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विधान सभा स्थित सभाकक्ष में सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक करते हुए: विभागीय मंत्री धन सिंह रावत

विधान सभा स्थित सभाकक्ष में सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक करते हुए: विभागीय मंत्री धन सिंह रावत
उत्तराखंड

देहरादून: प्रदेश के सहकारिता राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 धन सिंह रावत ने विधान सभा स्थित सभाकक्ष में सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक की। सहकारिता मंत्री ने आगामी 13 से 20 मई, 2017 तक परेड ग्राउड में आयोजित वृहद अन्तर्राज्यीय सहकारिता सम्मेलन के निर्देश देते हुए कहा कि इसमें 80 प्रतिशत स्टाॅल सहकारिता के लगाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सहकारिता सम्मेलन प्रदेश के अन्य शहरों में भी आयोजित किये जायें, जिससे सहकारिता विभाग में संचालित योजनाओं की जानकारी के साथ पात्र लोगों को योजना का लाभ दिलाया जा सके। डाॅ0 रावत ने पूर्व सहकारिता मंत्री एवं विधायक बिशन सिंह चुफाल की अध्यक्षता में एक सहकारिता कमेटी गठन करने की जानकारी दी, जिसमें अन्य सदस्य के रूप विधायक बलवन्त सिंह भौर्याल, अध्यक्ष राज्य सहकारी बैंक दान सिंह रावत, पूर्व उपाध्यक्ष राज्य सहकारी बैंक हयात सिंह महरा शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सहकारिता कमेटी की संस्तुति पर ही प्रदेश में संचालित सहकारिता की योजनाओं का क्रियान्वयन तथा सहकारिता सम्मेलनों का आयोजन किया जाय।
उन्होंने सहकारिता विभाग को सुदृढ़ीकरण के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश निबन्धक सहकारिता को दिये, जिनमें श्रम सहकारी समितियों को पांच लाख रूपये सीमा तक का कार्य जिलाधिकारी की संस्तुति से दिये जाने, सहायक निबन्धक, उपनिबन्धकों के वित्तीय अधिकार की सीमा बढ़ाने, सुदृढ़ सहकारी समितियों के माध्यम से पेट्रोल पम्प एवं अन्य व्यवसायिक गतिविधियाँ संचालित करना शामिल है।
डाॅ0 धन सिंह रावत का कहना था कि सहकारिता ग्रामीणों की आर्थिकी का प्रभावी संसाधन हो सकता है किन्तु कतिपय समितियों की निष्क्रियता के चलते सहकारिता के उद्देश्य का शत-प्रतिशत लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने निष्क्रिय सहकारी समितियों की जाँच उत्तराखण्ड सहकारी समिति अधिनियम 2003 की धारा 65, 66 के अन्तर्गत कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि युवाओं का पलायन रोकने के लिए विभाग को पहल करनी होगी और पलायन को रोकना होगा जिससे उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्र के गांवों में निवास करने वाले लोगों के जीवनस्तर में सुधार हो सके। उन्होंने कृषिऋणों में आ रही कमी, पैक्स को स्वालम्बी बनाने के लिए सुझाव मांगे। उन्होंने सहकारी बैंकों को फसली ऋण की अवधि को 6 माह की जगह एक वर्ष करने के सुझाव का भी प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये तथा पैक्स के माध्यम से परम्परागत व्यवसाय से हट कर नवीन व्यवसाय का प्रस्ताव तैयार करने, पैक्स में कैस लेस व्यवस्था को लागू करने तथा पैक्स में सदस्यता वृद्धि के लिए प्रस्ताव मांगे तथा सहायक निबन्धकों के सुझावों को प्रस्ताव के रूप में तैयार करने के निर्देश निबन्धक सहकारिता को दिये। उन्होंने सहकारिता को आन्दोलन के रूप में चलाने के लिए शीर्ष अधिकारियों को एक-एक पिछड़ा गाँव गोद लेने के निर्देश दिये। उन्होंने स्वयं भी एक गाँव गोद लेने की पहल की। उन्होंने कहा कि इन गाँवों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में सहयोग कर इन्हें माॅडल के रूप में विकसित करें। उन्होंने विभाग के सुदृढीकरण हेतु सहायक निबन्धक के पद पर पदोन्नति के आदेश शीघ्र जारी करने के निर्देश दिये।
इस अवसर पर पूर्व सहकारिता मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने सहकारी बैंकों में कृषि ऋण सीमा बढ़ाने तथा सहकारिता को पलायन रोकने का सशक्त माध्यम बनाने से सम्बन्धित अनेक सुझाव दिये।
अध्यक्ष राज्य सहकारी बैंक दान सिंह रावत ने प्रदेश के समस्त सहकारी बैंकों को नेटवर्क से जोड़ने तथा फसली ऋण की अवधि एक वर्ष करने तथा सहकारी समितियों को स्वयतता दिलाने के सुझाव दिये।
पूर्व उपाध्यक्ष राज्य सहकारी बैंक हयात सिंह महारा ने सहकारी समितियों की जमीनों की सुरक्षा हेतु घेरबाड़ करने, निर्मित पुराने भवनों को पुनरूद्र्धार करने तथा समितियों की आय बढ़ाने के लिए समिति के माध्यम से उपादेय परियोजना चलाने के सुझाव दिये।
बैठक में विधायक कपकोट बलवन्त सिंह भौर्याल, सचिव सहकारिता आर0मीनाक्षी सुन्दरम, अपर सचिव सहकारिता आनन्द स्वरूप सहित उप निबन्धक एवं सहायक निबन्धक मौजूद थे।

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