34 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन और आयुष मंत्रालय ने पारंपरिक तथा पूरक चिकित्सा ‘परियोजना सहयोगात्मक समझौता’ पर हस्‍ताक्षर किए

देश-विदेश

आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कल देर रात जिनेवा में पारंपरिक और पूरक चिकित्सा ‘परियोजना सहयोग समझौता’ पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक और पूरक चिकित्सा प्रणालियों का मानकीकरण करना, उनकी गुणवत्ता और सुरक्षा पहलुओं को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली से जोड़ना तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्‍हें प्रसारित करना है। इस सहयोग समझौते के माध्यम से पारंपरिक और पूरक चिकित्सा प्रणालियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, डब्ल्यूएचओ, आयुष मंत्रालय के सहयोग से पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक रणनीति 2025-34 तैयार करेगा।

समझौते के अन्य प्रमुख उद्देश्यों में पूरक चिकित्सा प्रणाली ‘सिद्ध’ के क्षेत्र में प्रशिक्षण और अभ्यास की प्रणाली को मजबूत करने के प्रयास, पारंपरिक और पूरक दवाओं की सूची के लिए दिशानिर्देश तैयार करना, सुरक्षा तथा इससे संबंधित प्रयास आदि शामिल हैं। आयुष मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएचओ के सहयोग से दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाने वाली जड़ी-बूटियों का एक अंतरराष्ट्रीय हर्बल औषधकोश विकसित किया जाएगा। इस समझौते के तहत साक्ष्य-आधारित पारंपरिक और पूरक दवाओं को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली से जोड़ने, जैव विविधता और औषधीय पौधों के संरक्षण और प्रबंधन आदि के प्रयास किए जाएंगे।

केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोनवाल ने इस अवसर पर मौजूद सभी लोगों को बधाई देते हुए कहा कि भारत प्राचीन काल से ही कई पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों की संस्कृति का केंद्र रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए मंत्रालय के ऐसे वैश्विक प्रयास निश्चित रूप से भारत को स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में वैश्विक स्‍तर पर पहचान दिलाएंगे और भारत में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देंगे। आयुष मंत्रालय का यह प्रयास भारत की वैश्विक सफलता की दिशा में उठाया गया एक और कदम है।

आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान अपने वर्चुअल संदेश में कहा कि इस समझौते का पहला चरण 2023-28 पारंपरिक और पूरक चिकित्सा प्रणाली के वैश्विक विकास में महत्‍वपूर्ण साबित होगा। डब्ल्यूएचओ के यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज एंड लाइफ कोर्स डिवीजन के सहायक महानिदेशक ब्रूस आयलवर्ड के अनुसार, यह सहयोग समझौता पारंपरिक और पूरक चिकित्सा प्रणालियों को भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली की मुख्यधारा में लाएगा और वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल और तंदुरुस्ती के उद्देश्य को पूरा करेगा। भारत सरकार की ओर से इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्र मणि पांडे ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को मजबूत करने के लिए डब्ल्यूएचओ के साथ काम करने और विशेष रूप से साथी विकासशील देशों का उनके स्वयं के प्रचार में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

डब्ल्यूएचओ के साथ आयुष मंत्रालय ने कुल दो ‘प्रोजेक्ट सहयोग समझौते’ पर पहले ही हस्ताक्षर किए हैं। पहला अनुबंध 2016 में किया गया जिसका उद्देश्‍य योग, आयुर्वेद, यूनानी और पंचकर्म जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को वैश्विक स्तर पर ले जाना और दूसरा अनुबंध 2017 में किया गया जिसका उद्देश्‍य आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा प्रणालियों को मजबूत करना था।

इस समझौते पर स्विट्जरलैंड के जिनेवा शहर में आयोजित एक कार्यक्रम में हस्ताक्षर किये गये। इस समझौते पर आयुष मंत्रालय की ओर से संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि श्री इंद्र मणि पांडे और डब्ल्यूएचओ की ओर से यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज और लाइफ कोर्स डिवीजन में सहायक महानिदेशक डॉ. ब्रूस आयलवर्ड ने हस्‍‍ताक्षर किए।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More