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विद्युत मंत्रालय ने गर्मियों के मौसम के लिये ऊर्जा आपूर्ति स्थिति और तैयारी की समीक्षा की

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने आगामी गर्मियों के मौसम में देश में विशेष रूप से उत्तरी क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की स्थिति और विभिन्न सुविधाओं की तैयारी की समीक्षा की है। विद्युत सचिव श्री पी.के. पुजारी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राज्य सरकारों, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), सीईए, पोसोको, विभिन्न क्षेत्रीय और राज्य लोड प्रेषण केंद्र (आरएलडीसी/एसएलडीसी) के प्रतिनिधि शामिल हुये।

आईएमडी की रिपोर्ट के अनुसार मार्च से मई 2017 के दौरान तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। हाल ही में आईएमडी की 27 मार्च 2017 को जारी विज्ञप्ति में कहा गया था कि मार्च के आखिरी सप्ताह में तापमान सामान्य से 4-6डिग्री अधिक था, जिस कारण कई क्षेत्रों में लू की स्थिति बनी है।

प्रत्‍येक राज्‍य, क्षेत्र और अखिल भारतीय स्‍तर पर बिजली की मौजूदा मांग और भावी मांग की समीक्षा की गई। देखा गया है कि उत्‍तरी क्षेत्र में बिजली की मांग अप्रैल से सितंबर, 2017 की अवधि में 56जीडब्‍ल्‍यू तक बढ़ गई। दक्षिण क्षेत्र में बिजली की मांग 42जीडब्‍ल्‍यू तक हो चुकी है जबकि पश्‍चिमी क्षेत्र में इसने 50जीडब्‍ल्‍यू का स्‍तर छू लिया है। संभावना है कि अप्रैल-जून के बीच इसमें 46जीडब्‍ल्‍यू की गिरावट आएगी। पूरे भारत में गर्मी के दौरान बिजली की सर्वाधिक मांग 165जीडब्‍ल्‍यू तक पहुंचने की संभावना है।

उल्‍लेखनीय है कि उत्‍पादन संबंधी संसाधन इस दौरान उचित मात्रा में उपलब्‍ध है और कोयला आधारित क्षमता देश में कारगर रही। पिछले वर्ष की तुलना में दक्षिणी क्षेत्र में भंडारण स्‍तर में गिरावट आई जिससे अद्यतन 700 एमयू ऊर्जा कटौती हो गई। कुछ राज्‍यों में पारेषण और वितरण नेटवर्क के सीमित होने के कारण अड़चनें पैदा हुईं। इससे निपटने के लिए राज्‍य सुविधा संयंत्रों को सलाह दी गई कि वे पारेषण प्रणालियों को जल्‍द पूरा कर लें।

उत्‍तरी क्षेत्र के राज्‍य सुविधा संयंत्रों के सामने धूल भरी आंधी और बवंडर की समस्‍या आती है, जिसके कारण अप्रैल से जून के समय के दौरान बिजली के ग्रिड में बाधा उत्‍पन्‍न होती है। इसके कारण 6-7जीडब्‍ल्‍यू की कमी आ जाती है। इन सुविधा संयंत्रों को सुझाव दिया गया है कि ऐसे मामलों में वे पैदावार की कटौती में समन्‍वय स्‍थापित करें ताकि ग्रिड की समस्‍या कम हो सके।

इसके अलावा पिछली कुछ ट्रांसमिशन टावर गिरने की घटनाओं के देखते हुए इमरजेंसी रिस्टोरेशन सिस्टम (ईआरएस) तैयार रखने के लिए भी कहा गया है। सीईए विभिन्न राज्यों और पारेषण लाइसेंसधारियों के पास ईआरएस की उपलब्धता पर निगरानी रखेगी। यह भी निर्णय लिया गया था कि पोसोको और एसएलडीसी बेहतर योजना और आपूर्ति की विश्वसनीयता के लिए टेलर मेड मौसम का पूर्वानुमान/वेब आधारित मौसम की जानकारी पाने के लिए आईएमडी के साथ मिलकर काम करेंगे।

उत्तर प्रदेश को इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम को तेजी से बढ़ाने की सलाह दी गई थी। राज्य में आवश्यक पारेषण और वितरण आधारभूत संरचना की कमी बताई गई थी।

प्रधान सचिव, ऊर्जा, दिल्ली सरकार ने बताया है कि दिल्ली प्रणाली के भीतर पारेषण की कमी हल हो रही है। हालांकि बदरपुर टीपीएस में जनरेशन बनाए रखने और तब तक दिल्ली के भीतर ही गैस स्टेशनों को गैस आपूर्ति सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। जम्मू एवं कश्मीर को भी राज्य के भीतर योजनाबद्ध सब-ट्रांसमिशन और वितरण व्यवस्था अपनाने की सलाह दी गई थी।

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