नई दिल्ली: श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय से संबद्ध परामर्श समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में चर्चा का मुख्य बिन्दु “बाल मज़दूरी (बाल मज़दूर अधिनियम में संशोधन एवं आईएलओ सम्मेलन संख्या 138 एवं 182 का समर्थन सहित)” था। बैठक की अध्यक्षता करते हुए श्रम एवं रोज़गार राज्य मंत्री श्री बंडारु दत्तात्रेय ने बैठक में मौजूद सदस्यों को एजेंडा के बारे में जानकारी दी।
मंत्री ने कहा कि सरकार हमारे देश से बाल मज़दूरी को खत्म करने के प्रति वचनबद्ध है। संसद द्वारा 26 जुलाई 2016 को बाल मज़दूरी (निषेध एवं विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 को पारित किया जा चुका है। श्री बंडारु दत्तात्रेय ने कहा कि इस अधिनियम के अंतर्गत 14 वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे को बाल मज़दूरी अथवा अन्य किसी संबंधित प्रक्रिया में संलिप्त करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। हालांकि, अधिनियम के अंतर्गत घरेलू स्तर के गैर खतरनाक उद्यमों में इन बच्चों को मदद करने की कुछ हद तक छूट दी गई है, मगर स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह मदद विद्यालय के बाद अथवा अवकाश के दौरान ही की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, किसी भी किशोर (14 से 18 वर्ष की आयु के बीच) किसी भी अधिसूचित खतरनाक व्यवसाय अथवा प्रक्रिया में रोज़गार पाने अथवा इससे जुड़ने की अनुमति नहीं दी गई है। किसी भी तरह से उपर्युक्त नियमों के उल्लंघन के संबंध में कड़ी से कड़ी सज़ा का प्रावधान किया गया है और ऐसे बालकों के पुनर्वास के लिए अलग से अनुदान का सृजन किया गया है।
संयुक्त सचिव श्री राजीव अरोड़ा ने “बाल मज़दूरी (बाल मज़दूर अधिनियम में संशोधन एवं आईएलओ सम्मेलन संख्या 138 एवं 182 का समर्थन सहित)” पर एक विस्तृत प्रस्तुति (प्रेजेंटेशन) पेश की।
बैठक के दौरान पिछली बैठक के मिनटों की पुष्टि की गई एवं निर्धारित एजेंडा पर विस्तार से चर्चा की गई। बाल मज़दूरी उन्मूलन के लिए मंत्रालय द्वारा उठाए गए इस कदम की सभी सदस्यों ने सराहना की और बाल मज़दूरों को शिक्षित करने के संबंध में नए रास्ते भी सुझाए। बैठक में आए सुझावों में अल्पसंख्यक एवं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित बच्चों की शिक्षा के लिए अलग से कुछ प्रयास करना शामिल हैं।
अतिरिक्त सचिव श्री हीरा लाल समारिया सदस्यों द्वारा दिए गए अमूल्य सुझावों के लिए उनका धन्यवाद ज्ञापन किया और बैठक में मौजूद श्री लाडु किशोर स्वैन, श्री एम.के. राघवन, श्री मनोहर उंटवाल, श्री एन.के. प्रेमचंद्रन, श्री शंकर प्रसाद दत्ता एवं श्री के.के. रागेश आदि सांसदों को आश्वस्त किया कि विभिन्न सदस्यों द्वारा प्राप्त अमूल्य सुझावों पर गंभीरता से विचार कर बाल मज़दूरी को रोकने की दिशा में सकारात्मक पहल की जाएगी।