैव डीजल – प्रौद्योगिकी और समाधान

आईआरईई के महासचिव और उत्तर रेलवे के प्रधान मुख्य इलेक्ट्रिकल इंजीनियर श्री दयाल डोगरा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More